एसपी किशनगंज कुमार आशीष अब बनें डॉ० कुमार आशीष

पीएचडी की डिग्री हासिल करने से मिली यह उपलब्धि

एसपी किशनगंज कुमार आशीष अब बनें डॉ० कुमार आशीष
डॉक्टरेट की उपाधि का प्रमाणपत्र दिखाते किशनगंज के एसपी डॉ कुमार आशीष
एसपी किशनगंज कुमार आशीष अब बनें डॉ० कुमार आशीष

अपनी योग्यता ,अनुभव व लगनशीलता से हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री के हाथों बिहार के एकमात्र एसपी के रूप में सम्मानित होने वाले आईपीएस डॉ कुमार आशीष की गौरवशाली उपलब्धि से बाग बाग हुआ सीमांचल का किशनगंज

शोधकार्य के सहयोगियों की टीम

सीमांचल/किशनगंज(विशाल कुमार)

किशनगंज के उर्जावान, कर्तव्यनिष्ठ और सेवापरायण एसपी कुमार आशीष आज दिनांक 29 दिसम्बर 2021 से डॉ० कुमार आशीष हो गए हैं. उन्हें ये उपलब्धि अपनी पीएचडी उपाधि प्राप्त करने पर 29 दिसंबर 21 को मिली है.

 नयी दिल्ली स्थित विश्वविख्यात जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय(जेएनयू) के फ्रांसीसी भाषा अध्ययन संस्थान से उन्होंने फ्रेंच भाषा में बीए एमए एमफिल की डिग्री उन्होंने आईपीएस सेवा में आने के पूर्व ही प्राप्त कर ली थी ,  जबकि पीएचडी का शोध कुछ बाकि रह गया था. जिसपर उन्होंने जेएनयू से कुछ समय का विस्तारीकरण ले लिया था.

गत वर्ष, उन्होंने गृह विभाग, बिहार सरकार से अनुमति प्राप्त कर पुन: बचे हुए शोध कार्य को पूरा करने का संकल्प लिया. इस वर्ष की शुरुआत में यानि फरवरी 2021 में उन्होंने शोध कार्य को पूर्ण कर जेएनयू में जमा कर दिया जिसपर मूल्यांकन की प्रक्रिया के बाद दिनांक 29 दिसम्बर 21 को प्रात: 11 बजे से पीएचडी का भाईभा हुआ जिसमें उन्होंने अपनी रिसर्च को सफलतापूर्वक प्रस्तुत कर विभिन्न सवालों के संतोषप्रद जवाब दिए. सभी परीक्षक संतुष्ट हुए और उन्हें बाकायदा पीएचडी की डिग्री से नवाजा गया. 

उल्लेखनीय है कि डॉ कुमार आशीष के शोध का शीर्षक La transcréation comme voix de protestation : Une étude des œuvres françaises traduites en hindi (1980-2010) अंग्रेजी में (Transcreation as Protest: A Study of French Literary Works Translated into Hindi (1980-2010) था ।

जिसमें उन्होंने सन 1980 से  2010 तक हुए फ्रेंच भाषा के 04 नामचीन उपन्यासों के हिंदी अनुवाद किये। भारत में प्रासंगिकता और हिंदी साहित्य पर उनके प्रभावों पर शोध किया. उनके शोध का मूल विषय प्रतिरोध का साहित्य था. स्वाधीनता काल में ये प्रतिरोध का भाव ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ प्रदर्शित होता था जबकि वर्तमान समय में ये प्रतिरोध का भाव प्रचलित सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ प्रदर्शित हो रहा है. जो साहित्यिक कृतियाँ फ्रांस में 100 साल पहले वहां के सामाजिक बुराइयों से लोहा लेती थी,

उनके हिंदी अनुवाद लगभग वही कार्य आज के भारतीय समाज में करते प्रतीत होते हैं. हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज़ उठाने का कार्य फ्रेंच भाषा से हिंदी में अनुदित साहित्य के माध्यम से प्रतिरोध कर समाज को जगाने का ये शोध अपने आप में अनूठा और लाजवाब प्रयास है. 

डॉ आशीष के viva में शामिल होने वाले मुख्यत: डॉ किरण चौधरी ( उनकी गाइड सह सुपरवाइजर), डॉ सुशांत कुमार मिश्र ( चेयरपर्सन, फ्रेंच सेंटर, जेएनयू), डॉ शोभा, डॉ निधि राय सिंघानी (जयपुर विश्वविद्यालय), डॉ फैज़ुल्ला खान (जामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली), डॉ कुतुबुद्दीन(जेएनयू), देव्यानी शेखर,  सिम्पी और अम्बरीश सहित कई अन्य शोधार्थी भी उपस्थित रहे. सबों ने डॉ आशीष को उनके शोध की सफलता पर हार्दिक शुभकामनायें दी हैं. 

वहीँ इस मौके पर डॉ आशीष ने तमाम सहयोगियों का शुक्रिया अदा किया और समाज की बेहतरी में योगदान करने की अपील भी की.