गज़ा: एक मजलूम राष्ट्र की त्रासदी
गज़ा की मौजूदा स्थिति एक गंभीर मानवीय संकट बन चुकी है। इजराइल द्वारा गज़ा पट्टी को खाली करने की योजना, जिसे अमेरिका ने रोकने की चेतावनी दी थी, अब सच साबित हो रही है। गज़ा सिटी और खान यूनुस को खाली कर 67% गज़ा को उजाड़ दिया गया, जिससे लाखों लोग बेघर होकर रफ़ा में शरण लेने को मजबूर हो गए। मिस्र ने इस पर विरोध किया, लेकिन आर्थिक दबावों और अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के कारण वह इसे रोकने में असफल रहा। इजराइल ने रफ़ा बॉर्डर पर कब्जा कर लिया, जो गज़ा का अंतिम जमीनी प्रवेश द्वार था। इस सबके पीछे गज़ा को एक पर्यटन स्थल में बदलने की योजना है, जिसमें लग्ज़री होटल, रिसॉर्ट्स और थीम पार्क्स बनाए जाएंगे। इसके लिए एक विशेष 'बीच सिटी मिनिस्ट्री' बनाई जाएगी, जो इस योजना का संचालन करेगी। इस प्रक्रिया में गज़ा के निवासियों को जबरन विस्थापित कर दिया गया है, और उनके पास कोई स्थायी निवास नहीं बचा है। यह पूरी स्थिति अंतरराष्ट्रीय राजनीति और शक्तियों की असफलता को उजागर करती है, जो गज़ा की जनता को बचाने में विफल रही हैं। गज़ा का यह संकट एक वैश्विक चेतावनी है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।
फैसल सुल्तान
गज़ा, एक ऐसा स्थान जो दशकों से विवाद, हिंसा और बर्बादी का केंद्र बना हुआ है। यहां रहने वाले फिलिस्तीनी नागरिकों की स्थिति किसी अभिशाप से कम नहीं है। गज़ा पर इजराइल और अन्य वैश्विक शक्तियों द्वारा बार-बार किए गए हमलों ने इस छोटे से क्षेत्र को न केवल भौतिक रूप से बर्बाद किया है, बल्कि यहां के लोगों के जीवन को भी बर्बादी की ओर धकेल दिया है। गज़ा का संघर्ष, जिसमें बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सभी शामिल हैं, एक ऐसी कहानी है जिसे नकारा नहीं जा सकता। यह कहानी बताती है कि कैसे अंतरराष्ट्रीय राजनीति और वैश्विक शक्तियों की खामोशी ने इस क्षेत्र को मजलूम बना दिया है।
अमेरिका की चेतावनी और उसके परिणाम: अमेरिका ने शुरू से ही गज़ा के मामले में प्रमुख भूमिका निभाई है। जब गज़ा को पूरी तरह से खाली करने की योजना बनाई जा रही थी, तो अमेरिका ने इजराइल को चेतावनी दी थी कि इस कदम को मत उठाओ, यह दुनिया के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। लेकिन, इजराइल की नीतियां और उसके भू-राजनीतिक उद्देश्यों ने इस चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया। इजराइल के पास गज़ा को खाली करने और वहां अपने प्लान को लागू करने के कई बहाने थे, जिनमें सुरक्षा का मुद्दा प्रमुख था।
यह वही रिपोर्ट थी जिसके बारे में मैंने पहले इशारा किया था, लेकिन तब मैंने इसे साझा नहीं किया था। आज, जब गज़ा को खाली करने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है, तो यह रिपोर्ट सच साबित हो रही है। दुनिया के सामने अब जो दृश्य आ रहे हैं, वह उस रिपोर्ट के ही परिणाम हैं। इजराइल ने गज़ा को धीरे-धीरे खाली करने का प्लान तैयार किया और अमेरिका समेत दुनिया की बाकी शक्तियां इसे रोकने में असफल रहीं।
गज़ा सिटी और खान यूनुस की स्थिति: गज़ा को खाली करने का सिलसिला धीरे-धीरे शुरू हुआ। सबसे पहले गज़ा सिटी को खाली करने की योजना बनाई गई, जिसे व्यवस्थित तरीके से लागू किया गया। गज़ा सिटी, जो इस पूरे क्षेत्र का प्रमुख केंद्र था, अब एक वीरान शहर बन चुका है। इसके बाद, इजराइल ने खान यूनुस की ओर रुख किया, और उसे भी खाली करने के लिए दबाव डाला। इस प्रक्रिया में लाखों लोग बेघर हो गए और उन्हें गज़ा के दक्षिणी हिस्सों की ओर धकेला गया।
जब गज़ा के 67% हिस्से को खाली कर दिया गया, तब अधिकांश लोग रफ़ा में जमा हो गए। यह वह स्थान था जिसे लोग अंतिम शरणस्थली मान रहे थे। लोगों को उम्मीद थी कि रफ़ा, एक शरणार्थी शिविर के रूप में सुरक्षित रहेगा, क्योंकि यहां फिलिस्तीनी नागरिकों का बड़ा हिस्सा जमा हो चुका था। लेकिन, इजराइल की सेना ने रफ़ा में प्रवेश कर इस उम्मीद को भी तोड़ दिया।
