क्या महागठबंधन की एकजुटता को दरका कर अपने मन की राजनीति को अंजाम दिलाने पर आमादा हैं पूर्व जदयू विधायक मुजाहिद आलम

बिहार कांग्रेस के इकलौता सिटिंग क्षेत्र किशनगंज संसदीय क्षेत्र में उबल रहे हैं यह सवाल

क्या महागठबंधन की एकजुटता को दरका कर अपने मन की राजनीति को अंजाम दिलाने पर  आमादा हैं पूर्व जदयू विधायक मुजाहिद आलम

सीमांचल (अशोक/विशाल)

बिहार भर में कांग्रेस पार्टी की एक मात्र सिटिंग संसदीय सीट किशनगंज संसदीय क्षेत्र के सांसद डॉ जावेद आजाद को उखाड़ फेंकने के लिए बिहार की सत्तारूढ़ महागठबंधन के नेतृत्वकर्ता दल जदयू के पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम ही एक ओर जी जान से लग गए हैं तो दूसरी ओर किशनगंज संसदीय क्षेत्र के कांग्रेस सांसद डॉ जावेद आजाद को ही नहीं वल्कि कांग्रेस सहित संपूर्ण महागठबंधन को ही उखाड़ फेंकने की राजनीति में बिहार प्रदेश ए आई एम आई एम के बिहार प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्णिया जिले के अमौर विधान सभा क्षेत्र के सिटिंग एम आई एम विधायक अख्तरूल ईमान ने जी जान लगा रखा है।

महागठबंधन के नेतृत्वकर्ता दल जदयू के पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम ने किशनगंज संसदीय क्षेत्र के सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के बिहार भर के इकलौते किशनगंज सांसद डॉ जावेद आजाद के विरूद्ध इसलिए मोर्चा खोल रखा है कि वह स्वयं उक्त सीट के लिए अगले लोकसभा चुनाव में बतौर दावेदार कूदने की तैयारी में हैं और महागठबंधन धर्म को इस बाबत ठेंगा दिखाने पर आमादा हैं।

जाहिर सी बात है कि जदयू के पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम की इस तरह की राजनीतिक गतिविधियों के लिए बिहार जदयू के आका और बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही जिम्मेवार माना जा रहा है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान से ही किशनगंज संसदीय क्षेत्र पूरी तरह से जदयू मुक्त क्षेत्र बना हुआ है जबकि बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के आका नीतीश कुमार की शुरू से ही प्रबल इच्छा रही है कि बिहार के सबसे बड़े मुस्लिम बहुल क्षेत्र किशनगंज संसदीय क्षेत्र के विधान सभा क्षेत्रों से लेकर लोकसभा की सीट तक पर सदैव ज्यादा से ज्यादा संख्या में जदयू का पताका फहराता रहे।

नीतीश कुमार की ऐसी चाहत की परख करते हुए ही किशनगंज जिले के पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम की वर्तमान राजनैतिक गतिविधियों को लेकर लोगबाग नीतीश कुमार को ही जिम्मेवार मान रहे हैं और इसके दुष्परिणाम स्वरूप आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा एनडीए के लिए सुगम रास्ते बनने की आशंका व्यक्त करने लगे हैं।

लेकिन , कांग्रेस के किशनगंज विधान सभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक इजहारूल हुसैन कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी के मुहब्बत भरे राजनीतिक फरमानों का प्रचार प्रसार करते हुए किशनगंज संसदीय क्षेत्र की जनता को जदयू के पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम की गतिविधियों से होशियार करना शुरू कर दिया है और जदयू के पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम को महागठबंधन में लगे घून की संज्ञा देना शुरू कर दिया है। जनता को पूर्व जदयू विधायक मुजाहिद आलम से सचेत रहने की सलाह देते हुए कांग्रेस विधायक इजहारूल हुसैन कहते फिर रहे हैं कि केन्द्र की सत्तारूढ़ दल भाजपा एनडीए सरकार के इशारे पर ही पूर्व जदयू विधायक मुजाहिद आलम ने महागठबंधन विरोधी राजनीतिक गतिविधियां किशनगंज संसदीय क्षेत्र में चलायी हैं।

कुछ इसी तरह की प्रतिक्रिया किशनगंज जिले के बहादुरगंज विधान सभा क्षेत्र के वर्तमान राजद विधायक अंजार नईमी और बायसी विधान सभा क्षेत्र के वर्तमान राजद विधायक सैयद रूकनुद्दीन अहमद ने भी व्यक्त की है और किशनगंज संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के सिटिंग सांसद डॉ जावेद आजाद के स्थापित रहने के बावजूद भी जदयू के पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम के द्वारा किशनगंज संसदीय क्षेत्र के विधान सभा क्षेत्रों में घूम घूम कर चुनावी जमीन तराशने वाली गतिविधि को महागठबंधन धर्म के विरूद्ध वाली राजनीति बता रहे हैं।

