महिलाओं को सम्मान देने का कार्य अपने घर से शुरू करें!

क्या महिलाओं के लिए साल में सिर्फ एक ही दिन बना है 8 मार्च को सम्मानित करने का?

महिलाओं को सम्मान देने का कार्य अपने घर से शुरू करें!

क्या महिलाओं के लिए साल में सिर्फ एक ही दिन बना है 8 मार्च को सम्मानित करने का?


हर कोई इस दिन महिलाओं के ऊपर बहुत सारे भाषण देते हैं लेकिन वाकई वह भाषण धरातल पर महिलाओं को सम्मान देतीहै!
हमें महिला को सम्मान देने का कार्य अपने घर से शुरू करना चाहिए !अपने घर के महिलाओं को वह सम्मान दे जो आप भाषण में प्रयोग करते हैं!


उसके भावनाओं को समझें उनको अपने घर में वह अधिकार दे जो आप बाहर भाषण में महिलाओं को अधिकार दिलाने का वादा करते हैं!

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कई ऐसी महिलाएं हैं जिसके अंदर टैलेंट होते हुए भी वह आगे नहीं बढ़ सकती क्योंकि उसे उसके ही घर में वह छूट नहीं मिलती कि वह अपनी मर्जी से अपनी जिंदगी को व्यक्त कर सकें। यहां तक की महिलाओं को अपनी बात रखने का भी अधिकार नहीं दिया जाता। बहुत सारी हमारी मां बहने हैं जिनके बहुत सारे सपने होते हैं। लेकिन औरत हर किरदार में किसी ना किसी पुरुष के साथ बंधी होती है।

जब जन्म लेती है तो बड़ी अपने पिता के छाया में होती है, वह अपने पिता के हिसाब से जीती है, जब शादी होती है तो अपने पति के हिसाब से जीती है, जब बेटा बड़ा होता है तो उसे बेटे के हिसाब से जीना होता है।

आखिर कब तक महिला की जिंदगी पर पुरुषों का राज होता रहेगा?

महिला सारे जग की जननी होते हुए भी अपने लिए कुछ नहीं कर पाती। महिलाओं का कोई भी क्षेत्र हो सभी पर दबंग पुरुषों का राज होता है। चाहे वह चुनावी क्षेत्र हो। चुनाव के समय भी महिलाओं को सिर्फ दिखावे के लिए चुनावी रणभूमि में उतारा जाता है, जीतने के बाद महिला को घर संभालने के लिए घर के चारदीवारी में रख दिया जाता है! जीतने के बाद भी उसे वह अधिकार नहीं दिया जाता जिसकी वह हकदार होती है! क्यों पुरुषों को लगता है कि महिलाएं कुछ नहीं कर पाएगी? आप एक बार मौका तो दे क्या नहीं कर सकती है महिलाएं?

मैं आसान शब्दों में यह कहना चाहती हूं की महिलाओं के लिए सिर्फ 8 मार्च ही क्यों बना है अगर हम और आप चाहे तो हर दिन उसे सम्मान दे सकते हैं!

हर कोई महिलाओं के लिए महिला सशक्तिकरण का प्रयोग करता है! बहुत कम लोग ही जानते हैं कि महिला सशक्तिकरण है क्या?

महिला सशक्तीकरण को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है कि इससे महिलाएं शक्तिशाली बनती है जिससे वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सकती है और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती है।

समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तीकरण है। इसमें ऐसी ताकत है कि वह समाज और देश में बहुत कुछ बदल सके। वह समाज में किसी समस्या को पुरुषों से बेहतर ढंग से निपट सकती है। विकास की मुख्यधारा में महिलाओं को लाने के लिये भारत सरकार के द्वारा कई योजनाएं चलाई गई हैं।

लेकिन वह योजना भी किस काम का जब घर के अंदर ही भेदभाव मिले! सबसे पहले हमें लड़का और लड़की के भेदभाव वाली मानसिकता को बदलना होगा तभी हम नारी को सशक्तिकरण का अधिकार उसे दे सकते हैं!

अपमान न करना नारियो का
इनके बल पर जग चलता है
पुरुष जन्म ले कर तो
इन्हीं के गोद में पलता है