बायसी की जनता की नाराजगी: बाढ़ की त्रासदी से उबरने में नाकाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
बायसी विधान सभा क्षेत्र के लोग हर साल बाढ़ की विभीषिका झेल रहे हैं और अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कोसने लगे हैं। जनता का कहना है कि नीतीश कुमार, जो 2005 से मुख्यमंत्री हैं, इस क्षेत्र की बाढ़ की समस्या से अवगत होने के बावजूद इसे हल करने में असमर्थ रहे हैं। नीतीश कुमार का बायसी क्षेत्र से जुड़ाव मरहूम जदयू नेता सैयद महमूद अशरफ के कारण था, जिनके सहयोग से नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी का विस्तार किया। लेकिन बायसी की जनता को नीतीश कुमार से निराशा है क्योंकि बाढ़ से मुक्त कराने का वादा पूरा नहीं हुआ। अशरफ के निधन के बाद, उनके परिवार की अनदेखी और बाढ़ नियंत्रण में भेदभाव भी जनता की नाराजगी के कारण हैं। राजद विधायक सैयद रूकनुद्दीन अहमद ने बताया कि क्षेत्र में महानंदा, परमान, और कनकई नदियों की बाढ़ और कटाव से हर साल भारी नुकसान होता है और सरकार की ओर से कोई कारगर योजना नहीं बनाई गई है। जनता और जनप्रतिनिधियों ने पार्टियां और सरकारें बदलीं लेकिन समस्या जस की तस बनी रही।

सीमांचल (विशाल/पिंटू)
बायसी विधान सभा क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष की बाढ़ की विभीषिका को झेलती आ रही जनता अब सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बद दुआएं देने लगी है। जनता का कहना है कि बिहार सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में एकमात्र नीतीश कुमार ही ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो वर्ष 2005 से ही लगातार बायसी क्षेत्र की बाढ़ की विनाशलीला से अवगत रहे हैं और उसके बाबजूद बायसी क्षेत्र को बाढ़ की विभीषिका से मुक्त कराने में असमर्थ रहे हैं।
जनता उन्हें इसीलिए कोस रही है कि बायसी क्षेत्र से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का लगाव बायसी निवासी मरहूम जदयू नेता सैयद महमूद अशरफ के जीवन काल से रहा था और कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि उसी महमूद अशरफ के सबल सहयोग के बूते ही नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी जदयू के संगठन का विस्तार बायसी से लेकर संपूर्ण किशनगंज संसदीय क्षेत्र तक में कर लिया था और इसी बात का स्मरण हो जाने पर वहां की जनता नीतीश कुमार को बद दुआएं देने लगी है।
बताया जाता है कि तत्कालीन दौर में कांग्रेस की राजनीति से जुड़े रहने वाले बायसी के मरहूम लोकप्रिय नेता सैयद महमूद अशरफ ने नीतीश कुमार की पार्टी जदयू का विस्तार बायसी से लेकर किशनगंज संसदीय क्षेत्र में इसलिए कराया था कि नीतीश कुमार ने उन्हें विश्वास दिलाया था कि बायसी क्षेत्र को बाढ़ की सालाना त्रासदी से मुक्त कराया जाएगा और उसी के परिणामस्वरूप उन्हें सांसद भी निर्वाचित कराया जाएगा।
