सीमांचल में निराश नेताओं के लिए एमआईएम, जन सुराज और पप्पू यादव बन सकते हैं नए विकल्प
सीमांचल में राजद, कांग्रेस, जदयू, और बीजेपी के निराश टिकटार्थियों के लिए नई संभावनाएं उभर रही हैं। इन नेताओं के लिए एमआईएम और जन सुराज पार्टी एक वैकल्पिक रास्ता बनती जा रही हैं। एमआईएम ने पिछले विधानसभा चुनाव में कई निराश नेताओं को टिकट दिया था, जो अब जन सुराज पार्टी में अपनी उम्मीदें देख रहे हैं। जन सुराज पार्टी, प्रशांत किशोर की पार्टी, ने भी सीमांचल में अपनी चुनावी तैयारी तेज कर दी है। इसके अलावा, पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव भी इस क्षेत्र में एक नया विकल्प प्रस्तुत कर रहे हैं। पप्पू यादव ने कांग्रेस की सदस्यता नहीं ली है, लेकिन उनके समर्थक राजद और बीजेपी के निराश टिकटार्थियों के लिए एक विकल्प बन सकते हैं। इन बदलावों से सीमांचल के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव की संभावना है।
सीमांचल (विशाल/पिंटू/विकास)
- सीमांचल में निराश नेताओं के लिए एमआईएम और जन सुराज बनेगे नए विकल्प
- प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी और एमआईएम सीमांचल में बढ़ा रही हैं राजनीतिक उम्मीदें।
- पप्पू यादव और एमआईएम: सीमांचल के निराश नेताओं के लिए नई राहें।
- सीमांचल में राजनीतिक असंतोष के बीच एमआईएम और जन सुराज का उभार।
- निराश नेताओं के लिए सीमांचल में एमआईएम और जन सुराज पार्टी का विकल्प।
सीमांचल की चुनावी राजनीति में विभिन्न कारणों से चुनावों के दौरान संबद्ध राजनीतिक दलों के चुनावी टिकटों से वंचित हो कर हासिये का दंश झेलने वाले नेताओं के लिए लंबे अरसे के बाद विगत पांच सालों से नई संभावना हैदराबादी सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम में नजर आई और पिछले बिहार विधान सभा चुनाव में इसकी सार्थकता भी दिखी तो उसी तर्ज पर अब सीमांचल के निराश टिकटार्थियों में दूसरे वैकल्पिक आस प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज में नजर आने लगे हैं।
सीमांचल के पांच विधान सभा क्षेत्रों से एमआईएम की टिकट पर राजद कांग्रेस जदयू से नकारे गए निराश नेताओं ने चुनाव लड़कर अपनी जीत पिछले विधान सभा चुनाव में हासिल किया था। यह अलग बात है कि बाद में उन्हीं पांचों में से चार एमआईएम विधायकों ने बिहार की मुख्य धारा की पार्टी राजद की आंचल का सहारा ले लिया।
लेकिन , उसके बाद से इस सीमांचल के राजद कांग्रेस जदयू वाले समस्त निराश टिकटार्थियों में होड़ नहीं वल्कि सोंच बन चुकी है कि उनकी पार्टी ने अगर इस बार के आने वाले 2025 के बिहार विधान सभा चुनाव में भी उन्हें टिकट से वंचित कर हाशिए पर धकेलने की बात की तो वे भी वैकल्पिक मार्ग एमआईएम की राह पर दौड़ कर एमआईएम की टिकट पर अपनी चुनाव लड़ने की पिपासा को शांत कर लेंगे अथवा जीत हासिल कर लेंगे।
अन्यथा , उसी तर्ज पर प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की टिकट पर अपनी चुनाव लड़ने की लालसा को पूरा कर लेंगे।
सीमांचल भर के भ्रमण के दौरान नेताओं में पनपी इस वैकल्पिक मार्ग की आस और इसकी बिछती बिसातें राजनीतिक दलों में टिकट की दावेदारी में होने वाली मारामारी को कम करेगी या दलों के लिए नुकसानदायक साबित होगी इस बात का खुलासा तो अब समय आने पर ही हो सकता है लेकिन इतना तो तय हो गया है कि एमआईएम और जन सुराज पार्टी की बिछती हुई बिसातें निराश टिकटार्थियों की राजनीति में मील का पत्थर साबित होने वाली है।
यही कारण है कि एमआईएम पार्टी का भी हौंसला इस सीमांचल में लगातार बुलंद है कि इसी बहाने पार्टी में भीड़ जमीं रहती है।
लेकिन , एमआईएम को यह महसूस नहीं हो रहा है कि अब उनकी पार्टी की यह भीड़ भी इस सीमांचल में विभक्त होने की स्थिति में आती दिखाई दे रही है।
एमआईएम की तर्ज पर प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की इस सीमांचल में बढ़ती हुई सक्रियता से इस आशंका को बल मिलता दिखाई दे रहा है कि आने वाले अगले विधान सभा चुनाव के दौरान एमआईएम के टिकटार्थियों की भीड़ विभक्त होकर जन सुराज पार्टी की भीड़ में परिणत हो सकती है।
एमआईएम की तर्ज पर प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने भी संपूर्ण सीमांचल में अपना संगठन स्थापित कर लिया है और कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि एमआईएम की तरह ही राजनीतिक दलों के निराश टिकटार्थियों का तबका इस सीमांचल में जन सुराज पार्टी की चुनावी रथ का सारथी बनने की होड़ में शामिल होता जा रहा है।
लिहाजा , इस सीमांचल में निराश नेताओं के लिए संभावनाओं की एक डगर जहां इस बार भी एमआईएम बनने वाली है तो दूसरी ओर , वैसे ही निराश टिकटार्थियों के लिए चुनावी संभावनाओं की दूसरी डगर जन सुराज पार्टी बनने वाली है।
इस क्रम में सीमांचल के क्षेत्र के लिए तीसरी राह पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव भी बनते दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेस के लिए स्वयं को समर्पित करने वाले सांसद पप्पू यादव को कांग्रेस की सदस्यता अभी तक नहीं मिली है और पप्पू यादव के निशाने पर बिहार की तेजस्वी यादव वाली राजद लगातार बनी हुई है तो ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि जहां जहां राजद की चुनावी पैतरेबाजी शुरू होगी वहां वहां पूर्णिया सांसद पप्पू यादव के अपनों का चुनावी शंखनाद हर हाल में होना निश्चित है।जिसके अंतर्गत राजद और बीजेपी के निराश टिकटार्थियों के तबके का ही चुनावी शंखनाद होना तय है।