मिस्र की भूमिका और मजबूरी:
मिस्र, जो गज़ा के दक्षिण में स्थित है और रफ़ा बॉर्डर का प्रमुख संरक्षक है, ने शुरुआत में इस कदम का विरोध किया। मिस्र ने इजराइल के इस आक्रामक कदम को खतरनाक बताया और कहा कि वह इस स्थिति का सामना नहीं कर सकता, क्योंकि पहले से ही लाखों शरणार्थी उसके देश में प्रवेश कर चुके हैं। मिस्र की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वह अपने नागरिकों के लिए भी पर्याप्त भोजन और संसाधनों की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है।
अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने मिस्र पर दबाव डाला कि वह इस स्थिति में इजराइल का विरोध न करे। मिस्र को कुछ धन और मदद का आश्वासन दिया गया, लेकिन इसके साथ ही यह शर्त रखी गई कि शरणार्थियों को वापस नहीं आने दिया जाएगा। यह शर्त फिलिस्तीनियों के लिए विनाशकारी साबित हुई, क्योंकि उन्हें अब न तो गज़ा में रहने का अधिकार मिलेगा, और न ही मिस्र में स्थायी आश्रय।
रफ़ा बॉर्डर पर इजराइल का कब्ज़ा:
रफ़ा बॉर्डर, जो गज़ा और मिस्र के बीच एकमात्र जमीनी रास्ता है, अब इजराइल के पूर्ण नियंत्रण में आ गया है। रफ़ा, जो पहले एक सुरक्षित स्थान माना जा रहा था, अब पूरी तरह से इजराइल के झंडे तले आ चुका है। यह गज़ा के लोगों के लिए एक और बड़ा धक्का है, क्योंकि उनके पास अब कहीं और जाने का कोई विकल्प नहीं बचा है।
गज़ा को टूरिस्ट सिटी में बदलने की योजना:
इजराइल ने गज़ा के लोगों को निकालने का जो बहाना बनाया, वह सिर्फ सुरक्षा के नाम पर नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक बड़ी योजना छिपी हुई थी। यह योजना गज़ा को एक 'बीच सिटी' में बदलने की है। इस योजना के तहत, गज़ा को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां सिर्फ लग्जरी होटल, रिसॉर्ट्स, थीम पार्क्स आदि होंगे। यह योजना इजराइल की सरकार की सीधी देखरेख में नहीं होगी, बल्कि इसके लिए एक विशेष 'बीच सिटी मिनिस्ट्री' बनाई जाएगी, जो इस प्रोजेक्ट को संभालेगी।
इस मिनिस्ट्री को 1000 अरब डॉलर का कर्ज़ लेने की योजना है, जिसके माध्यम से गज़ा को पूरी तरह से पुनर्निर्माण किया जाएगा। गज़ा, जो एक समय फिलिस्तीनी नागरिकों का घर था, अब एक पर्यटन स्थल बन जाएगा, जहां कोई भी रिहायशी घर नहीं होगा। यह योजना गज़ा के लोगों के जीवन और उनके अधिकारों का पूरी तरह से खात्मा कर देगी।
गज़ा की जनता की स्थिति: गज़ा के लोगों की स्थिति इस समय बहुत ही दयनीय हो चुकी है। लाखों लोग अपने घरों से बेघर हो चुके हैं और उनके पास रहने, खाने और जीवनयापन के साधनों की भारी कमी है। वे जिस धरती पर रहते थे, उसे अब उनके ही खिलाफ एक योजना के तहत छीन लिया गया है। उनके घरों को तोड़ दिया गया है और उन्हें एक ऐसे स्थान पर धकेला जा रहा है, जहां उनके लिए कोई भविष्य नहीं है।
यह स्थिति केवल गज़ा के लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर चेतावनी है। अगर यह स्थिति आगे भी जारी रहती है और दुनिया इसे रोकने में असफल रहती है, तो गज़ा की त्रासदी आने वाले समय में और भी भयावह रूप ले सकती है।
निष्कर्ष: गज़ा की मौजूदा स्थिति अंतरराष्ट्रीय राजनीति और शक्तियों के खेल का एक काला अध्याय है। यहां के लोग, जो दशकों से संघर्ष और बर्बादी के बीच जी रहे हैं, अब एक ऐसी स्थिति में पहुंच चुके हैं, जहां उनके पास कोई सुरक्षित स्थान नहीं बचा है। गज़ा को खाली करने की यह योजना न केवल इजराइल की भू-राजनीतिक आकांक्षाओं को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस स्थिति को रोकने में असफल रहा है।
यह त्रासदी सिर्फ गज़ा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक संकट का हिस्सा है। अगर इस स्थिति को नहीं रोका गया, तो गज़ा का मजलूम जनता पूरी तरह से समाप्त हो सकती है, और इसके लिए पूरी दुनिया जिम्मेदार होगी।