पूर्णिया सदर चुनाव 2025: कांग्रेस नेता सतीश साह की टिकट दावेदारी, बोले – वैश्य उम्मीदवार ही हरा सकते हैं भाजपा
पूर्णिया सदर विधानसभा सीट को लेकर कांग्रेस नेता सतीश कुमार साह ने पार्टी आलाकमान से टिकट की दावेदारी की है। वे प्रदेश कांग्रेस अति पिछड़ा विभाग के उपाध्यक्ष, अखिल भारतीय कांग्रेस डेलीगेट तथा वैश्य समाज (तेली संघ) के अध्यक्ष हैं। सतीश साह का कहना है कि पिछले 27 वर्षों से वे कांग्रेस से जुड़े हैं और पूर्ण समर्पण के साथ पार्टी की सेवा कर रहे हैं। उनका तर्क है कि इस सीट पर भाजपा की लगातार आठ जीत का मुख्य आधार वैश्य समाज का वोट बैंक रहा है, लेकिन स्थानीय नेताओं की जगह बाहरी नेताओं को बढ़ावा मिला है। सतीश साह का दावा है कि पूर्णिया सदर क्षेत्र में वैश्य-बनिया और मुस्लिम समुदाय मिलकर लगभग डेढ़ लाख से अधिक वोटों के साथ भाजपा को हराने में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस आलाकमान वैश्य समाज के स्थानीय प्रतिनिधि को टिकट देती है तो भाजपा को पराजित करना आसान होगा और क्षेत्र को एक सशक्त स्थानीय वैश्य विधायक मिलेगा।

सीमांचल (अशोक/विशाल)
बिहार प्रदेश कांग्रेस के अति पिछड़ा विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष सह तीन बार से लगातार रह रहे अखिल भारतीय कांग्रेस के डेलीगेट सह वैश्य समाज के प्रमुख अंग तेली समाज के अध्यक्ष सह हाइकोर्ट पटना के अधिवक्ता सतीश कुमार साह ने कांग्रेस आलाकमान के समक्ष पूर्णिया सदर की विधान सभा क्षेत्र की सीट से आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवारी प्रदान करने की मांग करते हुए कांग्रेस आलाकमान के समक्ष अपनी ओर से चुनावी टिकट की दावेदारी पेश कर दी है और साफ तौर पर आलाकमान से आग्रह किया है कि विगत 27 वर्षों से कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहकर कांग्रेस के प्रति उनके अगाध समर्पण को देखते हुए उन्हें पूर्णिया की सीट से कांग्रेस की उम्मीदवारी प्रदान की जाए।
पूर्णिया सदर विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी में लगे भावी उम्मीदवारों की जो टोली पटना से दिल्ली तक की दौर लगाने में मशगूल है , उनमें वैश्य समाज के प्रमुख अंग तेली समाज का बड़ा तबका भी दिल्ली की कांग्रेस दरबार में पूरी तरह से सक्रिय है।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार , इस बार के होने वाले विधान सभा चुनाव में पूर्णिया सदर की विधानसभा क्षेत्र की सीट से सिटिंग भाजपा विधायक को उखाड़ फेंकने के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार कांग्रेस से जुड़ा वैश्य समाज खासकर तेली समाज से जुड़ा उम्मीदवार सक्षम हो सकता है।
वैश्य समाज के सूत्रों के अनुसार , निस्वार्थ भाव से भाजपा की सेवा में समर्पित रहने वाले वैश्य समाज के वोटों की एक मुश्त ताकत की बदौलत ही पूर्णिया की सदर विधानसभा क्षेत्र की सीट से भाजपा पिछले 8 बार से जीतती आ रही है , लेकिन , वैश्य समाज के इस निस्वार्थ समर्पण भाव का लाभ लोकल वैश्य समाज के नेता की जगह बाहरी वैश्य नेताओं द्वारा सुनियोजित तरीके से उठाया जाता रहा है।
जिसकी वजह से वैश्य समाज के महागठबंधन से जुड़े नेताओं में अब व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं जगने लगी है कि हमारे समाज के लोकल नेताओं के रहते हुए बाहरी व्यक्ति को हम अपना प्रतिनिधि बना कर उनके हाथों का खिलौना क्यों बनें हुए हैं।
महागठबंधन से जुड़े कांग्रेस और राजद के नेताओं का बड़ा समर्थन प्राप्त कांग्रेस नेता सतीश कुमार साह के अनुसार , पूर्णिया सदर विधानसभा क्षेत्र में अति पिछड़ा समुदाय को मिलाकर वैश्य बनियां समुदाय के वोटरों की संख्या डेढ़ लाख से अधिक है।
