गणतंत्र दिवस की सौगात के रूप में केंद्रीयअल्पसंख्यक मंत्रालय ने किशनगंज की एएमयू शाखा के लिए किया 50 करोड़ का आवंटन

किशनगंज के कांग्रेस सांसद जावेद आज़ाद के प्रयास से एएमयू अलीगढ़ के कुलपति ने 10करोड़ की लागत वाले गर्ल्स हॉस्टल का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये किशनगंज में किया शिलान्यास

गणतंत्र दिवस की सौगात के रूप में केंद्रीयअल्पसंख्यक मंत्रालय ने किशनगंज की एएमयू शाखा के लिए किया 50 करोड़ का आवंटन

लेकिन किशनगंज में लगी क्लीनगंगा की रोक के विरूद्ध जारी है आंदोलन

मामले में बिहार सरकार की उदासीनता हो गई है उजागर


सीमांचल (अशोक/विशाल)

किशनगंज के कांग्रेस सांसद डॉ मोहम्मद जावेद आज़ाद ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री  मुख्तार अली नकवी से एएमयू की शाखा किशनगंज की हलीम चौक स्थित शाखा के छात्र-छात्राओं के लिए हॉस्टल के निर्माण के लिए फण्ड के आवंटन के लिए अनुरोध किया था तो उक्त अनुरोध के आलोक में केंद्रीय सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय के द्वारा 50 करोड़ का आवंटन किया गया है , तत्पश्चात 25 जनवरी 22 को गणतंत्र दिवस के पूर्व  एएमयू अलीगढ़ के कुलपति  तारिक मंसूर ने वीडियोकॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से एएमयू शाखा किशनगंज की हलीम चौक स्थित केंद्र में  10 करोड़ की लागत की गर्ल्स हॉस्टल का शिलान्यास किया गया है ।

इस उपलब्धि को किशनगंज वासियों ने इस साल के गणतंत्र दिवस के उपहार के रूप में ग्रहण कर सन्तोष महसूस किया है।

लेकिन , एनएमसीजी की ओर से किशनगंज की एएमयू शाखा के अंतर्गत  निर्माण कार्य पर लगी रोक के खिलाफ किशनगंज के आम आवाम लगातार आंदोलित हैं और लगातार धरना कार्यक्रम जारी है।

एएमयू की किशनगंज शाखा में एनएमसीजी के द्वारा निर्माण कार्य पर लगायी गयी रोक को लेकर एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने खुलासा किया है कि निर्माण कार्य शुरू करने के लिए एनएमसीजी के क्लियरेंस के लिए जरूरी है कि महानन्दा नदी के किनारे के तटीय क्षेत्र या नदी के बाढ़ से प्रभावित होने वाले मैदानी क्षेत्र के सीमांकन का ब्यौरा बिहार सरकार एनएमसीजी को उपलब्ध कराये , ताकि एनएमसीजी इस निष्कर्ष पर पहुंच सके कि एएमयू की किशनगंज शाखा को बिहार सरकार की ओर से हस्तांतरित की गई भूमि में से भूमि का कितना परिमाण निर्माण कार्य के योग्य है।

जाहिर सी बात है कि एनएमसीजी के महानिदेशक के खुलासे से यह बात सीधे तौर पर स्पष्ट हो गया है कि अब यह बिहार सरकार पर ही निर्भर है कि वह उक्त भूमि का सीमांकन कर दे या बिहार सरकार द्वारा किशनगंज की एएमयू की शाखा के लिए प्रदत्त सम्पूर्ण भूमि को ही निर्माण के लिए अयोग्य घोषित कर दे।
हालांकि , यहां पर बिहार सरकार के लिए दुविधा की बात यह भी है कि  अगर वह एएमयू की जमीन को निर्माण के लिए अयोग्य करार देगी तो बिहार सरकार के समक्ष दूसरी बड़ी समस्या के रूप में किशनगंज के ही अर्राबाड़ी में महानन्दा नदी के किनारे ही नवनिर्मित डॉ कलाम कृषि महाविद्यालय पर भी प्रश्नचिन्ह लग जायेगा।

एनएमसीजी की ओर से किशनगंज के सांसद डॉ जावेद आजाद को प्रेषित पत्र के 5 वें नम्बर के पॉइन्ट से खुलासा होता है कि इस संदर्भ में एनएमसीजी को बिहार सरकार की ओर से कोई भी अपेक्षित सूचना-जानकारी नहीं दी जा रही है , सूचना मिलने के बाद ही एनएमसीजी गंगा नदी पुनरूद्धार संरक्षण और प्रबंधन प्राधिकरण आदेश 2006 के आदेश के अंतर्गत कुछ कुछ निर्माण गतिविधियों को अनुमति देने या नहीं देने के मामले की जांच की जा सकती है।

जाहिर सी बात है कि इस प्रकरण में बिहार सरकार की भारी उदासीनता खुलकर सामने आ रही है कि वह आखिर क्यों नहीं क्लियरेंस की प्रक्रिया को अपनी ओर से आगे बढ़ाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही है।
स्मरणीय है कि किशनगंज से लेकर पड़ोसी राज्य बंगाल के निकटवर्ती इलाके के लोगों के संयुक्त आंदोलन के कारण बिहार की नीतीश कुमार की सरकार ने किशनगंज में एएमयू की शाखा के लिए जमीन हस्तांतरित किया था।