अबूझ राजनीतिक पहेली में उलझते सीमांचल में देश के गृह मंत्री अमित शाह के प्रोग्राम को लेकर कौंधने लगे हैं कई सवाल

सीमांचल के पूर्णिया और किशनगंज में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की आमसभा और सुरक्षा तंत्रों के साथ बैठक के आयोजन में लगी बीजेपी ने लंबे अरसे के बाद मुस्लिम बहुल सीमांचल की सुप्त राजनीति को झंकझोर कर जगाने का काम करना शुरू कर दिया है।

अबूझ राजनीतिक पहेली में उलझते सीमांचल में देश के गृह मंत्री अमित शाह के प्रोग्राम को लेकर कौंधने लगे हैं कई सवाल

सीमांचल (विशाल/पिंटू/विकास)

जिस सीमांचल का राजनीतिक टकराव वर्षों पूर्व से लेकर कुछ दिन पहले तक बाढ़ की विभीषिका और नदियों की सालाना कटाव लीला को लेकर बिहार सरकार से लेकर केंद्रीय सरकार के साथ जारी रहता आ रहा था , उस टकराव की राजनीति ने इस सीमांचल में तब से मौन राजनीति की चादर ओढ़ ली थी जबसे बिहार में स्थापित हुई राजद , जदयू , कांग्रेस और वाम मोर्चा वाली महागठबंधन वाली बिहार की सरकार में आपदा प्रबन्धन विभाग के मंत्री पद पर सीमांचल के ही बाढ़ और कटाव जैसी सालाना आपदाओं से पीड़ित रहने वाले एक क्षेत्र के विधायक शाहनवाज आलम आसीन करा दिये गये।

कहना अब बिल्कुल ही अतिश्योक्ति नहीं होगा कि सीमांचल वासियों का प्रतिनिधित्व करने वाले अब तक के विधायकों व नेताओं ने बाढ़ और कटाव जैसी सीमांचल की सालाना त्रासदी से उबरने के लिए बारम्बार  बिहार सरकार को निशाने पर रखते हुए हल्ला हसरात की  राजनीति जो शुरू कर रखा था अब उस तरह की राजनीति के केन्द्र में  सीधे उन्हीं के सीमांचल के विधायक सह बिहार सरकार के आपदा प्रबन्धन मंत्री शाहनवाज आलम ही आ गये हैं। और सीमांचल से समय समय पर होने वाले राजनीतिक आगाज स्थिर हो गए हैं।

फिलवक्त मंत्री बनने के बाद से ही आपदा प्रबन्धन मंत्री शाहनवाज आलम का  दौरा इस सीमांचल में  जारी हो गया है।

जिन जिलों के ग्रामीण इलाकों में आजादी के बाद से अब तक विनाशकारी नदियों की बाढ़ और कटाव जैसी सालाना आपदा से जनता संत्रस्त रहती आयी है और बेशुमार संख्या में फरियादें दर्ज कराते रहने के बावजूद इन क्षेत्रों को बाढ़ और कटाव की विनाशलीला से बचाने का उपाय करने के लिए न तो किसी भी पूर्ववर्ती सरकार के किसी भी पूर्ववर्ती मंत्री ने कभी भी दिलचस्पी लिया था और न ही किसी मुख्यमंत्री ने ही इन क्षेत्रों की ऐसी त्रासदी की सुधि लेने की कोई जरूरत महसूस किया था। उन सभी क्षेत्रों की सुधि लेने में बिहार सरकार के आपदा प्रबन्धन मंत्री शाहनवाज आलम जी जान से लग गए हैं।

जिस कारण इस सीमांचल में   बाढ़ और कटाव जैसी त्रासदी पर  केन्द्रित रहती आ रही सारी राजनीति को बिराम लग गया है।

खासकर किशनगंज जिले के बहादुरगंज के विधायक अंजार नईमी , कोचाधामन विधायक इजहार असफी , पूर्णिया जिले के बायसी क्षेत्र के विधायक सैयद रूकनुद्दीन अहमद , अमौर विधानसभा क्षेत्र के विधायक अख्तरूल ईमान के साथ साथ स्वयं अररिया जिले के जोकीहाट के विधायक शाहनवाज आलम तक की राजनीति को विराम लग गया है।

अपने अपने क्षेत्रों में ये विधायकगण इसी बाढ़ और कटाव जैसे मुद्दे को लेकर ही राजनीति की दुकानें चला रहे थे।

ये उपरोक्त विधायकगण पटना से क्षेत्र में आने के बाद अपनी अपनी जनता को अखबारों की ख़बरें पढ़ाया करते थे कि कब उन्होंने ज्ञापन समर्पित करते हुए बिहार सरकार के जल संसाधन एवं निस्सरण विभाग के मंत्री से लेकर उक्त विभाग के उच्चस्थ अधिकारियों से भेंट किया और कब उन्होंने बिहार सरकार के आपदा प्रबन्धन मंत्री से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री तक से भेंट किया।

यूं कहें कि इसी पर आधारित राजनीति की बदौलत इन उपरोक्त सभी नेताओं की राजनीति की दुकानदारी बड़ी शान से इस सीमांचल में चलती आ रही थी

लेकिन , अभी तो पासा ही पलटा हुआ  नजर आने लगा है।

उपरोक्त  सभी विधायक अब बिहार की सत्तारूढ़ दल के ही विधायक हो गए हैं और सरकार से लेकर मुख्यमंत्री तक इन्हीं के हो गए और उस पर तुर्रा यह कि आपदा प्रबन्धन विभाग का मंत्रालय भी इन्हीं के हाथ लग गया है।

ऐसी स्थिति में इन सभी विधायकों की आगामी सारी राजनीति बिल्कुल स्थिर हो गई , जबकि दूसरी ओर यह बात अलग है कि इन विधायकों की जनता वाट जोह रही है कि उनके क्षेत्र को बाढ़ और कटाव जैसी सालाना त्रासदी से बचाने की दिशा में ये विधायकगण किस योजना को धरातल पर उतारने जा रहे हैं।

बचाव की योजना की वाट जोहती सीमांचल की जनता को पता है कि हमारे नेतागण अपनी जनता की मांग की पूर्ति के लिए जिस मंत्रालय की परिक्रमा करने में लगे रहते थे , वह मंत्रालय ही अब सीमांचल  के हाथ लग चुका है।

सीमांचल के हाथ लग गये बिहार सरकार के आपदा प्रबन्धन विभाग  मंत्रालय से सीमांचल वासियों में उम्मीद जगी है कि अबकी बार अपनों के ही जिम्मे आये आपदा प्रबन्धन विभाग के जरिए उनके पीड़ित क्षेत्र का थोड़ा बहुत भी कल्याण जरूर होगा ।

लेकिन , इसी बीच केन्द्र सरकार की सत्तारूढ़ दल भाजपा ने बिहार में परिवर्तन का अलख जगाने के लिए राजनैतिक शंखनाद करने की शुरूआत का केन्द्र इस सीमांचल को ही बना लिया है।

आगामी 23 और 24 सितम्बर की दो दिवसीय यात्रा भाजपा के चाणक्य और देश के गृह मंत्री अमित शाह सीमांचल के पूर्णिया और किशनगंज की  करेंगे , जिसके तहत  वह पूर्णिया में विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए बिहार में परिवर्तन का शंखनाद करेंगे जबकि दूसरी ओर वह किशनगंज में बॉर्डर एरिया की रखवाली करने वाले सुरक्षा बलों के आला अधिकारियों और सीमांचल भर के पुलिस और प्रशासन के वरीय अधिकारियों के साथ विशेष बैठक करेंगे।

जाहिर सी बात है कि भाजपा के द्वारा सीमांचल में अकस्मात किये जाने वाले इस आयोजन को लेकर सीमांचल में राजनैतिक विचरण करने वाले भाजपा विरोधी दलों के कान खड़े हो गए।

हल्ला मचा कि भारत विरोधी निकटवर्ती देश चीन के विस्तारवाद के मद्देनजर पुख्ता सुरक्षा उपाय के तहत भाजपा की केन्द्र सरकार बहुत जल्द इस सीमांचल को पड़ोसी राज्य बंगाल के कुछ हिस्सों से जोड़कर सीमांचल को बिहार से अलग एक केन्द्र शासित राज्य के रूप में स्थापित करने की कबायद कर रही है।

लेकिन इस हल्ला को राजनीतिक अफवाह बताते हुए केन्द्रीय सरकार के गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय और भाजपा के राज्य सभा सांसद शंभू शरण पटेल ने अलग केन्द्र शासित राज्य की परिकल्पना को सिरे से नकार दिया।