दावा किए जा रहे हैं कि 42 प्रतिशत पिछड़ा वोटों के साथ अगर मुस्लिम समुदाय के वोटरों का जुड़ाव हो जायेगा तो पूर्णिया सदर की विधान सभा क्षेत्र की सीट से महागठबंधन के प्रत्याशी की जीत को किसी भी कीमत पर टाला नहीं जा सकता है।
चर्चा हो रही है कि पूर्णिया सदर विधानसभा क्षेत्र के वाशिंदे वैश्य बनियां समुदाय की रक्षा सिर्फ वैश्य समाज के प्रतिनिधि ही कर सकते हैं ना कि उच्च वर्ग या अन्य किसी वर्ग के प्रतिनिधि।
अतः उक्त आलोक में माना जा रहा है कि लगभग 27 साल पुराने कांग्रेस के अति पिछड़ा विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष सह तेली समाज के अध्यक्ष सतीश कुमार साह को अगर कांग्रेस आलाकमान द्वारा पूर्णिया की सीट से कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित किया जाएगा तो निःसंदेह उक्त सीट पर पिछले 8 टर्म से काबिज़ भाजपा को सिड़की तम्बू उखाड़ कर भागना पड़ जाएगा।
सतीश कुमार साह ने दावे के साथ कहा है कि कांग्रेस द्वारा विना किसी तेली वैश्य समाज के नेता को टिकट दिए पूर्णिया की सीट से भाजपा को उखाड़ फेंकने वाला काम साकार नहीं हो सकता है।
उन्होंने बताया कि पूर्व में कायस्थ समाज की इंदु सिन्हा तीन बार पूर्णिया की सदर विधानसभा क्षेत्र की सीट से हार का सामना करने को मजबूर हुई , तो , उसके पीछे भाजपा के निस्वार्थ समर्थन में एकजुट खड़ी रहने वाली वैश्य समाज की ही भूमिकायें रहीं और पांच बार इसी सीट से चुनाव हारने वाले कांग्रेस के प्रोफेसर रामचरित्र यादव की हार का कारण भी वैश्य समाज अथवा वैश्य समाज का भाजपा प्रेम रहा।
हालांकि इसी कड़ी में भाजपा की ओर से पूर्व में उम्मीदवार बना कर पूर्णिया सदर की सीट से उतारे गए दो दो भाजपा उम्मीदवारों सुधीर चौधरी और पंचानंद यादव की हुई तत्कालीन पराजय को इसलिए नहीं भूलाया जा सकता है क्योंकि उन दोनों उम्मीदवारों में से किसी को भी वैश्य समाज के वोटों का साथ उस चुनाव में नहीं मिल पाया था।
अर्थात , इस दृष्टिकोण से स्पष्ट होता है कि पूर्णिया सदर विधानसभा क्षेत्र की सीट पर विगत 8 टर्म से जारी रही भाजपा की जीत का मूल आधार वैश्य समाज का वोट बैंक रहा है।
कांग्रेस नेता सतीश कुमार साह ने कहा कि इसलिए उन्होंने कांग्रेस आलाकमान से आग्रह किया है कि पूर्णिया सदर विधानसभा क्षेत्र की सीट से इस बार अगर भाजपा को उखाड़ फेंकना है तो कांग्रेस वैश्य तेली समाज के उम्मीदवार प्रदान करें , क्योंकि एक ओर इस समाज का वोट डेढ़ लाख से अधिक संख्या में है तो दूसरी ओर कांग्रेस के समर्थन में हर वक्त खड़ा रहने वाला मुस्लिम समुदाय का भी बड़ा वोट बैंक है।
कांग्रेस नेता सतीश कुमार साह ने पूर्णिया सदर विधानसभा क्षेत्र को लेकर इस संवाददाता के साथ चर्चा में बताया कि पूर्णिया सदर विधानसभा क्षेत्र का अबतक का इतिहास बताता है कि इस सीट पर वैश्य समाज के अलावा दूसरे समाज का वही उम्मीदवार जीत हासिल कर सकता है जिन्हें मुस्लिम समुदाय का भी एकमुश्त वोट मिल सकता है।
बहरहाल , इस बार के विधान सभा चुनाव को लेकर वैश्य समाज की जगी महत्वाकांक्षा के आलोक में माना जा रहा है कि इस बार वैश्य समाज के ही किसी उम्मीदवार का साथ ले कर महागठबंधन द्वारा बिना किसी परिश्रम के पूर्णिया की सीट से सिटिंग भाजपा को उखाड़ फेंकने का सफल प्रयास किया जा सकता है और इस तरह पूर्णिया सदर विधानसभा क्षेत्र के वासियों को विशुद्ध लोकल वैश्य विधायक भी महागठबंधन के बैनर तले नसीब हो जा सकता है।