नेपाल की नई अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की | चुनाव और चुनौतियाँ

नेपाल में बड़ी राजनीतिक हलचल के बीच सुप्रीम कोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने अंतरिम प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है। उन्हें छह महीने के भीतर चुनाव कराकर नई सरकार गठन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। हालांकि यह राह आसान नहीं मानी जा रही, क्योंकि आंदोलनरत जेन-ज़ेड युवाओं ने प्रदेश व्यवस्था को खत्म करने, सभी भ्रातृ संगठनों को भंग करने, प्रत्यक्ष निर्वाचित प्रधानमंत्री की व्यवस्था लागू करने और संविधान संशोधन जैसी मांगें रखी हैं। इन दबावों के कारण सरकार के सामने संकट की स्थिति बनी हुई है। जानकारों का मानना है कि हालात 2002 जैसी स्थिति भी पैदा कर सकते हैं, जब चुनाव न होने पर सत्ता राजा के हाथ में चली गई थी। फिर भी, उम्मीद की जा रही है कि कार्की के नेतृत्व में नेपाल शांति व्यवस्था कायम रख पाएगा और समय पर चुनाव संभव हो सकेगा। इस बीच नेपाल में कर्फ्यू जारी है, लेकिन सीमाई इलाकों में भारतीय नागरिकों को उपचार हेतु प्रवेश की अनुमति मिल रही है।

नेपाल की नई अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की | चुनाव और चुनौतियाँ
  • अंततः पूर्व न्यायाधीश सुशीला कार्की ने नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली
  • छह महीने के भीतर चुनाव करा कर नई नेपाल सरकार के गठन की प्रक्रिया करनी होगी पूरी
  • आंदोलनरत जेन जैड मूवमेंट युवाहरू की मांगों का पुलिंदा भी अंतरिम सरकार के माथे पर

सीमांचल/भारत नेपाल सीमा(अशोक/विशाल)

ताजा तरीन खबरों के अनुसार , नेपाल बड़ी तेज़ी से शांति व्यवस्था कायम करने की ओर अग्रसर हो रही है और इस बीच नेपाल में नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को नेपाल की अंतरिम  प्रधानमंत्री के रूप में घोषित कर दिया गया है।

पूर्व न्यायधीश सुशीला कार्की को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने के बाद शुक्रवार की ही रात्रि में करीब 9 बजे नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री पद का शपथ ग्रहण करा दिया गया।

राष्ट्रपति कार्यालय के प्रेस सल्लाहकार किरण पोखरेल के अनुसार , इसके तुरंत बाद मंत्रिपरिषद की बैठक सुनिश्चित की गई जिसमें संसद विघटन के का निर्णय की स्वीकृति प्रदान कर राष्ट्रपति के समक्ष पेश किया जाएगा व सहमति अनुसार इसको  राष्ट्रपति के द्वारा स्वीकृत किया जाएगा।

लेकिन , नेपाल की अंतरिम सरकार पर संकटकाल लागू रहेगा। क्योंकि 6 महीने के भीतर ही चुनाव करा कर नए सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू करनी होगी।

वैसे , बताया जाता है कि फिलहाल यह प्रक्रिया नेपाल में आसान नहीं है। क्योंकि , आन्दोलनरत जेन-जी युवाहरू की मांग के अनुसार , प्रदेश को खारिज करने , पार्टी के सभी भ्रातृ संगठन को समाप्त करने , प्रत्यक्ष निर्वाचित प्रधानमंत्री का चयन करने , संविधान का संशोधन करने , जैसे कई मांग हैं , जिसे पूरा करने का दबाव जारी रखा जा सकता है।

जानकार बताते हैं कि पूर्व के अप्रैल 2002 में भी नेपाल में यही स्थिति बनी थी। जिसमें उस वक्त के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउवा ने संसद विघटन कर चुनाव की घोषणा की थी। लेकिन  , चुनाव समय पर नहीं हो पाने के कारण सत्ता की बागडोर राजा ज्ञानेंद्र को सौंप दी गई थी। 

अब देखने वाली बात यह होगी कि नेपाल की अंतरिम सरकार की पूर्व न्यायाधीश प्रधानमंत्री सुशीला कार्की के नेतृत्व में नेपाल में शांति व्यवस्था की स्थिति किस हद तक कायम रह पाती है और आने वाले छह महीने के भीतर चुनाव संपन्न कराकर नई नेपाल सरकार के गठन की प्रक्रिया में प्रधानमंत्री सुशीला कार्की के नेतृत्व वाली सरकार किस हद तक कामयाब हो पाती है।

इस बीच नेपाल में काफी हद तक स्थिति में सुधार दीख रहे हैं। शुक्रवार को भी कर्फ्यू जारी रहे।लेकिन , भारतीय नागरिकों को इलाज़ के लिए नेपाल में प्रवेश मिलने शुरू हो गए हैं और इस क्रम में भारतीयों को अपना पहचान पत्र दिखाकर ही नेपाल सीमा के भीतर प्रवेश करने की छूट दी गई है। वैसे , संभावना व्यक्त किए जा रहे हैं कि अगले एक दो दिन में नेपाल का संपूर्ण जन जीवन सामान्य हो जाएगा।