तूफ़ान अल अक्सा ऑपरेशन और गज़ा पट्टी: एक साल का संघर्ष और विनाश
7 अक्टूबर 2023 को, हमास ने इसराइल पर एक अभूतपूर्व हमला करते हुए "तूफ़ान अल अक्सा ऑपरेशन" की शुरुआत की। इस हमले की योजना लंबे समय से बनाई जा रही थी, और हमास ने इसराइल के कई प्रमुख क्षेत्रों पर नियंत्रण कर लिया। इस हमले ने इसराइल की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती दी, जिसमें कई इसराइली नागरिक और सैनिक मारे गए। इसराइल ने इस हमले के जवाब में गज़ा पट्टी पर भारी हवाई हमले शुरू किए, जिससे क्षेत्र का व्यापक विनाश हुआ। बिजली, पानी और अन्य बुनियादी सेवाओं को नष्ट कर दिया गया, और गज़ा पट्टी मलबे में तब्दील हो गई। इसके बावजूद हमास का प्रतिरोध जारी रहा, उन्होंने रॉकेट हमलों और गुरिल्ला युद्ध के जरिए इसराइली सेना का मुकाबला किया। संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इसराइली हमलों की आलोचना की, लेकिन ठोस कार्रवाई से बचते रहे। इसराइल को पश्चिमी देशों का समर्थन प्राप्त था, जबकि गज़ा में हो रहे मानवाधिकार हनन पर अंतरराष्ट्रीय ध्यान अपेक्षाकृत कम रहा। यह संघर्ष फिलिस्तीन की आज़ादी के संघर्ष और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जटिल समीकरणों को उजागर करता है।

फैसल सुल्तान
7 अक्टूबर 2023, इतिहास में एक ऐसी तारीख बन गई जब इसराइल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे अवैध कब्ज़े और आज़ादी के संघर्ष ने एक नया मोड़ लिया। इस दिन तूफान अलक्स ऑपरेशन की शुरुआत हुई, जो एक व्यापक सैन्य टकराव था। इस ऑपरेशन ने गज़ा पट्टी को विनाश की कगार पर ला दिया, जिसमें हजारों लोग मारे गए, और लाखों बेघर हो गए। इस लेख में, हम इसराइल और फिलिस्तीन के बीच एक साल तक चले इस संघर्ष का विस्तार से विश्लेषण करेंगे।
ऑपरेशन की शुरुआत और पृष्ठभूमि
तूफ़ान अल अक्सा ऑपरेशन, 7 अक्टूबर 2023 को शुरू किया गया, फिलिस्तीनी रेजिस्टेंस फोर्स, विशेषकर हमास द्वारा इसराइल पर अब तक का सबसे बड़ा हमला था। यह हमला केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं था, बल्कि फिलिस्तीनियों के दशकों से चले आ रहे संघर्ष और प्रतिरोध का प्रतीक था। इस ऑपरेशन की योजना लगभग दो सालों से बनाई जा रही थी, जिसका नेतृत्व हमास के वरिष्ठ कमांडर मोहम्मद अ जैफ ने किया। इस हमले की सफलता ने पूरे क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को हिलाकर रख दिया।
इसराइल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष का इतिहास दशकों पुराना है। 1948 में इसराइल की स्थापना के बाद से फिलिस्तीनियों को उनके घरों से विस्थापित किया गया और गज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक जैसे छोटे क्षेत्रों में सीमित कर दिया गया। इस संघर्ष का मुख्य कारण जमीन, पहचान, और संप्रभुता की लड़ाई रही है। फिलिस्तीनी लोग इसराइली कब्जे और सेना द्वारा लगातार दबाव में रहे हैं, जबकि इसराइल ने अपने देश की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए कठोर सैन्य और कूटनीतिक कदम उठाए हैं। हमास जैसी फिलिस्तीनी संगठनों ने इसराइल के कब्जे के खिलाफ लगातार प्रतिरोध किया है, जिनमें कई बार सशस्त्र संघर्ष शामिल रहा है।
