व्यक्तिगत सेक्युलर छवि और निरन्तर मानवता की सेवा करने वाले विधानपार्षद डॉ दिलीप जायसवाल सीमांचल में हैं हिंदू मुस्लिम एकता और सदभाव के बेमिसाल प्रतीक

बिहार राज्य के सर्वाधिक बड़े अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र सीमांचल पूर्णिया प्रमंडल के स्थानीय निकाय क्षेत्र के विधानपरिषद क्षेत्र पूर्णिया किशनगंज अररिया सीट पर एमआइएम की शुरू हुई दावेदारी

व्यक्तिगत सेक्युलर छवि और निरन्तर मानवता की सेवा करने वाले विधानपार्षद डॉ दिलीप जायसवाल सीमांचल में हैं हिंदू मुस्लिम एकता और सदभाव के बेमिसाल प्रतीक

व्यक्तिगत सेक्युलर छवि और निरन्तर मानवता की सेवा करने वाले विधानपार्षद डॉ दिलीप जायसवाल सीमांचल में हैं हिंदू मुस्लिम एकता और सदभाव के बेमिसाल प्रतीक

पूर्णिया किशनगंज अररिया के बहुसंख्यक समुदाय के दिलों में देवता की तरह बसे हुए हैं डॉ दिलीप जायसवाल

सीमांचल (विशाल कुमार के साथ नौशाद आलम जलाली)

बिहार राज्य के सर्वाधिक बड़े अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र सीमांचल पूर्णिया प्रमंडल के स्थानीय निकाय क्षेत्र के विधानपरिषद क्षेत्र पूर्णिया किशनगंज अररिया सीट पर एमआइएम की शुरू हुई दावेदारी के बाद से इस सीट पर सीटिंग रहती आ रही भाजपा जितनी परेशान नहीं हुई है , उतनी परेशानी महागठबंधन वाले राजद और कांग्रेस में बढ़ती नजर आ रही है।
यह सम्पूर्ण क्षेत्र पूर्व में राजद और कांग्रेस की राजनीतिक आखेट स्थली बनी हुई थी लेकिन फिलवक्त यह क्षेत्र एमआइएम के निशाने पर है।
एमआइएम ने इन क्षेत्रों में अपने पांच विधायकों को स्थापित कर अब अपने हौंसले को आगे बढ़ाने की सुगबुगाहट शुरू की है ।
जिसके तहत एमआइएम ने अभी अभी आने वाले निकाय क्षेत्र के विधानपरिषद चुनाव में भी अपना प्रत्याशी उतारने का घोषणा कर दिया है।
जाहिर सी बात है कि जातीय समीकरण की राजनीति को बढ़ावा देते हुए ही एमआइएम ने जातीय समीकरण के मदद की उम्मीद पर इस क्षेत्र से निकाय क्षेत्र के विधानपरिषद चुनाव लड़ने का घोषणा किया है।
लेकिन , इस क्षेत्र में सवाल उमड़ने घुमड़ने लगा है कि क्या एमआइएम के जनप्रतिनिधित्व में पूर्णिया किशनगंज अररिया को उस तरह का लाभ मिल पायेगा , जिस तरह का लाभ वर्तमान सीटिंग भाजपा विधानपार्षद डॉ दिलीप जायसवाल से इन क्षेत्रों के लोगों को पिछले 12 वर्षों से लगातार मिलता आ रहा है।
यह सवाल फिलवक्त इस क्षेत्र के वासियों में उफान पर है।
क्योंकि एमआइएम की पहचान जहां सिर्फ स्वजातीय राजनीतिक पार्टी मात्र तक की ही बनी हुई है , वहीं , व्यक्तिगत तौर पर निवर्तमान विधानपार्षद दिलीप जायसवाल की पहचान सेक्युलर राजनेता की बनी हुई है जो भाजपाई होते हुए भी अपने कार्यकाल में अबतक इस क्षेत्र के लोगों को एहसास तक नहीं होने दिये हैं कि वो भाजपाई हैं।

डॉ दिलीप जायसवाल की इसी व्यक्तिगत सेक्युलर छवि का सीधा लाभ सीमांचल के पूर्णिया किशनगंज अररिया की जनता के द्वारा उठाया जाता रहा है।

