पूर्णिया सदर में चुनावी टिकट की जंग और सियासी दावेदारी : दलीय अनुशासन का हो रहा बंटाधार
पूर्णिया सदर विधानसभा सीट को लेकर राजनीतिक दलों में जबरदस्त होड़ मची हुई है। कांग्रेस और राजद में शीर्ष नेताओं से मुलाकात करने वाले कई स्थानीय नेता स्वयं को भावी प्रत्याशी घोषित कर चुके हैं। धनबल और रसूख के सहारे टिकट पाने की दौड़ तेज है। भाजपा में स्थिति और भी उलझी हुई है, जहाँ दो बार से काबिज़ सिटिंग विधायक को हटाकर टिकट हथियाने की कोशिशें हो रही हैं। कुछ नेता प्रदेश अध्यक्ष को दरकिनार कर सीधे दिल्ली से टिकट कन्फर्म कराने की जुगत में लगे हैं। दूसरी ओर पप्पू यादव भी राहुल गांधी और तेजस्वी यादव से निकटता बढ़ाकर अपनी दावेदारी मजबूत कर रहे हैं। जदयू अपेक्षाकृत शांत है, लेकिन जन सुराज और AIMIM जैसी पार्टियाँ भी सक्रिय हो गई हैं। ऐसे में पूर्णिया सदर सीट पर दावेदारों की भीड़ के बीच अंततः पप्पू यादव की पकड़ सबसे मजबूत मानी जा रही है, जिससे अन्य दलों और नेताओं की स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

सीमांचल (अशोक/विशाल)
वोटर अधिकार यात्रा पर पूर्णिया पधारे राहुल गांधी ने पूर्णिया में जिस जिस शख्सियत से हाथ मिलाया वह शख्सियत अपने आप में पूर्णिया सदर विधान सभा क्षेत्र से कांग्रेस का भावी प्रत्याशी बन गया और तेजस्वी यादव ने जिस भी शख्सियत से हाथ मिलाया संयोगवश वह शख्स भी आगामी विधान सभा चुनाव का भावी राजद प्रत्याशी खुद को घोषित कर लिया।
मौका वोटर अधिकार यात्रा के दौरान का हो अथवा पिछले दिनों की किसी कार्यक्रम के दौरान की हो , शीर्ष नेताओं से मिलन की ऐसी तमाम राजनीतिक गतिविधि से आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस सीमांचल में कुकुरमुत्ते की तरह स्वयंभू दलीय प्रत्याशीगण अपने अपने निर्वाचन क्षेत्रों में उगते चले जा रहे हैं।
हर वह खाता पिता दौलतमंद कहा जाने वाला शख्स आजकी तारीख में अमुक अमुक पार्टी के लिए भावी विधान सभा चुनाव का स्वयं को भावी प्रत्याशी बताते हुए क्षेत्र में मारा मारा फिरता नजर आ रहा है।जिसका जिंदाबाद करते लोग उस भावी प्रत्याशी का न सिर्फ जी भर कर खा पी रहे हैं वल्कि अच्छी खासी रकम भी ऐंठने का काम कर रहे हैं।
जबकि उम्मीदवारी की धुनकी में इस तरह की किसी भी लूट खसोट का कोई एहसास तक भावी उम्मीदवारों को नहीं हो पा रहा है और नेता जी की गाड़ियां अभी से ही क्षेत्रों में फर्राटे भरती सरपट निकलती चली जा रही है।
इस मद में सीमांचल की जदयू की बात करें तो इस पार्टी में कोई खास चुनावी मारा मारी की स्थिति नजर नहीं आ रही है।लेकिन , भाजपा जैसी अनुशासित कही जाने वाली पार्टी में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सीमांचल में कुछ भी ठीक ठाक नहीं चल रहा है।
बातें पूर्णिया सदर विधानसभा क्षेत्र की सीट की करें तो वहां पर बाजाफ्ता सिटिंग भाजपा विधायक के काबिज़ रहते हुए उक्त सीट से चुनावी टिकटें हांसिल करने की कोशिश में भाजपा के कुछ नेताओं के बीच भारी मारा मारी की स्थिति व्याप्त है।
दूसरी ओर अभी से ही सर्वविदित है कि आने वाले विधान सभा चुनाव के दौरान पूर्णिया सदर की सीट की उम्मीदवारी हांसिल करने की कोशिश में लगे कथित भावी उम्मीदवारों को अप्रत्याशित राजनीतिक घटनाक्रम का भी सामना करना पड़ सकता है।
यूं कहें कि , राजद और कांग्रेस की राजनीति की मुख्यधारा से अलग थलग रहते हुए पप्पू यादव ने जब अकेले अपनी व्यक्तिगत दम खम पर पूर्णिया सांसद का ताज़ हांसिल कर लिया और अब वह वर्षों की तुनक मिजाजी को दरकिनार कर इस ऐन चुनावी वक्त में ही वोटर अधिकार यात्रा में शिरकत करने के बहाने राहुल गांधी और तेजस्वी यादव से भाईचारगी और सानिध्य कायम कर लिया है तो जाहिर सी बात है कि चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने की घड़ी आते आते पूर्णिया सदर की विधान सभा क्षेत्र की सीट पर सबसे मजबूत दावेदारी पप्पू यादव की ही हो जा सकती है।
वैसी स्थिति में पूर्णिया सदर की विधान सभा क्षेत्र की सीट से विभिन्न दलों की उम्मीदवारी हांसिल करने की कोशिश में लगे विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की स्थिति क्या होगी , इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
अनुमान लगाया जा सकता है कि जब विधानसभा का यह चुनाव भी पूर्व की परंपरा पर आधारित व्यवस्थाओं के तहत ही साम दाम दंड भेद का इस्तेमाल करते हुए लड़ा जाएगा तो अभी से धन दौलत मात्र के बूते चुनाव की बाज़ी जीत लेने की कोशिश में लगे नेताओं की जमात अपने विरोधियों की इस परंपरागत उपायों का सामना किस हद तक कर पाएगी।
पूर्णिया सदर की सीट पर भाजपा के सिटिंग विधायक लगातार दो टर्म से काबिज़ हैं , फिर भी कई अन्य रसूखदार भाजपा नेतागण सिटिंग विधायक को बेटिकट कराने और अपनी चुनावी टिकट को रिज़र्व कराने की जुगत में दिल्ली से पटना तक की दौड़ लगाते फिर रहे हैं।तुर्रा यह कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिलीप जायसवाल को भी छलांग कर दिल्ली के बूते ऐसे भाजपाई टिकटार्थीगण इस बार की चुनावी टिकट झटक लेने की कोशिश में जुट गए हैं।
चर्चा है कि सीमांचल के कुछ क्षेत्रों के कुछ भाजपा नेतागण डॉ दिलीप जायसवाल से सानिध्य प्राप्त रहने के कारण भाजपा के अंदर मनमानी करने पर भी उतारू हो गए हैं और हरेक जगह कहते फिर रहे हैं सिटिंग विधायक को बेटिकट कराकर अपने लिए चुनावी टिकट रिज़र्व कराकर ही दम लेंगे।
बहरहाल , पूर्णिया की इस सदर विधान सभा क्षेत्र की सीट पर राजद और कांग्रेस की नजरें लगातार गड़ी हुई हैं।
जबकि दूसरी ओर से इसी सीट को कब्जाने की तैयारी में प्रशांत किशोर व पूर्व सांसद उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह की पार्टी जन सुराज भी जुट गई है और बताया जाता है कि इस मुहिम में हैदराबादी सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ए आई एम आई एम भी पीछे रहने वाली नहीं है।उसकी तरफ से भी जोरों की अंदरूनी तैयारियां शुरू हो चुकी है।
जबकि इन सबसे इतर पूर्णिया सदर की सीट को लेकर उत्सुक हुई सभी दलों की ओर पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव की भी जा टिकी है , इस बात को इसलिए झुठलाया नहीं जा सकता है क्योंकि ऐन चुनाव की घड़ी में ही ऐसे समस्त दलों और भावी उम्मीदवारों को पप्पू यादव की लंघी लगनी बिल्कुल तय है।