कहा कि गृह मंत्री अमित शाह का पूर्णिया और किशनगंज में कार्यक्रम कराने का विचार बिहार भाजपा ने पटना में दो महीने पहले आयोजित हुई भाजपा की केंद्रीय कार्य समिति की बैठक के दौरान ही आगामी लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी के सिलसिले में किया गया था।

ये नेतागण सीमांचल के पूर्णिया में होने वाली गृह मंत्री अमित शाह की विशाल जन सभा की तैयारी का जायजा लेने दूसरे दौर के सीमांचल प्रवास के दौरान इस बात से प्रेस मीडिया को अवगत कराये।

जबकि दूसरी ओर से भाजपा का अंदरूनी महकमा मंद जुबान से सीमांचल को अलग केन्द्र शासित राज्य बनाने की हो रही पहल से अब भी इन्कार नहीं कर रहा है।

अब इस मद में वास्तविक सच्चाई क्या है यह आने वाले समय में ही पता चलेगा और दूसरी ओर यह भारत की सुरक्षा से जुड़ा हुआ अहम मामला बताया जाता है तो इस पर विशेष चर्चा की कोई जरूरत नहीं है।

सीमांचल का पूर्णिया किशनगंज अररिया जिला तीन तरफ से नेपाल , पश्चिम बंगाल और पश्चिम बंगाल से होकर अत्यन्त निकट में बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय और अंतरप्रांतीय सीमाओं से जुड़ा अति संवेदनशील क्षेत्र के रूप में भारतीय राजनीति के मानचित्र में दर्ज है , जिसे भारत के सात राज्यों के प्रवेश द्वार के रूप में चिकेन नेक की संज्ञा से नवाजा गया है। इस क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर ही इन क्षेत्रों के सीमावर्ती क्षेत्रों में बी एस एफ और एस एस बी की बटालियनों से पाट कर रखा गया है , जिसकी सुरक्षा व्यवस्था की अद्यतन जानकारी प्राप्त करने और उक्त सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक मजबूत और शक्तिशाली बनाने के उपायों पर विचार विमर्श करने के लिए देश के गृह मंत्री अमित शाह किशनगंज में बी एस एफ और एस एस बी के अधिकारियों के साथ 24 सितम्बर को बैठक करेंगे।

लेकिन , भाजपा और उसकी केन्द्र सरकार की ऐसी गतिविधि को लेकर सीमांचल की राजनीति में उथल पुथल सी मचने लगी है।

सीमांचल के राजद विधायक सह बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन मंत्री शाहनवाज आलम ने अपने सीमांचल भ्रमण के दौरान प्रेस मीडिया के साथ हुई बातचीत में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सीमांचल दौरे को लेकर कहा कि बेहतर होगा कि केन्द्र सरकार इस सीमांचल के विकास की बात करे और यहां के विकास में सहायक बने। लेकिन , इन कार्यक्रमों के जरिए अगर बीजेपी इन क्षेत्रों में माहौल बिगाड़ने का प्रयास करेगी तो इन क्षेत्रों में गंगा जमुनी तहजीब से जीने वाली जनता उन्हें मुंहतोड़ जवाब दे देगी।

इससे पहले बिहार की महागठबंधन वाली सरकार की घटक दल जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने भी बीजेपी को चेतावनी दिया है कि वह सीमांचल में अपनी निरर्थक कार्यक्रमों के जरिए सौहार्द बिगाड़ने की किसी भी तरह की मंशा से बाज आए अन्यथा बिहार की जनता उन्हें नहीं बख्शेगी।

बहरहाल , सीमांचल में पूर्णिया और किशनगंज की सरजमीं इन दिनों भाजपा के चाणक्य और देश के गृह मंत्री अमित शाह के 23 और 24 सितम्बर के प्रोग्राम को लेकर प्रदेश और केंद्रीय बीजेपी नेताओं व मंत्रियों का आखेट स्थल बन गई है। लगातार केंद्रीय मंत्रियों से लेकर पार्टी के नेताओं का आना जाना लगा हुआ है।

ऐसे में सीमांचल वासियों के दिमाग में लगातार वही सवाल घूम रहा है कि क्या बिहार से जुदा कराकर यह सीमांचल किसी नवगठित केन्द्र शासित राज्य का हिस्सा बना दिया जाएगा अथवा यह मात्र एक कोरा बकवास और अफवाह है।