केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पूर्णिया किशनगंज में कल से दो दिवसीय धमक
नगर निकाय चुनाव की चौतरफा शोर के बीच पूर्णिया और किशनगंज में होने वाले केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दो दिवसीय कार्यक्रम को लेकर सीमांचल की राजनीतिक गतिविधियों में जो इजाफा हुआ है , उससे सम्पूर्ण सीमांचल में किंकर्तव्य विमूढ़ वाली स्थिति पैदा हो गई है।
पूर्णिया में करेंगे 8 जिलों के बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित
फिर किशनगंज में करेंगे सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों के आला अधिकारियों के साथ मीटिंग
सीमांचल वासियों में जगी है विशेष पैकेज मिलने की उम्मीद
सीमांचल/पूर्णिया/किशनगंज (अशोक/विशाल/पिंटू/विकास)
भाजपाई नेता और कार्यकर्ता अपने देश के गृह मंत्री सह भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के सबसे बड़े राजनीतिक रणनीतिकार सह राजनीति के चाणक्य अमित शाह के आगमन को लेकर काफी उत्साहित और प्रफुल्लित है तो दूसरी ओर गैर भाजपा दलों के नेता से लेकर विधायक तक आशान्वित हैं कि सीमांचल जैसे बिहार के सबसे बड़े मुस्लिम बहुल क्षेत्र में पधार रहे देश के गृह मंत्री अमित शाह कोई न कोई ऐसा तोहफ़ा जरूर प्रदान करेंगे जिससे सीमांचल वासियों का कुछ न कुछ उद्धार जरूर होगा।
सीमांचल वासियों के उद्धार के लिए बहुत पुरानी मांग सीमांचल को विशेष पैकेज देने की रहती आयी है तो सीमांचल में राजनीतिक विचरण करने वाले सीमांचल में स्थापित गैर भाजपा दलों को उम्मीदें हैं कि केंद्रीय सरकार के गृह मंत्री अमित शाह सीमांचल को केंद्रीय सरकार की तरफ से विशेष पैकेज की सौगात प्रदान कर सकते हैं।
जबकि दूसरी ओर एक हल्ला मचा हुआ है कि गृह मंत्री अमित शाह ऐसा कुछ भी करने वाले नहीं हैं , वल्कि , सीमांचल के साथ पड़ोसी राज्य बंगाल के कुछ जिलों को जोड़ कर एक अलग केन्द्र शासित राज्य का गठन करने का राजनैतिक खाका तैयार करने वाले हैं।
अब कल ही 23 सितम्बर को दो दिवसीय यात्रा के क्रम में पूर्णिया और किशनगंज की सरजमीं से बिहार में परिवर्तन कराने का राजनीतिक शंखनाद करने आ रहे देश के गृह मंत्री क्या कुछ राजनीतिक गुल खिलाएंगे , यह उनके कार्यक्रमों के दौरान या कार्यक्रम संपन्न होने के बाद ही पता चलेगा।
वैसे एक बात तो स्पष्ट है कि सीमांचल जैसे बिहार प्रदेश के सबसे बड़े मुस्लिम बहुल क्षेत्र में भाजपा की राजनीति के चाणक्य और देश के गृह मंत्री अमित शाह के आगमन और दो दिनों के प्रवास को लेकर बिहार की भाजपा मुक्त महागठबंधन वाली नीतीश और तेजस्वी की सरकार और मुस्लिम बहुल सीमांचल के कान खड़े हो गए हैं । लेकिन , इसके इतर , सीमांचल वासी बहुसंख्यक आबादी में अमित शाह के आगमन और उनके दो दिवसीय कार्यक्रम को लेकर कोई कौतूहल या कोई दहशत इसलिए उत्पन्न नहीं हुई है कि सीमांचल वासियों के द्वारा ही स्थापित विधान पार्षद डॉ दिलीप जायसवाल न सिर्फ भाजपा के शीर्ष नेता की श्रेणी में रहते हुए अमित शाह के कार्यक्रमों के आयोजक हैं वल्कि सीमांचल वासियों की सेवा और भलाई सहित सुरक्षा के प्रति पूरी तरह से समर्पित भी रहते आए हैं।
जबकि दूसरी ओर सरकार के रूप में नीतीश तेजस्वी की जोड़ी सीमांचल के तुष्टिकरण की जिम्मेवारी उठाने को तैनात हैं।
बहरहाल , कल सीमांचल के पूर्णिया की ऐतिहासिक रंगभूमि मैदान स्थित इंदिरा गांधी स्टेडियम में आठ जिलों के भाजपाई कार्यकर्त्ताओं की सभा को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह संबोधित करेंगे और बिहार में परिवर्तन कराने का शंखनाद करेंगे जबकि दूसरी ओर इस सभा कार्यक्रम से निपटने के बाद कल ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह किशनगंज जिले की सरजमीं पर जा टिकेंगे।
और 24 सितम्बर को किशनगंज में बॉर्डर एरिया की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सुरक्षा तंत्रों के सभी विंग के आला अधिकारियों के साथ मीटिंग कर भारत के इस अति संवेदनशील क्षेत्र सीमांचल की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने वाले दिशा निर्देश जारी करेंगे।
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल की सीमा से सटा बिहार का अंतिम इलाका सीमांचल का किशनगंज तीन ओर से भारत के पड़ोसी देश नेपाल से बिल्कुल सटा हुआ है तो दूसरी ओर पश्चिम बंगाल से होकर महज पंद्रह किलोमीटर की दूरी पर भारत के दूसरे पड़ोसी देश बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा हुआ है।
इसलिए समझा जाता है कि किशनगंज में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा सुरक्षा बलों के आला अधिकारियों के साथ की जाने वाली बैठक बहुत महत्वपूर्ण होगी ।