नई सुबह

कहकशाँ एक बहुत ही खूबसूरत, तेज दिमाग, चंचल स्वभाव की थी! उसकी शादी कम उम्र में ही हो चुकी थी!

नई सुबह
नई सुबह

नई सुबह

कहकशाँ एक बहुत ही खूबसूरत, तेज दिमाग, चंचल स्वभाव की थी! उसकी शादी कम उम्र में ही हो चुकी थी! इतनी चंचल लड़की न जाने कब इतना उदास रहने लगी यह कोई नहीं जान सका! उसके हालातों ने उसे अंदर से तोड़ दीया था! कहकशाँ जब 16 साल की थी तब उसके अब्बा  ने उसकी शादी अपने भाई के लड़के से करा दी थी! जब कहकशाँ की शादी हुई तब कहकशाँ का पति कोई काम नहीं करता था! शादी से पहले कहकशाँ की मां ने कहा था, "लड़का कोई काम नहीं करता, मेरी बेटी की जिंदगी कैसे कटेगी"? लेकिन इस बात से कहकशाँ के अब्बा पे कोई फर्क नहीं पड़ा। और उसके अब्बा ने उस का निकाह अफजल से करा दीया! दिन बितते गए, कब शादी के 6 साल गुजर गए पता ही नहीं चला! कहकशा के पास एक लड़का और एक लड़की थी। लड़का का नाम आफताब और लड़की का नाम नेहा था। कहकशाँ का पति कभी काम करने जाता तो कभी घर पर ही रहता। अफजल ने कभी कोई काम नही सिखा था, और ना ही पढ़ा लिखा था! अफजल के इस रवैया से कहकशा रोती  थी, लेकिन अफजल पे कहकशाँ के नाराजगी का ज़र्रा बराबर भी फर्क नहीं पड़ता! अफजल के नहीं काम करने की वजह से घर के हालात बहुत ही खराब थे! कहकशाँ घर की आर्थिक तंगी से तंग आ चुकी थी, और अपनी किस्मत पर रोती! आए दिन अफजल शराब पीना और जुआ भी खेलने लगा! अफजल के कुछ साथी बिगरे किस्म के थे, कभी-कभी अफजल को भी शराब पिलाकर घर भेज देते! यह सब देखकर कहकशाँ को बहुत गुस्सा आता, और खुदकशी करने की भी कोशिश करती , लेकिन उसके सामने दो प्यारे -प्यारे बच्चे का चेहरा झलक ने लगता! कहकशाँ ना चाहते हुए भी अपनी टूटी- फूटी जिंदगी को मुस्कुराते हुए जीने की कोशिश करती! शाम हो चुकी थी लेकिन अफजल घर नहीं लौटा था! कहकशाँ का मन बहुत घबरा रहा था, वह बार-बार दरवाजे के पास जाती और इधर-उधर देखती! अफजल का इंतजार करते - करते रात के 12:00 बज चुके थे! अब कहकशाँ के सब्र का बांध टूट चुका था! कहकशाँ ने जल्दी-जल्दी अपने मां को फोन लगाया, और बोली" अम्मा अफजल अब तक घर नहीं आया, न जाने क्यों मेरा दिल बहुत घबरा रहा है" यह सुनकर उसकी मां ने कहा" तुमने पहले क्यों नहीं बताया? अब तो बहुत देर हो चुकी है , अभी किसी को बोला भी जाए तो वह ढूंढने के लिए बाहर नहीं जाएगा,जो किस्मत में लिखा होगा उसे कोई नहीं मिटा सकता! बच्चे को खाना खिला कर तुम भी खा लो और आराम करो कल देखेंगे!" लेकिन नींद उसके आंखों से कोसों दूर था, उसकी आंखें तो सिर्फ अफजल को ढूंढ रही थी! इंतजार करते-करते सुबह हो गई, अफजल नहीं आया! कहकशाँ ने सोचा क्यों ना मैं बाहर जाकर ढूंढु आऊ, कहकशाँ अभी सोच ही रही थी की दरवाजे पर किसी ने आवाज दी।"कोई है घर में"यह सुन कर कहकशाँ दौड़ कर दरवाज़े की तरफ भागी।दरवाज़े पर एक आदमी खड़ा था,जिसके हाथ में अफ़जल का चप्पल था।