डॉ. जावेद को मिली धमकी से बिहार में सांप्रदायिक सौहार्द पर संकट, सख्त कार्रवाई की मांग

किशनगंज के लोकप्रिय सांसद और कांग्रेस चुनाव समिति के राष्ट्रीय सदस्य, डॉ. मोहम्मद जावेद आजाद को सोशल मीडिया पर "हिन्दू राष्ट्र" नामक आईडी से जान से मारने की धमकी दी गई है। यह आईडी विश्व हिन्दू परिषद् से जुड़ी बताई जा रही है। धमकी भरी पोस्ट में उन्हें "अलकायदा का आतंकी" कहकर अपशब्दों का प्रयोग किया गया और कहा गया कि अब उनका नंबर आने वाला है। इस घटना से बिहार समेत पूरे देश में गुस्सा है, और सभी धर्मों के लोग इसे लेकर आक्रोशित हैं। सांसद के पीएस अमीरूल जैश ने इस मामले की प्राथमिकी दिल्ली में दर्ज कराई है और प्रधानमंत्री से उनकी सुरक्षा बढ़ाने की अपील की है। साथ ही, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और गृह मंत्री अमित शाह से सख्त कार्रवाई की मांग की गई है। इस मामले को लेकर बिहार में धार्मिक सौहार्द बिगड़ने का खतरा जताया जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुस्लिम नेतृत्व को खत्म करने की चल रही साजिशों पर ध्यान देने और इसमें शामिल अंडरवर्ल्ड और अन्य शक्तियों के खिलाफ जांच की मांग की गई है। इसके अलावा, विश्व हिन्दू परिषद् जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की भी अपील की गई है, जो समाज में सांप्रदायिक तनाव और आतंक का माहौल पैदा कर रहे हैं।

डॉ. जावेद को मिली धमकी से बिहार में सांप्रदायिक सौहार्द पर संकट, सख्त कार्रवाई की मांग

फैसल सुल्तान

किशनगंज के लोकप्रिय सांसद और कांग्रेस चुनाव समिति के राष्ट्रीय सदस्य डॉ. मोहम्मद जावेद आजाद को हाल ही में सोशल मीडिया पर जान से मारने की धमकी मिली है। यह धमकी "हिन्दू राष्ट्र" नामक एक आईडी से दी गई, जो कि विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) से जुड़ी बताई जा रही है। इस घटना ने न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में आक्रोश उत्पन्न किया है। विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग इस धमकी से व्यथित और गुस्से में हैं। सांसद जावेद आजाद एक ऐसे नेता हैं, जो सभी धर्मों और समुदायों को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं। इस घटना ने राजनीतिक, सामाजिक, और धार्मिक दृष्टिकोण से कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

विश्व हिन्दू परिषद् के सोशल मीडिया के Hindu Rashtra @HindustanT4961आईडी से सांसद डॉ जावेद आजाद को जान से मारने की धमकी मिली है और निम्नलिखित बातें कही गयी है   

“मोहम्मद जावेद तू अल कायदा का आतंकी हैं तुम्हारे जैसे आतंकियों के लिए गिरिराज भईया ठीक बोलते है इस देश मे जीतने भी दाढ़ी टोपी और हिजाब वाला मदरसा छाप आतंकी हैं उसके लिए इस देश मे कोई जगह नही है एक एक को ठिकाना लगाया जाएगा काम शुरू हैं तुम्हारा भी नम्बर आएगा”

धमकी की पृष्ठभूमि

डॉ. मोहम्मद जावेद आजाद को सोशल मीडिया पर धमकी देने वाले संदेश में उन्हें "अलकायदा का आतंकी" कहा गया और उनकी हत्या की धमकी दी गई। इस संदेश में स्पष्ट रूप से लिखा गया कि उनका "नंबर" अब आ चुका है, जो यह संकेत देता है कि उनकी जान को गंभीर खतरा है। धमकी देने वाले ने विश्व हिन्दू परिषद का उल्लेख करते हुए, सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया है। धमकी में कहा गया कि जितने भी दाढ़ी, टोपी और हिजाब पहनने वाले लोग हैं, वे सभी आतंकवादी हैं और उन्हें इस देश में कोई स्थान नहीं है। इस तरह की धमकियों से समाज में सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ने का खतरा है, जो पहले से ही संवेदनशील स्थिति में है।

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समाज और राजनीति पर प्रभाव

इस धमकी के बाद से बिहार में राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। कांग्रेस पार्टी के सदस्य और डॉ. जावेद के समर्थक इस मुद्दे पर खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। विभिन्न राजनीतिक दलों ने भी इस धमकी की कड़ी निंदा की है और इसे लोकतंत्र के खिलाफ एक साजिश करार दिया है। सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने भी इस घटना की आलोचना की है और इसे धार्मिक सद्भाव के लिए एक गंभीर खतरा बताया है।

धमकी के बाद, सांसद जावेद के पीएस (निजी सचिव) अमीरूल जैश ने दिल्ली में प्राथमिकी दर्ज कराई है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सांसद की सुरक्षा बढ़ाने की अपील की है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और गृह मंत्री अमित शाह से भी इस मामले की गंभीरता से जांच करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है।

