मल्लिकार्जुन खरगे का भरोसा और भारतीय राजनीति में आरक्षण की स्थिति

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें SC-ST वर्ग के लिए आरक्षण में क्रिमी लेयर की अवधारणा पर चर्चा की गई। खरगे ने स्पष्ट किया कि आरक्षण का उद्देश्य सामाजिक अस्पृश्यता और छुआछूत को समाप्त करना था, न कि किसी समुदाय की आर्थिक स्थिति को सुधारना। उन्होंने बताया कि 70 सालों के बावजूद SC-ST समुदायों की सरकारी नौकरियों में सीमित भागीदारी है, जो यह दर्शाता है कि ये समुदाय सामान्य वर्ग के लोगों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं। खरगे ने भाजपा की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार धीरे-धीरे सरकारी नौकरियों को समाप्त कर रही है और आरक्षण पर हमला कर रही है। कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर रही है और विभिन्न विशेषज्ञों और एनजीओ के साथ परामर्श कर रही है।

मल्लिकार्जुन खरगे का भरोसा और भारतीय राजनीति में आरक्षण की स्थिति

कौसर सुल्तान, अध्यक्ष, जमुई जिला माइनॉरिटी कांग्रेस 

  • खरगे की प्रतिक्रिया: मल्लिकार्जुन खरगे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी असहमति जताई।
  • सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: SC-ST आरक्षण में क्रिमी लेयर की अवधारणा पर विवाद।
  • आरक्षण का उद्देश्य: सामाजिक अस्पृश्यता को समाप्त करने की दिशा में प्रयास।
  • कांग्रेस पार्टी ने भाजपा की नीतियों की आलोचना की।
  • सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व: SC-ST समुदाय की नौकरियों में सीमित भागीदारी।
  • संविधान संशोधन की मांग: आरक्षण मुद्दे पर संविधान संशोधन की आवश्यकता पर जोर।

मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष, ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया जिसमें उन्होंने भारतीय सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले की ओर इशारा किया। यह निर्णय, जो कि सुप्रीम कोर्ट के 7-जजों की बेंच द्वारा सुनाया गया, SC-ST वर्ग के लिए सब-कैटिगोराइजेशन और क्रिमी लेयर की अवधारणा पर केंद्रित था। खरगे का यह वक्तव्य न केवल इस निर्णय की आलोचना करता है बल्कि भारतीय आरक्षण प्रणाली के मूलभूत उद्देश्यों और उसके वर्तमान परिदृश्य पर भी प्रकाश डालता है।

 सुप्रीम कोर्ट का निर्णय और कांग्रेस की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जिसमें SC-ST वर्ग के आरक्षण में क्रिमी लेयर की बात की गई, ने आरक्षण की अवधारणा को लेकर एक नई बहस को जन्म दिया है। मल्लिकार्जुन खरगे ने इस पर स्पष्ट रूप से अपनी असहमति जताई और कांग्रेस पार्टी की स्थिति को स्पष्ट किया। उनका कहना था कि इस फैसले ने उन मूल कारणों को नजरअंदाज किया है जिनके चलते आरक्षण की आवश्यकता महसूस की गई थी।

खरगे ने बताया कि भारत में Scheduled Castes (SC) के लोगों को आरक्षण सबसे पहले बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के पुणा पैक्ट के माध्यम से मिला था। इसके बाद, पंडित नेहरू और महात्मा गांधी के योगदान से इसे भारतीय संविधान में मान्यता दी गई और यह व्यवस्था नौकरी और शैक्षिक संस्थानों में लागू की गई। बावजूद इसके, 70 वर्षों के बाद भी SC और ST समुदायों के लोगों की सरकारी नौकरियों में भागीदारी सीमित रही है। यह संकेत करता है कि इन वर्गों के लोग सामान्य वर्ग के लोगों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं।

आरक्षण का उद्देश्य और वर्तमान स्थिति

मल्लिकार्जुन खरगे ने जोर देकर कहा कि आरक्षण का मुख्य उद्देश्य समाज में फैली अस्पृश्यता और छुआछूत को समाप्त करना था, न कि किसी समुदाय या व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को सुधारना। उन्होंने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित किया कि समाज में अस्पृश्यता अभी भी मौजूद है और कई उदाहरण रोज़ सामने आते हैं। इसलिए, SC-ST समुदाय में क्रिमी लेयर की अवधारणा पर चर्चा करना न केवल गलत है बल्कि इसके लिए लड़ाई को कमजोर करता है।

 कांग्रेस की नीति और भाजपा की आलोचना

खरगे ने भाजपा की आलोचना की, यह कहते हुए कि एक तरफ सरकार धीरे-धीरे सरकारी पीएसयू को बेचकर नौकरियों को समाप्त कर रही है और दूसरी तरफ, भाजपा की दलित-आदिवासी मानसिकता आरक्षण पर लगातार हमला कर रही है। उनका कहना था कि अगर सरकार चाहती तो इस मुद्दे को संविधान संशोधन के माध्यम से सुलझाया जा सकता था, जैसा कि मोदी सरकार ने 2-3 घंटे के भीतर नए बिल लाने की क्षमता दिखायी है।

 भविष्य की योजना और परामर्श

मल्लिकार्जुन खरगे ने बताया कि कांग्रेस इस निर्णय की बारीकियों पर विचार करने के लिए विभिन्न लोगों, विशेषज्ञों, और एनजीओ के साथ परामर्श कर रही है। यह संकेत करता है कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर रही है और इसके समाधान के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाने का प्रयास कर रही है।

 निष्कर्ष

मल्लिकार्जुन खरगे का यह वक्तव्य भारतीय राजनीति में आरक्षण के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण संवाद को जन्म देता है। उनके बयान से स्पष्ट होता है कि कांग्रेस पार्टी आरक्षण की मूल अवधारणा को बनाए रखने की पक्षधर है और किसी भी ऐसी व्यवस्था का विरोध करती है जो इस सामाजिक न्याय के मूलभूत उद्देश्यों को कमजोर करे। भाजपा की नीतियों की आलोचना करते हुए खरगे ने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस पार्टी सामाजिक समानता और न्याय के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में निरंतर प्रयासरत रहेगी।