हवा का रुख - बिहार के दूसरे चरण में इंडिया गठबंधन सभी सीटों पर मजबूत: पूर्णिया में पप्पू यादव का जादू, भागलपुर-किशनगंज-कटिहार में कांग्रेस भारी

सीमांचल की इन तीनों क्षेत्रों में भाजपाइयों को उनका अपनी पसंद की अपनी पार्टी भाजपा का उम्मीदवार नहीं मिलना ही अखड़ा हुआ था और सुनियोजित तरीके से नीतीश कुमार की हठधर्मिता को इस बार के इसी चुनाव में ठिकाने लगाने की रणनीति पर न सिर्फ भाजपा के नेताओं ने अमल किया वल्कि भाजपा के समर्थकों से लेकर वोटरों तक ने पूरी शिद्दत से अमल किया।

हवा का रुख - बिहार के दूसरे चरण में इंडिया गठबंधन सभी सीटों पर मजबूत:  पूर्णिया में पप्पू यादव का जादू, भागलपुर-किशनगंज-कटिहार में कांग्रेस भारी

सीमांचल  (अशोक कुमार)

सीमांचल पूर्णिया प्रमंडल के तीन संसदीय क्षेत्रों पूर्णिया किशनगंज और कटिहार में संपन्न हुए लोक सभा चुनाव के मतदान की झलक से संकेत मिल रहे हैं कि इस बार के संसदीय चुनाव में भाजपा ने जदयू की हठधर्मिता को अगले चुनावों में दुरूस्त करने और उन अगले चुनावों में सिर्फ भाजपा की ही दावेदारी को स्थापित करने के उपाय के तहत जो चुप्पी साध रखी थी उसके परिणामस्वरूप  कटिहार और किशनगंज संसदीय क्षेत्र में इस बार कांग्रेस प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित होगी तो पूर्णिया की संसदीय सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव की।

पूर्णिया और कटिहार की संसदीय क्षेत्रों में मतदान के दिन के मिजाज़ के अनुरूप अगर परिणाम घोषित होगा तो भाजपा का भीतरघात ही उजागर होगा।

बताया जाता है कि कटिहार में न सिर्फ मुस्लिम समाज ने एकमुश्त वोट कांग्रेस के प्रत्याशी तारिक अनवर को दिया वल्कि वैसे समस्त हिन्दू समाज भी तारिक की ही बैकिंग कर गए जिनकी एकमात्र इच्छा अगले चुनाव में सिर्फ भाजपा और भाजपा का उम्मीदवार पाने की जग गई है।

सर्व विदित है कि भाजपा की गढ़ माने जाने वाले कटिहार संसदीय क्षेत्र पर सिटिंग जदयू सांसद दुलाल चंद गोस्वामी ऊपर से नीतीश कुमार द्वारा थोपे हुए नेता रहे थे और भाजपाई इस बार एक साथ ही उसका बदला न सिर्फ कटिहार में वल्कि पूर्णिया में भी साधने की रणनीति गुप्त रूप से स्थापित किए हुए थे।

पूर्णिया के सिटिंग जदयू सांसद संतोष कुशवाहा को भी इस क्रम में इस बार निशाने पर ले लिया गया था।

जिस कारण विना किसी नफा नुकसान की चिंता किए सारे तबके ने मिलजुलकर पूर्णिया में निर्दल उम्मीदवार पप्पू यादव को अघोषित समर्थन दिलाया।

और किशनगंज में तो कांग्रेस की जीत की बाजी पलटने का तो कोई दूसरा कारण भी नहीं बचता है।

किशनगंज में सूरजापुरी मुस्लिम बिरादरी को घरेड़ छुआ वोट दुम का जो पाठ पढ़ाकर स्वर्गवासी कांग्रेस सांसद मौलाना असरारुल हक कासमी स्वर्ग सिधारे हैं उस पर किशनगंज का सुरजापुरी मुस्लिम बिरादरी ऐसा अडिग है कि उसने पहले तो सीमांचल गांधी के नाम से मशहूर रहे कुलहैया मुस्लिम समाज के स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन साहब को किशनगंज छुड़ा दिया था और उसके बाद से अभी तक कांग्रेस के सिवा दूसरा किसी को भी वहां पर पनपने का कोई मौका नहीं दिया।

जबकि दूसरी तरफ की घोर सच्चाई यह भी है कि जदयू की टिकट पर पूर्व में लड़ते लड़ते स्वर्ग सिधारे सैयद महमूद अशरफ भी सुरजापुरी ही थे और अभी अभी इस चुनाव में भी जदयू की टिकट पर लड़ने वाले एनडीए के प्रत्याशी मुजाहिद आलम भी सुरजापुरी मुस्लिम बिरादरी से हैं और पिछले तीन संसदीय चुनावों से अपने भाग्य को असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम की टिकट पर आजमा कर हर बार शर्मसार होने की नौबत झेलते आ रहे एमआईएम विधायक सह बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान भी सुरजापुरी मुस्लिम बिरादरी से ही हैं।

आश्चर्य की बात तो यह है कि इस बार कांग्रेस प्रत्याशी डॉ जावेद आजाद को जमींदोज कराने की जुगत में प्रतिद्वंदी उम्मीदवारों ने ईमान को ताक पर रखकर बेईमानी की राजनीति को तुल देने का प्रयास करते हुए जमकर झूठ और अफवाहों का भी सहारा लेने का प्रयास किया लेकिन फिर भी बात नहीं बनी और चर्चा में एमआईएम और जदयू को हासिल हुए वोटों की संख्या भी बताई जाने लगीं।

बहरहाल , अब कोई रहस्यमय जादुई पिटारा ही परिणाम को जदयू के अनुकूल पूर्णिया किशनगंज और कटिहार में परोस दे सकता है अन्यथा वोटिंग संकेत स्पष्ट है कि भाजपा ने बड़ा खेल सीमांचल में कर दिया है।