नेतन्याहू का सत्ता संघर्ष और भ्रष्टाचार: क्या जंग को खत्म न करने के पीछे कोई छिपा एजेंडा है?
इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के सत्ता संघर्ष, उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों, और उनके द्वारा लागू किए गए विवादास्पद न्यायिक सुधार कानून का विश्लेषण करते हैं। यह कानून न केवल उनके भ्रष्टाचार मामलों को प्रभावित करता है बल्कि इज़राइल की लोकतांत्रिक प्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है। जनता का भारी विरोध और इज़राइल के भीतर सरकार में बढ़ता असंतोष देश की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर रहे हैं। साथ ही, अमेरिका का प्रभाव और नेतन्याहू की नीतियाँ इज़राइल के आंतरिक और बाहरी संबंधों को जटिल बना रही हैं। गाजा पर बमबारी से लेकर ईरान के खिलाफ नेतन्याहू की रणनीति तक, लेख में इन मुद्दों को विस्तार से समझाया गया है कि कैसे नेतन्याहू की प्राथमिकता सत्ता में बने रहना है, भले ही इससे इज़राइल की सुरक्षा, स्थिरता, और अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचे। यह लेख नेतन्याहू की सत्ता, अमेरिकी समर्थन, और इज़राइल की स्वतंत्रता पर उनके प्रभाव का गहन विश्लेषण करता है।
फैसल सुल्तान
इज़राइल में चल रहे संघर्षों और नेतन्याहू की राजनीति पर सवाल उठते हैं कि क्या वे वास्तव में देश के हितों की रक्षा कर रहे हैं या केवल अपनी कुर्सी और भ्रष्टाचार के केसों से बचने के लिए इस जंग को बढ़ावा दे रहे हैं? आये और इस मुद्दे की पड़ताल करेंगे और समझेंगे कि कैसे अमेरिका का प्रभाव, नेतन्याहू की नीतियाँ और भ्रष्टाचार के मामले इस संघर्ष को और जटिल बना रहे हैं।
इज़राइल की वर्तमान स्थिति और अमेरिका का प्रभाव: नेतन्याहू की सरकार के दौर में इज़राइल की स्वतंत्रता पर कई सवाल खड़े हो चुके हैं। इज़राइल की नीतियाँ आज कितनी स्वतंत्र हैं, यह एक प्रमुख सवाल बन गया है। माना जाता है कि कई बार इज़राइल की नीति अमेरिका के आदेशों के अनुसार तय होती है। नेतन्याहू की छवि एक दक्षिणपंथी नेता की है, लेकिन इसके बावजूद वे अमेरिका के हितों को अधिक प्राथमिकता देते हुए नजर आते हैं। इस प्रकार, एक बड़ा तबका मानता है कि नेतन्याहू की सरकार इज़राइल की रक्षा के बजाय अमेरिकी हितों को साधने का काम कर रही है।
गाजा पर बमबारी: जनता और सरकार के दो अलग दृष्टिकोण: इज़राइल में गाजा पर बमबारी को लेकर दो मत हैं। एक वर्ग जो कि ज़्यादातर इस्राइली जनता का मानना है कि ईरान और अन्य शत्रु देशों को सबक सिखाना चाहिए। लेकिन गाजा में आम नागरिकों पर हमले की वे कड़ी आलोचना करते हैं। वहीं नेतन्याहू का दृष्टिकोण अलग है। उनका मानना है कि इस मामले में अमेरिका के आर्डर को मानना चाहिए। यह मुद्दा और गंभीर तब हो गया जब नेतन्याहू ने ईरान पर हल्का हाथ रखा, जबकि रक्षा मंत्री गैलेंट का मानना था कि ईरान को कड़ा संदेश देना चाहिए। यह विवाद इज़राइल के भीतर सत्ता के असली मकसद को दर्शाता है।
अमेरिकी समर्थन और नेतन्याहू की सत्ता: नेतन्याहू की सत्ता में बने रहने की मुख्य वजह अमेरिका का समर्थन मानी जाती है। इज़राइल के रक्षा मंत्री गैलेंट बार-बार जोर दे चुके हैं कि इज़राइल को ईरान के खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए। हालांकि, नेतन्याहू इन आग्रहों को अनसुना करते हुए अमेरिका के निर्देशों का पालन करते हैं। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि नेतन्याहू की सत्ता में बने रहने के लिए अमेरिकी समर्थन महत्वपूर्ण है। नेतन्याहू ने गैलेंट को हटाने का भी इशारा दिया, जो उनके खिलाफ आवाज़ उठाने वालों का एक उदाहरण मात्र है।