धार्मिक सद्भाव पर खतरा

बिहार एक ऐसा राज्य है जहां धार्मिक और सामाजिक विविधता हमेशा से रही है। लेकिन इस तरह की धमकियों से राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की संभावना बढ़ जाती है। यूपी में जिस तरह से धार्मिक आधार पर तनाव उत्पन्न होता रहता है, वैसे ही बिहार में भी इस घटना के बाद स्थिति गंभीर हो सकती है। धार्मिक नेताओं और सामाजिक संगठनों ने इस घटना को सांप्रदायिकता फैलाने की साजिश बताया है और सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग की है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संबोधित करते हुए, यह कहा गया है कि यह कोई अलग घटना नहीं है बल्कि मुस्लिम नेतृत्व को खत्म करने की एक साजिश का हिस्सा है, जो पहले से ही देश में चल रही है। यह साजिश डॉ. शहाबुद्दीन से शुरू होकर अतीक अंसारी और बाबा सिद्दीकी तक पहुंच चुकी है। इस मामले में न केवल अंडरवर्ल्ड बल्कि सरकारी संस्थाओं की मिलीभगत की आशंका भी जताई जा रही है।

राजनीतिक साजिश और मुसलमान नेतृत्व

इस धमकी को एक व्यापक साजिश के रूप में देखा जा रहा है, जिसका उद्देश्य मुसलमान नेताओं को निशाना बनाना है। डॉ. शहाबुद्दीन की मौत और अतीक अंसारी से लेकर बाबा सिद्दीकी की हत्या जैसे मामले इस बात की ओर संकेत करते हैं कि मुसलमान नेतृत्व को कमजोर करने की कोशिशें हो रही हैं। यह साजिश न केवल बिहार तक सीमित है बल्कि पूरे देश में फैल रही है। इस घटना ने यह भी दिखाया है कि मुस्लिम नेतृत्व को दबाने के लिए हिंसा और धमकियों का सहारा लिया जा रहा है।

इस संदर्भ में, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह किया गया है कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और मुस्लिम नेताओं के खिलाफ हो रही इन साजिशों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं। मुस्लिम समुदाय के नेताओं ने सरकार से यह भी मांग की है कि वे विश्व हिन्दू परिषद जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाएं, जो समाज में सांप्रदायिक तनाव और आतंक का माहौल बना रहे हैं।

कानूनी कार्यवाही और प्रशासनिक प्रतिक्रिया

इस धमकी के बाद दिल्ली में प्राथमिकी दर्ज की गई है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह कार्यवाही पर्याप्त है? सरकार और प्रशासन को इस मामले को उच्च प्राथमिकता देनी चाहिए और धमकी देने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए। सांसद जावेद के समर्थकों का कहना है कि इस तरह की धमकियों को सिर्फ कानून के आधार पर नहीं बल्कि राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी देखा जाना चाहिए।

कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के लिए बेहद खतरनाक हैं। अगर समय रहते इन पर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह देश की एकता और अखंडता के लिए गंभीर चुनौती बन सकती है।

विश्व हिन्दू परिषद और उसकी भूमिका

विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) पर पहले भी सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ने के आरोप लगते रहे हैं। यह संगठन अक्सर अपने भड़काऊ बयानों और कार्यों के लिए चर्चा में रहता है। इस धमकी में विहिप का नाम सामने आने से यह स्पष्ट होता है कि यह संगठन न केवल अपने विचारों का प्रचार कर रहा है बल्कि उन विचारों के आधार पर समाज में तनाव और हिंसा भी फैला रहा है। विहिप के सोशल मीडिया अकाउंट से दी गई इस धमकी से यह सवाल उठता है कि क्या संगठन अपनी विचारधारा को हिंसा के माध्यम से आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है?

धमकी में जिस तरह से अलकायदा और आतंकवाद का जिक्र किया गया है, उससे यह स्पष्ट होता है कि विहिप इस घटना के माध्यम से मुसलमानों को आतंकवाद से जोड़ने की कोशिश कर रहा है, जो न केवल गलत है बल्कि समाज को बांटने की एक साजिश भी है।

सांप्रदायिकता और सरकार की जिम्मेदारी

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकार ऐसे संगठनों पर लगाम लगा रही है जो समाज में सांप्रदायिकता का जहर फैला रहे हैं? सरकार की जिम्मेदारी है कि वह न केवल धार्मिक समूहों के बीच शांति और सद्भाव बनाए रखे, बल्कि उन तत्वों को भी नियंत्रित करे जो इस शांति को भंग करने की कोशिश कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को इस घटना को गंभीरता से लेकर दोषियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने चाहिए। ऐसे मामलों में अगर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो यह और अधिक घटनाओं को जन्म दे सकता है, जिससे समाज में तनाव और बढ़ सकता है।

सुरक्षा की मांग

डॉ. मोहम्मद जावेद की सुरक्षा के संबंध में उनके पीएस ने प्रधानमंत्री से विशेष सुरक्षा प्रदान करने की मांग की है। सांसद की जान को गंभीर खतरा है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सरकार को तत्काल कदम उठाते हुए उनकी सुरक्षा बढ़ानी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की कोई अप्रिय घटना न हो।

साथ ही, यह भी जरूरी है कि धमकी देने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए ताकि एक मिसाल कायम हो सके और कोई भी व्यक्ति या संगठन इस तरह की धमकी देने का साहस न कर सके।

निष्कर्ष

यह घटना सिर्फ एक सांसद को दी गई धमकी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज में फैल रही सांप्रदायिकता और कट्टरता का प्रतीक है। समाज के सभी वर्गों को इस तरह की घटनाओं के खिलाफ एकजुट होना होगा और सरकार को इन मामलों में त्वरित और कठोर कार्रवाई करनी होगी।

डॉ. मोहम्मद जावेद आजाद जैसे नेताओं की सुरक्षा न केवल उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा का मामला है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और धार्मिक सद्भाव को कोई नुकसान न पहुंचे। सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेकर दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए, ताकि समाज में शांति और सद्भाव कायम रहे।