दोनों विधायकों का मानना है कि पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम की गतिविधियों से महागठबंधन की एकता पर किशनगंज संसदीय क्षेत्र में सवाल खड़ा होना शुरू हो गया है और उनकी ऐसी गतिविधियों से एमआईएम की महागठबंधन विरोधी राजनीति को ताकत मिल रहा है तो दूसरी ओर भाजपाइयों का हौंसला आफजाई हो रहा है।

इस सन्दर्भ में सबसे बड़ी चिंता की बात तो यह बतायी जा रही है कि पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम वर्तमान महागठबंधन वाली राजद कांग्रेस जदयू सरकार के राजद और कांग्रेस के विधायकों की उपलब्धियों को भी अपनी व्यक्तिगत राजनीति की उपलब्धि बताने का प्रयास जनता के बीच करना शुरू कर दिए हैं जिससे जनता भी इसलिए दिग्भ्रमित होने लग गई है क्योंकि नीतीश कुमार से अपने मधुर संबंध का ढ़ोल पीटते हुए पूर्व जदयू विधायक मुजाहिद आलम कहते फिर रहे हैं कि अमुक सड़कें उन्हीं के प्रयासों से बनी या बननी शुरू हुई है तो अमुक पुल पुलिये भी उन्हीं के प्रयासों की देन हैं।

चर्चा है कि पूर्व जदयू विधायक मुजाहिद आलम की इस तरह की थोथी दलील से बहादुरगंज विधान सभा क्षेत्र की टेढ़ागाछ वाली सड़क निर्माण की योजना की स्वीकृति से प्रफुल्लित जनता दिग्भ्रमित होने लगी कि हमारे सिटिंग विधायक की उपलब्धि को अपनी उपलब्धि बताकर जनता के बीच थोथी शेखी बघारने वाले पूर्व जदयू विधायक मुजाहिद आलम कहीं बीजेपी को लाभान्वित करने वाली राजनीति करने पर तो आमादा नहीं हो गए हैं।

चर्चा है कि मुजाहिद आलम लंबे अरसे से एक बार लोक सभा का चुनाव लड़ने की ललक में रहे हैं लेकिन महागठबंधन में जदयू कांग्रेस राजद के मिश्रण को लेकर वह किशनगंज संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ नहीं सकते हैं और हार पछता कर उन्हें इस बार के संसदीय चुनाव में कांग्रेस के सिटिंग किशनगंज सांसद को ही समर्थन करने की मजबूरी उठानी पड़ेगी। दूसरी ओर उनके लिए उनकी पुरानी विधान सभा क्षेत्र की सीट कोचाधामन से भी 2025 के अगले विधान सभा चुनाव में जदयू की टिकट पर चुनाव लड़ना मुश्किल हो जा सकता है और वह तभी उक्त सीट से चुनाव मैदान में कूद सकते हैं जब महागठबंधन की झुंड से जदयू निकल पड़े अथवा वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ें अथवा वह जदयू और महागठबंधन को तिलांजलि देकर भाजपा या एमआईएम की शरण में जा समाएं।

क्षेत्र भर में भी ये सवाल खड़े हैं और चर्चा में हैं। सवाल उछल रहे हैं कि अगर दगाबाजी की राजनीति पर मुजाहिद आलम उतारू नहीं हैं तो फिर क्या कारण है कि वह एक तरफ से किशनगंज संसदीय क्षेत्र के सभी छह विधानसभा क्षेत्रों के छहों विधायकों के खिलाफ जनता को भड़काने बरगलाने में लग गए हैं और दूसरी ओर वह महागठबंधन की एकजुटता का राग भी अलाप रहे हैं। कुलमिलाकर एक अबूझ पहेली बनते जा रहे हैं पूर्व जदयू विधायक मुजाहिद आलम और उनके पार्टी आलाकमान उनकी ऐसी गतिविधियों पर रोक नहीं लगाकर अनवरत चुप्पी साधे बैठे हुए हैं जिससे जनता की नजर में आलाकमान भी संदेह के दायरे में आ रहे हैं और इसके कारण भाजपा और जदयू मुक्त संसदीय क्षेत्र किशनगंज में महागठबंधन में दरार पैदा होने लग गए हैं।

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