पूर्व जदयू सांसद संतोष कुशवाहा ने थामा राजद का दामन | धमदाहा से चुनाव लड़ने की तैयारी | सीमांचल की राजनीति में हलचल
पूर्णिया के पूर्व जदयू सांसद संतोष कुशवाहा ने पार्टी छोड़कर राजद की सदस्यता ग्रहण कर ली है और उन्होंने धमदाहा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा की है। यह सीट वर्तमान में जदयू की मंत्री लेसी सिंह के कब्जे में है। संतोष कुशवाहा का यह कदम सीमांचल की राजनीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है, क्योंकि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी नेताओं में से एक रहे हैं। उनका यह फैसला सीमांचल क्षेत्र में एनडीए के खिलाफ बढ़ते असंतोष का संकेत माना जा रहा है। इससे पहले किशनगंज के पूर्व जदयू विधायक मास्टर मुजाहिद आलम ने भी जदयू छोड़कर राजद का दामन थामा था। दोनों नेताओं का यह कदम बताता है कि सीमांचल का राजनीतिक रुझान अब महागठबंधन की ओर झुक रहा है। संतोष कुशवाहा के चुनाव मैदान में उतरने से धमदाहा सीट पर लेसी सिंह और कुशवाहा के बीच सीधी टक्कर की संभावना बन गई है, जबकि पहले दोनों के बीच किसी प्रकार की प्रतिस्पर्धा नहीं थी। इस घटनाक्रम ने सीमांचल की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले चुनावों में सीमांचल का यह रुझान जदयू के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।

सीमांचल (अशोक/विशाल)
एक ओर बिहार विधान सभा के लिए होने वाले पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और दूसरे चरण के लिए ऐसी प्रक्रिया के शुरू होने के कगार पर है और सत्तारूढ़ दलों से लेकर विपक्षी दलों तक ने अभी तक फाइनल तौर पर अपने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं किया है और प्रत्येक दल के संभावित उम्मीदवार अपने अपने पार्टी आलाकमान की ओर टकटकी लगाए हुए हैं।
दूसरी ओर इसी स्थिति के बीच नीतीश कुमार के प्रिय के रूप में ख्यात पूर्णिया के पूर्व जदयू सांसद संतोष कुशवाहा के पाला बदल की खबर जंगल में लगी आग की तरह संपूर्ण सीमांचल में ही नहीं वल्कि बिहार की सत्तारूढ़ दल जदयू के राज्य भर के राजनीतिक महकमें में जोरों से फैल गई।
पूर्णिया के पूर्व जदयू सांसद संतोष कुशवाहा ने जदयू को तिलांजलि देकर राजद की सदस्यता ग्रहण कर ली है और इस क्रम में उन्होंने राजद की टिकट पर पूर्णिया जिले की धमदाहा विधान सभा क्षेत्र की सीट से बतौर राजद उम्मीदवार चुनाव मैदान में कूदने का ऐलान कर दिया है।
अचानक फैली इस खबर से सीमांचल भर की राजनीति येकायेक अचंभित हो गई और लोगबाग चर्चा करने लगे कि लगता है कि सीमांचल क्षेत्र की एन डी ए सरकार विरोधी मिजाज़ का भूत अब एन डी ए गठबंधन वाली जदयू के सीमांचल स्थित दिग्गज नेताओं पर सवार होना शुरू हो गया है।
यह ताजा तरीन राजनीतिक मामला है कि पूर्णिया से सत्तारूढ़ दल जदयू के पूर्व सांसद संतोष कुमार उर्फ संतोष कुशवाहा ने राजद की सदस्यता ग्रहण कर ली है और पूर्णिया जिले के धमदाहा विधान सभा क्षेत्र की सीट से राजद की टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गए हैं।
जबकि इस तरह का पहला राजनीतिक मामला तब सीमांचल क्षेत्र से सामने आया था जब एन डी ए गठबंधन वाली सरकार द्वारा लागू किए गए वक्फ़ कानून के विरोध में जदयू से इस्तीफा देकर किशनगंज जिले के कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र से अरसे से मुख्यमंत्री के अति प्रिय पात्र रहे पूर्व जदयू विधायक मास्टर मुजाहिद आलम ने राजद की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।
मास्टर मुजाहिद आलम तब सेमी सी एम की भूमिका का निर्वहन किशनगंज जिले में करते रहे थे।यूं कहिए कि उनकी मर्जी के बगैर किशनगंज जिला और आस पास के अन्य विधान सभा क्षेत्रों में एक पत्ता भी नहीं हिल सकता था।