इस ऑपरेशन की योजना की जड़ें गहरे बैठी हैं। हमास ने इसराइल की सेना और सुरक्षा प्रणाली का बारीकी से अध्ययन किया, और इसे कमजोर करने की योजना तैयार की। हमास ने अपनी रणनीति के तहत कई मोर्चों पर हमले करने का निर्णय लिया, जिसमें इसराइली सीमा के भीतर घुसपैठ करना और प्रमुख सैन्य ठिकानों और नागरिक स्थलों पर हमला करना शामिल था। मोहम्मद अ जैफ, जो हमास के सैन्य प्रमुख हैं, ने इस ऑपरेशन को संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
तूफ़ान अल अक्सा ऑपरेशन के तहत हमास ने इसराइल की सीमा में लगभग 40 किलोमीटर के क्षेत्र पर नियंत्रण हासिल कर लिया। यह एक बड़ी सैन्य और सामरिक जीत थी, क्योंकि इसराइल की सुरक्षा व्यवस्था, जिसे दुनिया की सबसे सख्त सुरक्षा प्रणालियों में से एक माना जाता है, इस हमले के सामने बुरी तरह से विफल हो गई। आयरन डोम, डेविड स्लिंग, और एरो सिस्टम जैसी इसराइल की उन्नत मिसाइल रक्षा तकनीकें इस हमले को रोकने में नाकाम रहीं। यह पहली बार था कि इसराइल की सुरक्षा प्रणाली इस हद तक विफल हुई थी।
इस ऑपरेशन के परिणामस्वरूप इसराइल को अभूतपूर्व झटका लगा। इसराइली सेना और नागरिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा, जिसमें 1,200 से अधिक इसराइली सैनिक और नागरिक मारे गए। हमास ने कई इसराइली नागरिकों और सैनिकों को बंधक बना लिया, जिससे इसराइल सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा।
हमास के इस हमले का उद्देश्य केवल सैन्य दबाव डालना नहीं था, बल्कि यह इसराइल के कब्जे वाले क्षेत्रों से फिलिस्तीनी लोगों को मुक्त कराने की लंबी चलने वाली लड़ाई का हिस्सा था। हमास का कहना था कि यह हमला उन फिलिस्तीनी परिवारों के प्रति न्याय का प्रतीक है जो दशकों से विस्थापन, उत्पीड़न और हाशिए पर रह रहे हैं। इसराइल द्वारा गज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक में किए गए अत्याचारों का यह प्रतिशोध था।
इसराइल ने हमास के इस हमले के जवाब में गज़ा पट्टी पर बड़े पैमाने पर हवाई और जमीनी हमले शुरू किए। इसराइली प्रधानमंत्री और सुरक्षा तंत्र ने इसे अपने देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा माना और इसके खिलाफ पूरी ताकत से कार्रवाई की। हालांकि, इसराइल के लिए यह हमला उसकी प्रतिष्ठा पर भी बड़ा धक्का था। जिस प्रकार से हमास ने इसराइल की सुरक्षा प्रणाली को ध्वस्त किया, उसने यह साबित कर दिया कि इसराइल अजेय नहीं है।
तूफ़ान अल अक्सा ऑपरेशन के बाद दुनिया भर में प्रतिक्रियाएँ आईं। कई देशों ने इस हमले की निंदा की और इसे आतंकवादी हमला करार दिया, जबकि कई देशों और संगठनों ने इसे फिलिस्तीनी स्वतंत्रता संघर्ष का एक अहम कदम बताया। इस हमले ने एक बार फिर इसराइल-फिलिस्तीन संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा के केंद्र में ला दिया।
तूफ़ान अल अक्सा ऑपरेशन सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह फिलिस्तीनियों की उस लंबी और दर्दनाक संघर्ष की अभिव्यक्ति थी, जो उन्होंने दशकों से इसराइल के कब्जे और अत्याचारों के खिलाफ लड़ा है। हमास के इस ऑपरेशन ने इसराइल की सुरक्षा प्रणाली को हिला कर रख दिया और पूरे मध्य पूर्व में अस्थिरता का एक नया दौर शुरू कर दिया। यह हमला इस बात की ओर भी इशारा करता है कि फिलिस्तीनी संघर्ष को दबाया नहीं जा सकता, बल्कि इसे बातचीत और न्याय के माध्यम से सुलझाने की जरूरत है।
इसराइल की प्रतिक्रिया और गज़ा पट्टी पर हमले