माता गुजरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज सह विश्वविद्यालय के फाउंडर(संस्थापक)एवं विगत दो ट्रमों से रहते आये विधानपार्षद डॉ दिलीप कुमार जयसवाल इस सीमांचल में प्रारंभ से ही हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतीक माने जाते रहे हैं ।
किसान परिवार में जन्म लेने वाला यह प्रतिष्ठित समाजसेवी ने देश के इस उपेक्षित अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्र की प्रगति और लोकल समाज के उत्थान में अहम भूमिका अदा की है। डॉ जायसवाल ने इस सीमांचल में मेडिकल कॉलेज के माध्यम से न केवल इंसानियत की सेवा की है बल्कि सीमांचल को आत्मनिर्भर बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है  
इसमें कोई शक नहीं कि राज्य से केन्द्र तक वर्तमान समय की सरकारों ने जहां देश और प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में अपना सही योगदान नहीं दे पाया , वहीं , उसके विपरीत बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं डॉ दिलीप कुमार जयसवाल ने मेडिकल कॉलेज के माध्यम से मुस्लिम बहुल सीमांचल के लोगों को दिया है । 

इस मेडिकल कॉलेज में आने वाले रोगियों में सर्वाधिक संख्या मुस्लिम समुदाय के रोगियों की ही आवादी के अनुसार रहती आयीं हैं और डॉ दिलीप जायसवाल के समर्पित सेवाभाव के कारण उन रोगियों के बेहतर उपचार के लिए जो सेवाएं उन रोगियों को प्रदान की जाती है , उसके कारण डॉ दिलीप जायसवाल सीमांचल भर के लोगों के दिलों में घर बना बैठे हैं।
 सोशल मूवमेंटों , हिंदी दैनिक समाचार पत्रों ,  उर्दू दैनिक समाचार पत्रों एवं सोशल मूवमेंट यूट्यूब चैनल ने समाज के इस प्रतिष्ठित व्यक्ति डॉ दिलीप कुमार जायसवाल से यह जानने की कोशिश की  मानवता के विकास को ही अपने जीवन का प्रमुख लक्ष्य क्यों बनाया तो डॉक्टर दिलीप कुमार जायसवाल ने कहा कि मैंने बचपन से ही यह प्रतिज्ञा ली थी के बड़ा होकर मानवता की सेवा करूंगा और इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए मैंने अपने जीवन को मानवता की सेवा के लिए समर्पित कर दिया और आज इसी मेडिकल कॉलेज के माध्यम से मैं इंसानियत की सेवा कर रहा हूं यही हमारा धर्म और कर्म दोनों है।
  किशनगंज पूर्णिया अररिया कटिहार सहरसा सुपौल मधेपुरा के सैकड़ों लोगों ने कहा है कि डॉ दिलीप कुमार जायसवाल इस पृथ्वी पर किसी देवता से कम नहीं हैं , क्योंकि डॉ दिलीप कुमार जायसवाल ने अलौकिक शक्ति से इंसानियत की सेवा करते हुए मानवता का परचम बुलंद किया है।
जिस कारण डॉक्टर जायसवाल ने सीमांचल का मान सम्मान सम्पूर्ण बिहार राज्य में बढ़ाया है और इतना ही नहीं इस मेडिकल कॉलेज में आने वाले दर्जनों मुस्लिम रोगियों का कहना है कि जब हम लोग यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं तो यहां हम लोगों से जात और धर्म नहीं पूछा जाता बल्कि हम लोगों को सम्पूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मुफ्त में दी जाती है ।
 डॉ दिलीप कुमार जायसवाल सम्पूर्ण सीमांचल के इलाके के लाखो लोगों के घरों में ही नहीं बल्कि दिलों में भी बसते हैं , इस बात को कदापि इन क्षेत्रों में झुठलाया नहीं जा सकता है । लोगबाग कहते हैं कि हम लोगों के लिए बड़े गर्व की बात है कि डॉक्टर दिलीप कुमार जायसवाल ने शिक्षा एवं इंसानियत की जो दीप इस मुस्लिम बहुल सीमांचल में जलाया है , उससे सीमांचल का प्रकाश बिहार से बंगाल तक को स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार प्रकाशमान किये जा रहा है।