बायसी क्षेत्र निवासी जदयू नेता स्वर्गीय सैयद महमूद अशरफ तब दो बार जदयू के उम्मीदवार के रूप में मुख्यमंत्री के द्वारा ही किशनगंज लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव तो लड़बाये गए थे लेकिन , जीत इसलिए नहीं पाए थे क्योंकि बायसी क्षेत्र में मुख्यमंत्री की ओर से दिए गए बाढ़ से मुक्त कराने के वचन के मुताबिक बायसी क्षेत्र को बाढ़ से मुक्त कराने की दिशा में मुख्यमंत्री द्वारा कोई कारगर योजना धरातल पर नहीं उतारी जा सकी थी।
कालांतर में अपनी बीमारी की वजह से अशरफ साहब परलोक तो सिधार गए लेकिन उनकी जगह पर जिन्हें भी मुख्यमंत्री ने बाद के लोक सभा चुनाव में किशनगंज से बतौर जदयू उम्मीदवार उतारा , बायसी की जनता ने उन्हें भी किशनगंज की संसदीय सीट से कामयाब होने नहीं दिया।
जिसके पीछे का सीधा मकसद बायसी क्षेत्र में होने वाली सालाना बाढ की त्रासदी ही रही और बायसी क्षेत्र की जनता के असहयोग के कारण ही मुख्यमंत्री की पार्टी जदयू कभी किशनगंज की संसदीय सीट से जीत नहीं पाई।
बायसी क्षेत्र की जनता की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू से नाराजगी का कारण बायसी क्षेत्र में बाढ़ नियंत्रण और कटाव निरोधी कार्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रहते की जाती रही भेदभाव की राजनीति भी रही है तो दूसरी ओर एक नाराजगी इस बात को लेकर भी रही कि जब तक बायसी निवासी मरहूम जदयू नेता सैयद महमूद अशरफ जीवित रहे थे तब तक नीतीश कुमार बायसी की साया बने रहे थे और उनकी मौत के बाद उन्होंने न कभी मरहूम जदयू नेता सैयद महमूद अशरफ की शोक संतप्त परिवार की सुधि लेने की जरूरत महसूस किया और न कभी उनकी विधवा सह पूर्व प्रखंड प्रमुख कौशर जहां की खैर मकदम जानने पूछने की जरूरत महसूस किए। जबकि एकमात्र सैयद महमूद अशरफ के जीवन काल में ही नीतीश कुमार को किशनगंज संसदीय क्षेत्र में जदयू के विस्तार में सांगठनिक मजबूती मिली थी।
बहरहाल , बायसी विधान सभा क्षेत्र में बतौर राजद विधायक काबिज चल रहे सैयद रूकनुद्दीन अहमद के अनुसार , बायसी क्षेत्र में महानंदा , परमान , कनकई जैसी विनाशकारी नदियों की बाढ़ में जहां आवाम की खेत सहित खेतिहर फसलें पूरी तरह से डूब कर प्रत्येक वर्ष बर्बाद हो जाती है वहीं दूसरी ओर बाढ़ की धार की कटाव लीला का शिकार हो कर बायसी क्षेत्र के आवाम की खेतिहर भूमि सहित सैकड़ों एकड़ बास आबाद की जमीन , उस पर बने घर मकान सहित कब्रिस्तान , मदरसे , मस्जिदें मकतब तक नदियों की गर्भ में प्रत्येक वर्ष समा जाते हैं।
बायसी क्षेत्र के राजद विधायक सैयद रूकनुद्दीन अहमद ने बताया कि फिलवक्त परमान पनार कनकई सहित महानंदा नदी की कटाव लीला से जनता तबाही की कगार पर है।
उनके अनुसार , परमान नदी की कटाव लीला का कहर उनके विधान सभा क्षेत्र के वनगामा गांव में जारी हो गया है जहां पर दर्जनों परिवारों के घरबार देखते देखते ही नदी की गर्भ में जा समाये हैं।
विधायक सैयद रूकनुद्दीन अहमद ने बताया कि कटाव निरोधी कार्य में बनगामा गांव के साथ हरेक वर्ष भेदभाव किए जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप ही उक्त गांव में विस्थापन का दंश ग्रामीणों को प्रत्येक वर्ष झेलने की नौबत आती है।
उन्होंने बताया कि इस इलाके की जनता से लेकर जनप्रतिनिधि तक ने बाढ़ और कटाव से निजात पाने की ललक में पार्टियां बदले , सरकार बदलवाया लेकिन क्षेत्र की दुर्गति उन्नति में नहीं बदल पायी।