7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा शुरू किए गए तूफ़ान अल अक्सा ऑपरेशन के बाद, इसराइल ने तेजी से जवाबी कार्रवाई की। 8 अक्टूबर को इसराइल ने हमास के हमले के जवाब में गज़ा पट्टी पर व्यापक हवाई हमले शुरू किए और औपचारिक रूप से युद्ध की घोषणा कर दी। इसराइल का दावा था कि इन हमलों का उद्देश्य हमास के ठिकानों को नष्ट करना और सुरक्षा सुनिश्चित करना था, लेकिन इन हमलों ने गज़ा के आम नागरिक इलाकों पर गहरा असर डाला। इसराइल की वायु सेना ने गज़ा के कई प्रमुख ढांचों को निशाना बनाया, जिसमें रिहायशी इमारतें, सरकारी कार्यालय और बुनियादी सेवाओं से जुड़े ढांचे शामिल थे। हमलों के दौरान बिजली और जल आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाएं पूरी तरह से काट दी गईं, जिससे गज़ा के निवासियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। गज़ा पट्टी के लोग अंधेरे में रहने और पानी जैसी जरूरी चीजों की कमी से जूझने पर मजबूर हो गए।
संयुक्त राष्ट्र और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इसराइल को बार-बार चेतावनी दी कि वह नागरिकों और जरूरी बुनियादी ढांचे को निशाना न बनाए, लेकिन इसराइल की सेना ने अपनी कार्रवाई जारी रखी। हवाई हमलों के चलते गज़ा में बड़े पैमाने पर विनाश हुआ, जिससे पहले से ही संकटग्रस्त क्षेत्र में हालात और खराब हो गए।
गज़ा की स्थिति 2022 और 2024 के बीच की तस्वीरों में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। 2022 में गज़ा में अभी भी इमारतें और संरचनाएं खड़ी थीं, हालांकि कई जगहों पर वे क्षतिग्रस्त थीं। लेकिन 2024 तक, इसराइली हमलों के बाद गज़ा पट्टी मलबे का ढेर बन चुकी थी। इमारतों के अवशेष, बर्बाद सड़कों और नष्ट हो चुकी बुनियादी सुविधाओं ने इसराइल की बमबारी की तबाही को दर्शाया।
इन हमलों के चलते गज़ा में एक मानवीय संकट पैदा हो गया। न केवल हजारों लोग मारे गए और घायल हुए, बल्कि लाखों लोग विस्थापित हो गए। अस्पतालों में दवाओं और बिजली की भारी कमी थी, जिससे घायल नागरिकों का इलाज करना मुश्किल हो गया। इसराइल की इस सैन्य कार्रवाई का सबसे बड़ा नुकसान आम फिलिस्तीनी नागरिकों को उठाना पड़ा, जिनके पास न तो सुरक्षित ठिकाने थे और न ही बुनियादी सुविधाएं।
तूफ़ान अल अक्सा ऑपरेशन और उसके बाद इसराइल की प्रतिक्रिया ने एक बार फिर इसराइल-फिलिस्तीन संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया। इसराइल के हवाई हमलों ने गज़ा पट्टी को तबाह कर दिया, और हमास के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर हजारों नागरिक बुरी तरह प्रभावित हुए।
मानव हानि और तबाही
इस एक साल के संघर्ष में गज़ा के लोगों ने भयंकर नुकसान सहा है। गज़ा की स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 42,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं, और 96,000 से अधिक घायल हुए हैं। गज़ा की 22 लाख की आबादी में से 20 लाख लोग बेघर हो गए हैं, जो अब तंबुओं में रहने को मजबूर हैं। इस तबाही के बीच, इजराइल ने 1,000 से अधिक फिलिस्तीनियों को बंधक भी बना लिया है।
इजराइल की ओर भी गंभीर नुकसान हुआ है। हमास के हमले में अब तक 2,100 इसराइली नागरिक मारे गए हैं, जिनमें से अधिकतर सेना के जवान थे। इसके अलावा, इजराइल के 10,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं, और 8,000 इसराइली सैनिक मारे गए हैं। लगभग 10 लाख इसराइली नागरिक भी अपने घरों से पलायन करने पर मजबूर हुए हैं, क्योंकि उत्तरी इसराइल में हिज़्बुल्लाह द्वारा लगातार हमले किए जा रहे हैं।
हमास का प्रतिरोध और अंतरराष्ट्रीय समर्थन
