झारखंड में लोकतंत्र का महापर्व: 43 सीटों पर आज मतदान, पूर्व मुख्यमंत्री और अन्य दिग्गजों की किस्मत दांव पर

झारखंड में विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग 13 नवंबर को 43 सीटों पर हो रही है, जिसमें 683 उम्मीदवार मैदान में हैं। मतदान दो चरणों में हो रहा है, जहां 13 नवंबर को 43 सीटों पर और 20 नवंबर को बाकी 38 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। राज्य के प्रमुख निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान के लिए केंद्रीय बलों की 200 कंपनियां तैनात की गई हैं। पहले चरण की प्रमुख सीटों पर सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियों के कई बड़े नेताओं के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। रांची सीट पर भाजपा के चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह और झामुमो की महुआ माझी के बीच मुकाबला है, जबकि सरायकेला सीट पर चंपाई सोरेन का भाजपा प्रत्याशी के रूप में झामुमो के गणेश महाली से सामना होगा। कोल्हान क्षेत्र, जहां भाजपा पिछले चुनाव में बुरी तरह हारी थी, इस बार विशेष रूप से पार्टी के ध्यान में है लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा है की इस बार भी भाजपा कुछ अच्छा नहीं कर पायेगी।

झारखंड में लोकतंत्र का महापर्व: 43 सीटों पर आज मतदान, पूर्व मुख्यमंत्री और अन्य दिग्गजों की किस्मत दांव पर

कौसर सुल्तान, अध्यक्ष जमुई जिला कांग्रेस माइनॉरिटी विभाग

झारखंड में विधानसभा चुनाव की हलचल एक बार फिर से ज़ोरों पर है। इस बार चुनाव का आयोजन दो चरणों में किया जा रहा है, जिसमें पहले चरण की वोटिंग आज, यानी 13 नवंबर को हो रही है। इस चरण में राज्य की 43 सीटों पर कुल 683 उम्मीदवारों का राजनीतिक भविष्य दांव पर है।

चुनाव की पृष्ठभूमि और महत्व

झारखंड में इस बार के विधानसभा चुनावों का विशेष महत्व है क्योंकि राज्य में अलग-अलग राजनीतिक समीकरण बने हैं, जोकि मुख्य दलों के लिए चुनौती बने हुए हैं। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी, 2025 को समाप्त होने जा रहा है, और इसके बाद नई सरकार का गठन होना तय है। 23 नवंबर को चुनाव परिणाम घोषित होंगे, जो महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम के साथ आएंगे। यह परिणाम झारखंड के राजनीतिक भविष्य को एक नई दिशा देंगे।

प्रथम चरण की वोटिंग: सीटों की स्थिति और मतदान केंद्र

पहले चरण में, जिन 43 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो रहा है, उनमें 17 सामान्य, 20 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित और 6 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इन सीटों पर 15344 मतदान केंद्र बनाए गए थे और चुनाव आयोग ने मतदान को सुरक्षित, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण बनाने के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 200 कंपनियां तैनात की थी। कई संवेदनशील क्षेत्रों में पोलिंग पार्टियों को हवाई मार्ग से भेजा गया है, ताकि मतदान में कोई बाधा न आए।

प्रमुख प्रत्याशियों का मुकाबला: रांची, सरायकेला और अन्य सीटें

झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य में कई बड़े चेहरे मैदान में हैं। रांची सीट पर छह बार के भाजपा विधायक चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह का मुकाबला झारखंड मुक्ति मोर्चा की राज्यसभा सांसद महुआ माझी से है। यह मुकाबला भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए काफी अहमियत रखता है, क्योंकि दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व ने इस क्षेत्र में जीत के लिए पूरा जोर लगा रखा है।

सरायकेला में बीजेपी के नेता चंपाई सोरेन का मुकाबला जेएमएम के गणेश महाली से हो रहा है। चंपाई सोरेन हाल ही में झामुमो छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे, जो कि चुनाव से पहले एक बड़ी सियासी हलचल रही। वहीं जमशेदपुर पूर्व में बीजेपी की पूर्णिमा दास और कांग्रेस के पूर्व आईपीएस अधिकारी डॉ. अजॉय कुमार के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है।

कोल्हान क्षेत्र: 14 सीटों पर भाजपा की निगाहें

कोल्हान क्षेत्र में पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे और चंपाई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने से पार्टी का मनोबल काफी बढ़ा है। कोल्हान में चंपाई सोरेन का खासा प्रभाव है और भाजपा को उम्मीद है कि उनके जुड़ने से कोल्हान में अच्छा प्रदर्शन होगा। लोहरदगा में कांग्रेस विधायक रामेश्वर उरांव और आजसू के नीरू शांति भगत के बीच मुकाबला हो रहा है। आजसू राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा है, इसलिए यहां भी मुकाबला दिलचस्प है।

मतदान प्रक्रिया और सुरक्षा प्रबंध

मतदान प्रक्रिया में किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो, इसके लिए चुनाव आयोग ने कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं। संवेदनशील बूथों पर अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है। इसके अलावा, कई अद्वितीय और मॉडल बूथ बनाए गए हैं जहां झारखंड की कला और संस्कृति को भी प्रदर्शित किया गया है। मतदान प्रतिशत को बढ़ाने के लिए विभिन्न जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं।

अहम क्षेत्रीय समीकरण और नए चेहरे

इस चुनाव में कई नए चेहरे पहली बार मैदान में उतरे हैं, जिनमें से एक मीरा मुंडा हैं, जो पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी हैं और पोटका सीट से अपनी किस्मत आजमा रही हैं। वहीं, जगन्नाथपुर सीट पर गीता कोड़ा, जो पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी हैं, भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। इन सभी नए चेहरों के चुनावी मैदान में आने से राजनीतिक समीकरण और रोचक बन गए हैं।

केंद्र सरकार का प्रभाव और विपक्षी गठबंधन

झारखंड में बीजेपी के अलावा कई अन्य दल जैसे कांग्रेस, झामुमो और आरजेडी के गठबंधन ने चुनाव में जोर लगाया है। राज्य में विकास के मुद्दे के साथ-साथ आदिवासी क्षेत्रों में जमीन से जुड़े मुद्दों का भी विशेष प्रभाव रहेगा। झारखंड की जनता किसे चुनती है और किन मुद्दों पर उनका ध्यान केंद्रित होता है, यह चुनाव परिणाम ही बताएगा।

प्रमुख मुद्दे: विकास, सुरक्षा और स्थानीय समस्याएं

झारखंड के चुनावों में इस बार विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा और स्थानीय समस्याओं को प्रमुख मुद्दा बनाया गया है। प्रधानमंत्री और अन्य नेताओं ने अपने चुनावी अभियानों में झारखंड के पिछड़े क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता देने का आश्वासन दिया है। दूसरी तरफ, विपक्ष ने स्थानीय समस्याओं को लेकर सत्ताधारी पार्टी पर प्रायोजित हमला बोला है।

अन्य प्रमुख सीटों पर मुकाबले का विश्लेषण

भवनाथपुर, हुसैनाबाद, लोहरदगा और तमाड़ जैसी सीटों पर भी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। भवनाथपुर में बीजेपी के भानु प्रताप शाही और झामुमो नेता अनंत प्रताप देव के बीच कड़ी टक्कर है। इसी प्रकार, हुसैनाबाद में बीजेपी के कमलेश सिंह और राजद के संजय सिंह यादव आमने-सामने हैं।

वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने की कोशिश

चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं। मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए जागरूकता अभियानों के माध्यम से उन्हें यह बताया जा रहा है कि उनका एक-एक वोट महत्वपूर्ण है। खासकर युवा और महिला मतदाताओं के बीच जागरूकता फैलाने के लिए कई खास बूथों पर सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

परिणाम का प्रभाव और राज्य की राजनीतिक दिशा

झारखंड का चुनाव परिणाम राज्य की राजनीतिक दिशा को निर्धारित करेगा। भाजपा के लिए यह एक अवसर है कि वह राज्य में अपनी पकड़ मजबूत कर सके, जबकि झामुमो-कांग्रेस गठबंधन के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय है कि वे अपनी सत्ता को बरकरार रखें, खासकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और वोट में किसी भी प्रकार के गड़बड़ी पर सख्त नज़र रखना होगा ।