नेतन्याहू के विरुद्ध जनता का प्रदर्शन: मार्च 2023 में इज़राइल में न्यायिक सुधार कानून को लेकर बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ था। इस कानून के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद भी सरकार में बैठे मंत्री को हटाया नहीं जा सकता था। इसका मुख्य उद्देश्य नेतन्याहू को भ्रष्टाचार के मामलों से बचाना था। इज़राइल की जनता ने इस कानून के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। बावजूद इसके, नेतन्याहू ने अपने कदम पीछे नहीं खींचे। उनके इस रवैये ने यह स्पष्ट कर दिया कि सत्ता में बने रहने के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं।
भ्रष्टाचार के आरोप और सत्ता में बने रहने का संघर्ष: नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, जिनसे वे न्यायिक सुधार कानून की मदद से बचना चाहते हैं। मार्च 2023 में जब जनता ने इस कानून के खिलाफ आवाज़ उठाई, तब भी नेतन्याहू ने इस कानून को वापस नहीं लिया। इसका कारण यह है कि यह कानून उनके लिए एक ढाल का काम करता है, जिससे वे भ्रष्टाचार के मामलों में सजा से बच सकते हैं। जनता और इज़राइल की सुरक्षा के खिलाफ इस कदम से यह स्पष्ट हो गया कि नेतन्याहू का मुख्य उद्देश्य सत्ता में बने रहना है, न कि देश की सुरक्षा।
इज़राइल की सुरक्षा और नेतन्याहू की नीतियों का टकराव: नेतन्याहू की नीतियों का इज़राइल की सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उनके द्वारा लिए गए निर्णयों से सुरक्षा बलों में असंतोष बढ़ा है। आईडीएफ (इज़राइल डिफेंस फोर्स) के चीफ हरली हलेवी ने भी नेतन्याहू को चेतावनी दी थी कि न्यायिक सुधार कानून इज़राइल की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। इसके बावजूद नेतन्याहू ने सुरक्षा बलों की अनदेखी करते हुए कानून को पारित करने की कोशिश की।
न्यायिक सुधार कानून और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया: नेतन्याहू द्वारा लागू किए गए न्यायिक सुधार कानून की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कड़ी आलोचना हुई। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इसे इज़राइल की लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ माना। संयुक्त राष्ट्र सहित कई देशों ने इस पर अपनी चिंता व्यक्त की। यह इज़राइल के लिए एक चेतावनी थी कि नेतन्याहू के इस तरह के निर्णय से देश की अंतर्राष्ट्रीय छवि खराब हो सकती है। इसके बावजूद नेतन्याहू ने इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया, क्योंकि उनकी प्राथमिकता केवल सत्ता में बने रहना है।
निष्कर्ष: इस लेख से यह स्पष्ट होता है कि नेतन्याहू के लिए सत्ता में बने रहना इज़राइल की सुरक्षा और स्थिरता से अधिक महत्वपूर्ण है। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे नेतन्याहू अपनी कुर्सी बचाने के लिए न्यायिक सुधार जैसे कानून ला रहे हैं और अमेरिका की ओर से मिली हुई सुरक्षा का लाभ उठाकर इज़राइल की जनता की भावनाओं की अनदेखी कर रहे हैं। नेतन्याहू का यह रवैया इज़राइल की सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है।