पूर्णिया में मेजर ध्यानचंद जयंती: खेल दिवस पर विशेष कार्यक्रम

पूर्णिया जिला खेल संघ ने हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जयंती को खेल दिवस के रूप में मनाते हुए डीएसए मैदान में कार्यक्रम आयोजित किया। अध्यक्षता गौतम वर्मा ने की और मेजर ध्यानचंद को पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। वक्ताओं ने उनके समर्पण, अनुशासन और खेल कौशल पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उन्होंने भारत को तीन ओलंपिक (1928, 1932, 1936) में जीत दिलाई और हॉकी को अंतरराष्ट्रीय पहचान दी। हिटलर के प्रस्ताव को ठुकराकर उन्होंने देशभक्ति का उदाहरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में कई गणमान्य उपस्थित रहे और युवा खिलाड़ियों को उनके जीवन से प्रेरणा लेने का संदेश दिया गया।

पूर्णिया में मेजर ध्यानचंद जयंती: खेल दिवस पर विशेष कार्यक्रम

सीमांचल (विशाल/पिंटू/विकास)

खेल दिवस के रूप में घोषित हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद जी की जयंती को पूर्णिया में पूर्णिया जिला खेल संघ के तत्वावधान में खेल दिवस के रूप मनाते हुए खेल संघ के कार्यालय डीएसए मैदान में शानदार कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता संघ के अध्यक्ष गौतम वर्मा ने की।कार्यक्रम की शुरूआत में सर्वप्रथम मेजर ध्यानचंद के तैलीय चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। उसके बाद संघ के संरक्षक डॉ मुकेश कुमार , डॉ ए के गुप्ता , नीलम अग्रवाल , के एन भारत ने संयुक्त रूप से वक्तव्य देते हुए कहा कि यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है कि दुनिया में एक ऐसा खिलाड़ी भी रहा था जिन्होंने अपने समर्पण , देश भक्ति और खेल के कौशल से एक अलग पहचान बनाने का काम किया था।

वक्ताओं ने कहा कि भारत की ओर से तीन ओलंपिक मैच वर्ष 1928 1932 और 1936 में खेले गए थे जिसमें उस महान खिलाड़ी ने अपने अद्भुभत प्रदर्शन से न केवल भारत को जिताया था, बल्कि ,हॉकी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का काम भी किया था। उनके खेल कौशल से प्रभावित होकर जर्मनी का शासक हिटलर ने उन्हें जर्मनी से खेलने और सेना मैं उच्च पद देने की पेशकश की थी , लेकिन , उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया था। और कह दिया था कि जिस माटी में पैदा लिया हूं , उस माटी में ही मैं इस खेल को तिलांजलि दूंगा। 

खेल संघ के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि उनकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वे अनुशासित खिलाड़ी थे और अपने से कम उम्र के खिलाड़ी को प्रोत्साहित करने का काम करते थे। उनसे जो व्यक्ति पहली बार मिलता , वह उनका ही होकर रह जाता था।

वक्ताओं ने कहा कि आज के दिन युवा खिलाड़ियों को मेजर ध्यानचंद के जीवन से सीख लेने की आवश्यकता है।

संघ के मुख्य संरक्षक द्वारा खेल संघ के सभी पदाधिकारी को सफल कार्यक्रम करने के लिए बधाई दी गई और हर संभव सहयोग करने का वचन दिया गया।

इस मौके पर विभिन्न खेल संघ के पदाधिकारी जिसमें अमर भारती , आदेश सिंह , रीना बाखला , रानू कुमारी , मनोज सिंह के अलावे पूर्णिया विश्वविद्यालय के खेल कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर सी के मिश्रा , संघ के वरीय सदस्य आलोक लोहिया आदि मौजूद रहे।

जबकि कार्यक्रम को सफल बनाने में संघ के सचिव अजीत सिंह की भूमिका अग्रणी रही। मंच संचालन संघ के कोषाध्यक्ष एम एच रहमान ने किया और धन्यवाद ज्ञापन सुमित प्रकाश ने किया।