तूफ़ान अल अक्सा ऑपरेशन, जिसे 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा शुरू किया गया, इसराइल-फिलिस्तीन संघर्ष का एक नया अध्याय है। हमास ने इस ऑपरेशन के तहत इसराइल पर अप्रत्याशित रूप से हमले किए, जिससे इसराइल के सुरक्षा तंत्र को गंभीर झटका लगा। इसराइल को अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों से भारी समर्थन प्राप्त है, जो उसके हवाई हमलों और सैन्य कार्रवाइयों को लेकर मौन या सहायक रहे हैं। इसके बावजूद, हमास ने अपने प्रतिरोध को जारी रखा है और एक साल बाद भी इसराइली सेना के खिलाफ डटा हुआ है।
हमास का प्रतिरोध मुख्य रूप से गज़ा पट्टी की तंग गलियों और संकरी बस्तियों में हो रहा है, जहां इसराइल की विशाल सैन्य शक्ति भी उन्हें पूरी तरह से रोक पाने में असफल रही है। हमास ने अपने रॉकेट हमलों को जारी रखते हुए इसराइली सैन्य ठिकानों और टैंकों को निशाना बनाया है। हमास के लड़ाके जमीनी स्तर पर इसराइली सेना के खिलाफ मोर्चा संभाल रहे हैं, जहां वे अपनी मजबूत नेटवर्किंग, स्थानीय समर्थन, और पारंपरिक युद्धक तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस युद्ध के दौरान, हमास की रणनीति ने कई बार इसराइली सेना को गहरी मुश्किलों में डाल दिया है।
हमास के पास उन्नत सैन्य उपकरणों और संसाधनों की कमी के बावजूद, उसने गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाई है, जो उसे इसराइल की आधुनिक हवाई शक्ति के खिलाफ टिकाए रखे हुए है। गज़ा की तंग गलियां और भूमिगत सुरंगें हमास के लड़ाकों को सुरक्षा और प्रभावी हमले करने का मौका देती हैं। इस संघर्ष के दौरान, हमास ने अपने रॉकेट हमलों से इसराइल के कई महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाया, जिससे इसराइल की सैन्य स्थिति पर सवाल उठने लगे हैं।
इस संघर्ष में इसराइल को अमेरिका, यूरोप और अन्य पश्चिमी देशों का राजनीतिक और सैन्य समर्थन लगातार मिलता रहा है। अमेरिकी प्रशासन ने इसराइल के आत्मरक्षा के अधिकार का हवाला देते हुए उसे सैन्य सहायता और हथियारों की आपूर्ति जारी रखी है। यह समर्थन इसराइल को युद्ध के मैदान में एक मजबूत स्थिति में बनाए रखने के लिए अहम साबित हुआ है। इसराइल के पास अत्याधुनिक हवाई शक्ति, मिसाइल रोधी प्रणाली और टैंक हैं, जो उसे हमास के खिलाफ प्रबल बनाते हैं।
लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर, संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवाधिकार संगठनों ने इसराइल की सैन्य कार्रवाइयों और गज़ा पट्टी में हो रहे मानवाधिकार हनन पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। हालांकि, इसराइल के खिलाफ कठोर कदम उठाने में ये संगठन असफल रहे हैं, जिससे फिलिस्तीनी जनता की हालत और बदतर हो गई है। गज़ा के बुनियादी ढांचे पर किए गए इसराइली हमलों से अस्पताल, स्कूल, और रिहायशी इमारतें नष्ट हो चुकी हैं, लेकिन इस पर अंतरराष्ट्रीय मंचों से बहुत सीमित प्रतिक्रिया आई है।
इसराइली हमलों के चलते गज़ा पट्टी में एक बड़ा मानवाधिकार संकट खड़ा हो गया है। इस संघर्ष में हजारों फिलिस्तीनी नागरिक मारे गए हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। गज़ा में बिजली, पानी और स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो गई हैं, जिससे वहां की जनता को जीवन जीने के लिए बुनियादी जरूरतें भी नहीं मिल पा रही हैं।
संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने बार-बार इसराइल को संयम बरतने की अपील की है, लेकिन प्रभावी कदम उठाने में असमर्थ रहे हैं। इसराइल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में राजनीतिक समर्थन मिलने के कारण उसके खिलाफ कोई गंभीर कार्रवाई नहीं हो पाई है। इसके अलावा, दुनिया के कई हिस्सों में मीडिया का ध्यान इस संघर्ष से हटकर अन्य मुद्दों की ओर चला गया, जिससे गज़ा पट्टी में हो रहे मानवाधिकार हनन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया।
हमास का यह प्रतिरोध न केवल एक सैन्य संघर्ष है, बल्कि यह फिलिस्तीनी जनता के आत्मसम्मान और उनके स्वतंत्रता के अधिकार की लड़ाई भी है। इस ऑपरेशन के जरिए हमास ने दिखाया है कि भले ही इसराइल के पास आधुनिक सैन्य शक्ति हो, लेकिन जमीनी स्तर पर प्रतिरोध को खत्म करना इतना आसान नहीं है। इस संघर्ष ने यह भी स्पष्ट किया है कि जब तक फिलिस्तीनियों के अधिकारों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिलेगी और इसराइल द्वारा गज़ा पर की जा रही दमनकारी नीतियों का अंत नहीं होगा, तब तक यह संघर्ष समाप्त नहीं हो सकता।
तूफ़ान अल अक्सा ऑपरेशन ने इसराइल-फिलिस्तीन संघर्ष को एक नया मोड़ दिया है। हमास ने अपने प्रतिरोध से यह साबित कर दिया है कि भले ही इसराइल को अंतरराष्ट्रीय समर्थन प्राप्त हो, लेकिन फिलिस्तीनी जनता के आत्मसम्मान और स्वतंत्रता के संघर्ष को दबाया नहीं जा सकता। गज़ा में हो रहे मानवाधिकार हनन और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की असफलता ने इस संघर्ष को और जटिल बना दिया है। इसराइल की हवाई शक्ति और हमास के जमीनी प्रतिरोध के बीच जारी यह संघर्ष फिलहाल खत्म होता नहीं दिख रहा, और इसका सबसे बड़ा नुकसान गज़ा की आम जनता को हो रहा है।
भविष्य की संभावनाएँ और संघर्ष की दिशा
एक साल के संघर्ष के बाद, इसराइल अभी भी अपने लक्ष्यों को पूरी तरह से हासिल नहीं कर पाया है। भले ही गज़ा पट्टी को पूरी तरह से तबाह कर दिया गया हो, लेकिन हमास के लड़ाके अभी भी सक्रिय हैं और इसराइल के खिलाफ लड़ाई जारी रखे हुए हैं। इजराइल के द्वारा जारी होस्टेज की रिहाई की योजना अभी तक सफल नहीं हो पाई है, और हमास के कब्जे में अभी भी 102 इसराइली नागरिक बंधक बने हुए हैं।
इसराइल के लिए सबसे बड़ा झटका यह है कि उसने अपने सभी रणनीतिक लक्ष्यों को पूरा करने में असफलता पाई है। हमास के खिलाफ उसके ऑपरेशन में न तो हमास का पूरा सफाया हो सका और न ही बंधकों को रिहा किया जा सका। इसके विपरीत, इसराइल को अपनी सीमाओं के पास लगातार खतरे का सामना करना पड़ रहा है, और देश के नागरिकों में डर और असुरक्षा की भावना बढ़ती जा रही है।
निष्कर्ष
तूफान अलक्स ऑपरेशन ने मध्य पूर्व के इस्राइली-फिलिस्तीनी संघर्ष में एक नई स्थिति उत्पन्न की है। एक साल के इस संघर्ष में हजारों लोग मारे गए, लाखों बेघर हो गए, और गज़ा पट्टी को पूरी तरह से तबाह कर दिया गया। जबकि इसराइल को अपने सैन्य हमलों में सीमित सफलता मिली, हमास ने अब तक अपने प्रतिरोध को बनाए रखा है।
आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह संघर्ष किस दिशा में आगे बढ़ता है, और क्या इस्राइल और हमास के बीच कोई समाधान निकल पाता है। युद्ध की इस स्थिति ने पूरे क्षेत्र की स्थिरता को खतरे में डाल दिया है, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस मुद्दे पर जल्द से जल्द ध्यान देना होगा।