अगर समय रहते नहीं किया गया एएमयू का फण्ड रिलीज तो यह मुद्दा 2024 के आनेवाले संसदीय चुनाव तक सुलगता रहेगा सीमांचल में

कांग्रेस , राजद , एमआइएम के द्वारा उपरोक्त मुद्दे को लेकर लगातार सरकारों पर निशाने साधे जा रहे हैं। कांग्रेस के किशनगंज एमपी डॉ जावेद आजाद ने इन मांगों को लेकर दिल्ली की संसद भवन के परिसर में गांधीजी की प्रतिमा के समीप सत्याग्रह छेड़ रखा है तो राजद के ठाकुरगंज विधायक सऊद आलम असरार और किशनगंज स्थित राजद के प्रभावशाली युवा नेता नन्हा मुश्ताक ने अपने अपने बयानों से बिहार की सरकार को आजिज कर दिया है।

अगर समय रहते नहीं किया गया एएमयू का फण्ड रिलीज तो यह मुद्दा 2024 के आनेवाले संसदीय चुनाव तक सुलगता रहेगा सीमांचल में

सीमांचल ( अशोक / विशाल )

एक ओर जहां उत्तरप्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की धूम के बीच राजनीतिक दलों के द्वारा अपनी अपनी रोटी सेंकने की होड़ मची हुई है , वहीं , दूसरी ओर , सीमांचल में महानन्दा बेसिन योजना और एएमयू को लेकर सीमांचल के किशनगंज संसदीय क्षेत्र की राजनीति में उफान पैदा हो गया है।

कांग्रेस , राजद , एमआइएम के द्वारा उपरोक्त मुद्दे को लेकर लगातार सरकारों पर निशाने साधे जा रहे हैं।

कांग्रेस के किशनगंज एमपी डॉ जावेद आजाद ने इन मांगों को लेकर दिल्ली की संसद भवन के परिसर में गांधीजी की प्रतिमा के समीप सत्याग्रह छेड़ रखा है तो राजद के ठाकुरगंज विधायक सऊद आलम असरार और किशनगंज स्थित राजद के प्रभावशाली युवा नेता नन्हा मुश्ताक ने अपने अपने बयानों से बिहार की सरकार को आजिज कर दिया है।

एमआइएम के बिहार सुप्रीमो सह पूर्णिया जिले के अमौर विधानसभा क्षेत्र के विधायक अख्तरूल ईमान के नेतृत्व में एमआइएम के पांचों विधायक क्रमशः अख्तरूल ईमान , शाहनवाज आलम , सैय्यद रूकनुद्दीन अहमद , इजहार असफी , मोहम्मद अंजार नईमी ने केंद्र सरकार और बिहार सरकार की नींद हराम कर दी है।

किशनगंज में स्थापित एएमयू के फण्ड को केंद्र सरकार के द्वारा रिलीज करने में की जा रही आनाकानी का मुद्दा किशनगंज संसदीय क्षेत्र में आंदोलन का रूप धारण करता जा रहा है।

आम लोगों को उपरोक्त विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर गोलबंद करना शुरू कर दिया है और अनुमान लगाया जा रहा है कि चिनगारी के रूप में नजर आ रहा यह मुद्दा किसी भी समय आग बनकर धधकते हुए आंदोलन का रूप अख्तियार कर ले सकता है।

राजनीति के क्षेत्र के जानकारों के अनुसार , सीमांचल के इन क्षेत्रों में राजनीति करने वाले उपरोक्त विपक्षी दलों ने अंदरूनी तौर पर आंदोलन की तैयारियां पूरी कर ली है । सिर्फ आगाज होना बांकी है ।

जानकारों का कहना है कि इस मुद्दे को लेकर केंद्र और राज्य की एनडीए सरकारोँ के विरूद्ध मुस्लिम बहुल सीमांचल की बहुसंख्यक समुदाय की भृकुटि तनने लगी है और अगर समय रहते केंद्रीय सरकार ने किशनगंज की एएमयू की शाखा के निर्माण कार्य में लगायी गयी रोक को नहीं हटाया और उसके स्वीकृत फण्ड को रिलीज नहीं किया तो यह मुद्दा लगातार बरकरार रहते हुए आने वाले अगले संसदीय चुनाव के दरमियान इस क्षेत्र की बहुसंख्यक आबादी का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बन जायेगा।

कांग्रेस , राजद और एमआइएम के द्वारा इसी मुद्दे को हवा देकर एनडीए गठबंधन दलों की चुनावी राजनीति में अड़चन पैदा कर दिया जाएगा।

वर्ष 2013 में तत्कालीन केंद्रीय यूपीए सरकार ने किशनगंज की सरजमीं पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की शाखा की स्वीकृति प्रदान करते हुए शाखा की आधारशिला रखी थी और उसके साथ ही 136 करोड़ रुपये का फण्ड स्वीकृति प्रदान किया गया था । बाद में जब केंद्रीय सरकार की सत्ता में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन आयी तो उसने तत्काल ही इस शाखा को 10 करोड़ की राशि उक्त फण्ड में से रिलीज कर किशनगंज की एएमयू शाखा को प्रदान कर दिया। लेकिन , उसके बाद की शेष 126 करोड़ की राशि को रिलीज करने में राजनीतिक कारणों से जो आनाकानी शुरू की गई तो वह आनाकानी अब तक बरकरार रह गई हैं और उस पर तुर्रा यह कि उक्त शाखा में होने वाले निर्माण कार्य पर एनजीटी के द्वारा रोक भी लगवाने का काम कर दिया गया है जो अबतक बरकरार है।

यहां यह उल्लेखनीय है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की किशनगंज शाखा में फिलवक्त जो ही पठन पाठन का काम चल रहा है वह किशनगंज के अल्पसंख्यक छात्रावास में चल रहा है और शाखा के भवन के लिए फण्ड रिलीज करने की मांग उसी समय से लगातार जारी है।