यह देख कर कहकशाँ घबरा गई और चिल्लाने लगी" क्या हुआ है मेरे अफ़जल को"उस आदमी ने जवाब दिया"अफ़जल को किसी ने ज़हरिली शराब पिला दी थी,जिसकी वजह से वो कल रात से सड़क पर बेहोश पड़ा है उसकी हालत बहुत नाजुक है"।यह सुनते ही कहकशाँ उस आदमी के साथ भागती हुई उस जगह पर पहुँची,जहाँ पर अफ़जल अधमरा पड़ा था।उसे इस हालत में देख कर कहकशाँ के आँखो में सैलाब उमड़ पड़ा और फुट फुट कर रोने लगी।उसके आँखो के सामने अंधेरा छा गया,उसे समझ मे नही आरहा था की अब वो क्या करें?बेरोजगारी की वजह से उसकी जिंदगी में पहले से ही आर्थिक रूप से तंगी थी,अब और एक नई मुसीबत ने उसकी जिंदगी मे दस्तक दी।धिरे-धिरे गाँव के बहुत सारे लोग वहाँ पर देखने के लिए आएे,सभी ने कहकशाँ को हिम्मत दी और अफ़जल को ईलाज के लिए अस्पताल ले गए।गांव वालों ने मिलकर चंदा इकठ्ठा किया और कहकशाँ। को सांत्वना दी और कहा के "हमसब तुम्हारे साथ है,कभी अपने आप को अकेला मत समझना।तभी कहकशाँ की माँ अस्पताल आई और बेटी को गले लगाकर रोने लगी।माँ को देख कर कहकशाँ भी फुट-फुट कर रोने लगी।माँ ने बेटी को हिम्मत दी और कहा "अल्लाह सब ठीक कर देंगे बस अल्लाह पर भरोसा रखो"अफजल को देखने के बाद दोनो बच्चों को अपने साथ ले गई।कहकशाँ दिन रात अफ़जल की सेवा करती,और अल्लाह से उसके अच्छे होने की दुआ करती।देखते-देखते एक महीने गुजर गए। एक दिन कहकशाँ अफ़जल को दवा खिला रही थी,तभी अफ़जल उसके हाथो को पकड़ कर चुमने लगा,और कहा "कहकशाँ तुम कितनी अच्छी हो,तुमने मेरा कितना ख्याल रखा मैने तुमको कभी वो खुशी नही दी,जो एक पती अपनी पत्नी को देता है,उसकी छोटी-छोटी जरूरतो को पुरा करता है।मैं न कभी भी  एक अच्छा पती बन सका और नही पिता,मुझे माफ कर दो कहकशाँ मैंने तुमहे बहुत रुलाया है"यह कह कर अफजल रोने लगा।कहकशाँ भी उसके साथ रोने लगी,और बोली" अगर कोई सुबह  का भुला शाम को घर आए तो उसे भुला नही कहते अब आप जल्दी से ठीक होजाओ हम लोग फिर से एक नई जिंदगी की शुरुआत करेंगे"यह सुन कर अफजल की आँखो मे एक नई चमक और होठों पर हल्की सी मुसकान उभर आई।अब अफ़जल बिलकुल ठिक हो चुका था।अस्पताल से अफ़जल जब घर आया तो सबसे पहले उसने बच्चों को गले से लगाया और जी भर के प्यार किया।कहकशाँ ये सारे नजारे देख रही थी और सोच रही थी अफ़जल पहले से कितना बदल गया, जो कभी भी बच्चो की फिक्र नही करता था आज कितना प्यार लुटा रहा है,या अल्लाह मेरे हँसते खेलते परिवार पर किसी की बुरी नज़र न लगे।अब कहकशाँ की जिंदगी में बदलाव आ चुँका था।अफजल रोज काम पर जाता और मेहनत मजदूरी कर के अपने परिवार का पेट पालता,और रोज बच्चों के लिए कुछ न कुछ लाता।कहकशाँ अब बहुत खुश रहने लगी,अफ़जल भी उसे बहुत प्यार करने लगा।

जिंदगी है तो उतार चढ़ाव आते रहेंगे
हिम्मत न हारना कभी भी मेरे दोस्त
बस चेहरे पर हँसी लेकर मुसकुराते रहेंगे।

लेखिका- नुजहत जहाँ