लेकिन , चुनाव के मद्देनजर उन्होंने दूरदृष्टी के अंतर्गत अपने क्षेत्र का ही नहीं वल्कि सम्पूर्ण सीमांचल का मिजाज भांपकर बड़ी तेज़ी से एन डी ए गठबंधन वाली अपनी पार्टी जदयू को तिलांजलि दे राजद की सदस्यता ग्रहण कर लिया।
पूर्णिया के पूर्व जदयू सांसद भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अति प्रिय पात्र रहे थे लेकिन चर्चा है कि सीमांचल के मिजाज़ को समय रहते इन्होंने भी भांप लिया और अचानक दूरदृष्टी की राजनीति के अंतर्गत जदयू को तिलांजलि देकर राजद की सदस्यता ग्रहण कर लिया और उसके साथ साथ ही घोषणा कर दिया कि दूसरे चरण के लिए शुरू होने वाली नामांकन की प्रक्रिया के अंतर्गत धमदाहा की विधान सभा क्षेत्र की सीट से राजद की टिकट पर चुनाव मैदान में कूदने के लिए आगामी 16 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करेंगे।
सोशल मीडिया पर बेरोक टोक धड़ल्ले से जारी इस आशय की खबर ने सीमांचल क्षेत्र के राजनीतिक महकमें में भारी तहलका मचा दिया है।
सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि धमदाहा विधान सभा क्षेत्र की सीट पर लंबे अरसे से काबिज़ जदयू की सिटिंग विधायक सह बिहार सरकार की मंत्री लेसी सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए अचानक से स्वयं पूर्व पूर्णिया सांसद संतोष कुशवाहा ही क्यों उतर पड़ेंगे। इस बात का किसी ने कभी एहसास तक नहीं किया था और जिले भर की जनता की नज़रों के सामने पूर्णिया के पूर्व जदयू सांसद संतोष कुशवाहा और धमदाहा की सिटिंग जदयू विधायक सह बिहार सरकार की मंत्री लेसी सिंह के बीच कोई राजनीतिक स्पर्धा भी कभी नहीं दिखी थी।
अचानक से घटी इस राजनीतिक घटना ने सीमांचल की बीते दिनों वाली जदयू पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम की घटना की याद को तरोताजा कर दिया है।
अब पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा धमदाहा की सीट से राजद की टिकट पर चुनाव लड़ेंगे तो उक्त सीट पर बतौर राजद उम्मीदवार चुनाव लड़ने की दिशा में संतोष कुशवाहा की राह में कोई किंतु परंतु की गुंजाइश नहीं है।
धमदाहा सीट से पूर्व में बहुत वर्षों पहले राजद की टिकट पर दिलीप यादव विधायक निर्वाचित हुआ करते थे लेकिन जब से उक्त सीट पर जदयू की एन डी ए गठबंधन वाली उम्मीदवार के रूप में लेसी सिंह ने चुनाव जीतना शुरू किया तब से उक्त सीट पर राजद के पूर्व विधायक दिलीप यादव की वापसी का रास्ता साफ नहीं हुआ और लेसी सिंह बदस्तूर उक्त सीट से जदयू की विधायक निर्वाचित होती रहीं और बिहार सरकार में मंत्री पद से भी नवाजी जाती रहीं और हैरत की बात यह कि संतोष कुशवाहा और लेसी सिंह के बीच कभी कोई राजनीतिक स्पर्धा भी नहीं दिखी।
बहरहाल , अब इन दोनों के बीच ही कुर्सी की लड़ाई शुरू होने की संभावना ठोस रूप में बलबती हो गई है और लोगों में चर्चा शुरू हो गई है कि अब पूर्णिया जिले के इन दोनों शेर दिल राजनीतिक योद्धाओं में से कोई एक ही अगले पांच वर्ष के लिए पूर्णिया का खेवनहार बनकर रह पाएगा।
लेकिन , इस क्रम में यह सवाल निरंतर उमड़ रहा है कि सीमांचल के किशनगंज जिले की कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र की सीट पर आँखें गड़ाकर राजद के सानिध्य में आए पूर्व जदयू विधायक मास्टर मुजाहिद आलम कैसे कोचाधामन की सीट से राजद की टिकट पर चुनाव लड़ेंगे जब 2020 के विधान सभा चुनाव से उक्त सीट पर काबिज़ सिटिंग विधायक भी राजद के ही हैं और शायद मुजाहिद आलम की ज़िद्द की वजह से ही राजद आलाकमान के द्वारा उक्त सीट से अभी तक भावी राजद प्रत्याशी का नाम उजागर नहीं किया जा रहा है और यह भी बताया जाता है कि मुजाहिद आलम की जिद्द की वजह से राजद आलाकमान सहित संपूर्ण महागठबंधन पेशोपेश में भी पड़ गया है।
सीमांचल क्षेत्र के मिजाज़ का भूत चुनाव की प्रक्रिया खत्म होते होते और किन किन नेताओं को इधर से उधर कराएगा इस बात के ज़बाब के लिए लोगबाग रह रह कर खबरी चैनलों मीडिया पर नज़र गड़ाए हुए हैं।