वक्फ बिल तुरंत वापस लिया जाए, यह संविधान के खिलाफ है-मौलाना सहेले अख्तर कासमी
मदरसा बदरुल उलूम, मेहगावां, गोडा (झारखंड) में 5 सितंबर 2024 को आयोजित एक परामर्श बैठक में इमारत-ए-शरिया के उप काज़ी मौलाना सहेले अख्तर कासमी ने वक्फ संशोधन बिल 2024 की कड़ी आलोचना की। उन्होंने इसे संविधान के खिलाफ और मुसलमानों के धार्मिक मामलों में अनुचित हस्तक्षेप बताया। मौलाना कासमी ने सरकार से बिल को तुरंत वापस लेने की मांग की और सुझाव दिया कि वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए बेहतर संशोधन किए जाएं। उन्होंने बताया कि 15 सितंबर 2024 को पटना में एक महत्वपूर्ण 'वक्फ संरक्षण सम्मेलन' आयोजित होगा, जिसमें इस बिल के कानूनी पहलुओं पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक में अन्य विद्वानों ने भी अपने विचार व्यक्त किए और आंदोलन को मजबूत करने के तरीके सुझाए। इमारत-ए-शरिया के तहत, मौलाना सहेले अख्तर कासमी झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र का दौरा कर लोगों को जागरूक कर रहे हैं और वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए प्रयास कर रहे हैं।

बिहार मंथन डेस्क
झारखंड के गोडा जिले के मेहगावां स्थित मदरसा बदरुल उलूम में 5 सितंबर 2024 को आयोजित एक परामर्श बैठक में, फुलवारी शरीफ पटना स्थित इमारत-ए-शरिया के उप काज़ी, मौलाना सहेले अख्तर कासमी ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए वक्फ संशोधन बिल 2024 पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहाँ विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं और देश का संविधान हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने और उस पर विश्वास रखने का अधिकार देता है।
मौलाना कासमी ने कहा कि वक्फ से जुड़े मामले पूरी तरह से इस्लामी और धार्मिक होते हैं, और इनमें सरकार का हस्तक्षेप उचित नहीं है। सरकार द्वारा लाए गए वक्फ संशोधन बिल 2024 को मुसलमानों के धार्मिक मामलों में दखलंदाजी के रूप में देखा जा रहा है, जो संविधान के खिलाफ है। उन्होंने सरकार से इस बिल को तुरंत वापस लेने की मांग की क्योंकि यह संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार को किसी प्रकार का संशोधन करना है, तो वह ऐसा संशोधन करे जिससे वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। अगर किसी ने वक्फ संपत्ति पर कब्जा कर लिया है, तो सरकार को तत्काल कार्रवाई करते हुए उस संपत्ति को वक्फ बोर्ड को सौंपना चाहिए।
15 सितंबर को पटना में वक्फ सम्मेलन का आयोजन
मौलाना सहेले अख्तर कासमी ने जानकारी दी कि 15 सितंबर 2024 को पटना के बापू सभागार हॉल में एक महत्वपूर्ण 'वक्फ संरक्षण सम्मेलन' आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन में वक्फ संशोधन बिल 2024 के दोषों का कानूनी विश्लेषण किया जाएगा, और इस मुद्दे पर विद्वानों और मुस्लिम नेताओं के विचार प्रस्तुत किए जाएंगे। सम्मेलन की अध्यक्षता अमीर-ए-शरीयत मौलाना सैयद अहमद वली फैसल रहमानी करेंगे, जबकि देशभर के प्रमुख विद्वान, वकील और कानूनी विशेषज्ञ अपने विचार रखेंगे। मौलाना ने सभी से इस सम्मेलन में भाग लेकर समाज को जागरूक करने की अपील की।
इस परामर्श बैठक का संचालन गोडा के दार-उल-क़ज़ा के काज़ी मौलाना सैयद सैयदुद्दीन मिज़ाहिरी ने किया। उन्होंने वक्फ बिल के दोषों पर विस्तार से चर्चा की और इसके खिलाफ आंदोलन को कैसे मजबूत किया जाए, इस पर अपने विचार साझा किए। मौलाना शम्स परवेज मिज़ाहिरी ने बैठक में सुझाव दिया कि इस आंदोलन को टीमवर्क के माध्यम से आगे बढ़ाया जाए। इसके लिए एक समिति भी बनाई गई जो ब्लॉक स्तर पर जाकर लोगों को जागरूक करेगी।
अन्य वक्ताओं के विचार
मौलाना हामिद अल-ग़ाज़ी, मदरसा हसीना दघी के प्रिंसिपल, ने वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए इस आंदोलन को बड़े स्तर पर चलाने का आह्वान किया। मौलाना सलीमुद्दीन मिज़ाहिरी ने सुझाव दिया कि मस्जिदों के इमामों को जोड़कर इस मुद्दे को और प्रभावी बनाया जाए। मौलाना यासीन रहमानी ने सुझाव दिया कि जुमे की नमाज में इस मुद्दे पर चर्चा की जाए ताकि आम जनता को जागरूक किया जा सके। बैठक में उपस्थित अन्य विद्वानों ने भी अपने विचार व्यक्त किए और आंदोलन को मजबूत करने के तरीके सुझाए।
इमारत-ए-शरिया की पहल
मौलाना सहेले अख्तर कासमी फिलहाल झारखंड के संथाल परगना कमिश्नरी के दौरे पर हैं, और उन्होंने देवघर, जामताड़ा, दुमका, पाकुड़ और साहिबगंज के विभिन्न ब्लॉकों में बैठकें की हैं। उनके साथ मौलाना सरफराज भी इस अभियान को सफल बनाने में जुटे हुए हैं और हर स्थान पर परामर्श बैठकों में सहयोग कर रहे हैं।
इस बैठक का समापन मौलाना इदरीस मिज़ाहिरी की दुआ से हुआ, जिसमें क्षेत्र के कई प्रमुख विद्वानों, मस्जिदों के इमामों और बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया।