बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला तो सरकार नहीं चलेगी
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग ने राजनीतिक हलकों में गरमागरमी पैदा कर दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जेडीयू नेता इस मुद्दे को बार-बार उठाते रहे हैं, और हाल ही में बिहार सरकार के मंत्री विजय चौधरी ने भी इस पर जोर दिया है। उनका कहना है कि बिहार, जिनके पास सीमित संसाधन हैं, फिर भी तेजी से विकास कर रहा है, लेकिन गरीबी की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। नीति आयोग और वित्त मंत्रालय ने विशेष राज्य का दर्जा देने की संभावना पर संकोच किया है, जबकि वित्त मंत्री ने कहा है कि इसके लिए केंद्रीय वित्त आयोग की रिपोर्ट का इंतजार करना होगा। गुजरात को भी इसी प्रकार के दर्जे की संभावना पर चर्चा है, जिससे राज्य को वित्तीय सहायता, टैक्स में छूट, और अन्य लाभ मिल सकते हैं। आंध्र प्रदेश के चंद्र बाबू नायडू भी लंबे समय से विशेष दर्जा की मांग कर रहे हैं। विशेष राज्य का दर्जा मिलने से राज्यों को केंद्रीय योजनाओं में बढ़ी हिस्सेदारी, टैक्स में राहत, और फंडिंग के रूप में अनुदान मिलता है। अगर बिहार और आंध्र प्रदेश की मांगें स्वीकार होती हैं, तो जुलाई में बजट के साथ एक विशेष पैकेज जारी किया जा सकता है, जिसका आकार एक लाख करोड़ तक हो सकता है। इस प्रकार, बिहार के विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है ताकि राज्य के विकास को गति मिल सके।

फैसल सुल्तान
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा तो जनादेश का अपमान करने वाली सरकार को भी नहीं चलने दिया जाएगा। अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलता है, तो गुजरात को भी यह दर्जा नहीं मिलेगा। देश में तीसरी बार NDA की सरकार बनी है, लेकिन इस बार बीजेपी के लिए यह राह इतनी आसान नहीं होने वाली है। इस बार बीजेपी बहुमत के लिए टीडीपी और जेडीयू जैसी पार्टियों के समर्थन पर निर्भर होगी। ऐसे में सरकार बनने से पहले ही सहयोगी दल समर्थन की कीमत वसूलने की कोशिश में हैं और इसकी तस्वीर साफ दिखने लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरी बार शपथ लेने से पहले ही जेडीयू ने अपनी मांगें सामने रख दी हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी और राज्य के मंत्री विजय चौधरी ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है।
विशेष राज्य का दर्जा और उसकी राजनीति
बिहार के विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर बहस जारी है, और विभिन्न राजनीतिक दल इस पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। नीति आयोग ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देना अब संभव नहीं है। वित्त मंत्री ने नीति आयोग के सिफारिशों पर इस मांग को टाल दिया है। उन्होंने कहा कि विशेष दर्जा के लिए केंद्रीय वित्त आयोग की रिपोर्ट में सिफारिशें आनी चाहिए, तभी इस पर विचार किया जा सकता है। बिहार को आर्थिक और विशेष सहायता मिल सकती है, लेकिन विशेष राज्य का दर्जा देने की संभावना कम है।
गुजरात को विशेष राज्य का दर्जा
गुजरात को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलनी चाहिए, क्युकी देश में गुजरात एक उन्नत राज्य है। अगर गुजरात को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त होता है तब कई महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं। सबसे पहले, गुजरात को केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता मिलेगी, जिसमें केंद्र सरकार के बजट का लगभग 30% हिस्सा शामिल होगा। इसके अलावा, गुजरात को उत्पाद शुल्क, आयकर, और कॉरपोरेट टैक्स में भी रियायतें मिल सकती हैं। विशेष राज्य का दर्जा मिलने के बाद गुजरात को केंद्र से मिलने वाले पैकेज में और भी सुविधाएं मिल सकती हैं।
बिहार के मंत्री का बयान
बिहार सरकार के मंत्री विजय चौधरी ने कहा है कि हम लोग पहले से कहते रहे हैं कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, विशेष मदद, और विशेष पैकेज मिलना चाहिए। हमारे संसाधन सीमित हैं और फिर भी हम सबसे तेज गति से तरक्की कर रहे हैं। हालांकि, गरीबी के पैमाने पर हम गरीब रह जा रहे हैं। यह साबित करता है कि बिहार को विशेष मदद मिलनी चाहिए।
नीतीश कुमार की मांग
जेडीयू के सांसद गोपाल कुमार सुमन और सीनियर लीडर केसी त्यागी ने भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह मांग नई नहीं है और नीतीश लंबे समय से पीएम मोदी के सामने इसे उठाते रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहली बार 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बनने पर इस मुद्दे को उठाया था।
चंद्र बाबू नायडू की मांग
टीडीपी प्रमुख चंद्र बाबू नायडू भी लंबे समय से आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जा की मांग कर रहे हैं। जब 2014 में आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ और तेलंगाना अलग राज्य बना, तो आंध्र प्रदेश के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा चला गया। इसके बाद नायडू ने 2017 में राज्य के लिए विशेष दर्जा की मांग उठाई।
विशेष राज्य का दर्जा क्या है?
विशेष राज्य का दर्जा उन राज्यों को दिया जाता है, जो देश के बाकी हिस्सों की तुलना में पिछड़े हुए हैं। ऐसे राज्यों को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार की विशेष ध्यान की जरूरत होती है। विशेष राज्य का दर्जा मिलने के बाद प्रदेश सरकार को कई तरह की छूट और अनुदान मिलते हैं। साथ ही उन्हें केंद्र की ओर से विशेष पैकेज, टैक्स में छूट जैसी राहत मिलती है ताकि उन राज्यों में रोजगार, विकास, और कारोबार का विकास हो सके।
विशेष राज्य का दर्जा मिलने के फायदे
विशेष राज्य का दर्जा मिलने से राज्य में चलने वाली केंद्रीय योजनाओं में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी बढ़ जाती है। राज्य के उद्योगों को टैक्स में रियायत मिलती है, वहीं एक्साइज, कस्टम ड्यूटीज में बड़ी राहत मिलती है। केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाले फंड में 90% अनुदान होता है, जबकि सिर्फ 10% कर्ज होता है, जिसपर राज्यों को ब्याज नहीं देना पड़ता है।
विशेष राज्य का दर्जा कैसे मिलेगा?
अगर बिहार और आंध्र प्रदेश की विशेष राज्य के दर्जे की मांग मानी जाती है, तो इसका रास्ता क्या हो सकता है? सरकार के गठन के बाद जुलाई में बजट आएगा। ऐसे में वित्त मंत्रालय एक विशेष पैकेज तैयार कर सकता है, जिसका साइज़ एक लाख करोड़ तक हो सकता है। यह पैकेज एक साल की मियाद में जारी किया जा सकता है।
इस प्रकार, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। इसके लिए राजनीतिक दलों को एकजुट होकर केंद्र सरकार पर दबाव डालना होगा ताकि बिहार के विकास के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकें।