शाहनवाज के मंत्री पद पर सुशोभित होने पर बिहार सरकार से केन्द्र सरकार तक मंत्री रहे शाहनवाज के स्वर्गीय पिता तस्लीमुद्दीन साहब की आत्मा हुई होगी तृप्त

बड़े मियां तो बड़े मियां छोटे मियां सुभानअल्लाह वाली कहावत की तर्ज पर स्व० तस्लीमुद्दीन के बड़े पुत्र सरफराज हैं पूर्व मंत्री तो छोटे पुत्र शाहनवाज भी बन गए मंत्री

शाहनवाज के मंत्री पद पर सुशोभित होने पर बिहार सरकार से केन्द्र सरकार तक मंत्री रहे शाहनवाज के स्वर्गीय पिता तस्लीमुद्दीन साहब की आत्मा हुई होगी तृप्त

सीमांचल भर की जनता की जगी उम्मीद 

सीमांचल (अशोक / विशाल) 

बिहार में महागठबंधन के बैनर तले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के नेतृत्व में नवगठित बिहार सरकार के मंत्रिमंडल में सीमांचल के अतिलोकप्रिय रहे नेता स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन के विधायक पुत्र शाहनवाज आलम को मंत्री पद पर आसीन कराने की खबर सम्पूर्ण सीमांचल में फैलते ही लोगों को एहसास हुआ कि एक लंबे अरसे के बाद सीमांचल के राजनीतिक क्षेत्र में उस जोकीहाट की पुरानी प्रतिष्ठा की फिर से वापसी हुई है जो कभी इसी मंत्री शाहनवाज आलम के स्वर्गवासी पिता जनाब तस्लीमुद्दीन साहब के जमाने में कायम थी और उसके बूते ही जोकीहाट सहित सम्पूर्ण सीमांचल की राजनीतिक छवि भारत के राजनैतिक मानचित्र में दर्ज हुई थी।

अब देखने वाली बात यह होगी कि  सीमांचल गांधी के रूप में सीमांचल की जनता के हक व हुकूक की रक्षा के लिए जीवन के आखिरी क्षण तक सतत लड़ाई लड़ते रहने वाले स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन साहब की तर्ज पर जनता की हक व हुकूक की अगली लड़ाई मंत्री शाहनवाज आलम किस हद तक लड़ सकते हैं और अपने पिता वाली राजनैतिक हैसियत को किस हद तक अपने राजनीतिक जीवन में साकार कर सकते हैं।

 इस बात की चर्चा यहां पर इसलिए की जा रही है कि जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र पर जीत दर्ज करके स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन साहब के बड़े पुत्र और नये मंत्री शाहनवाज आलम के बड़े भाई सरफराज आलम भी अपने पिता के ही जीवनकाल में दो बार मंत्री पद पर आसीन हुए थे लेकिन अपने पिता की तर्ज पर सीमांचल के राजनीतिक क्षेत्र पर वर्चस्व स्थापित नहीं कर पाये थे और न ही पिता की तरह की लोकप्रियता हासिल कर सके थे ।जबकि वह एक बार अररिया की संसदीय सीट से पिता के स्वर्गवास के बाद सांसद भी निर्वाचित हुए थे।

बहरहाल , स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन साहब के छोटे पुत्र शाहनवाज आलम पहली बार मंत्री पद की कुर्सी पर आसीन हुए हैं तो सिर्फ जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र की जनता या अररिया जिले की जनता मात्र की आशायें ही शाहनवाज आलम से नहीं बंधी है वल्कि सम्पूर्ण सीमांचल वासियों की आशाएं मंत्री शाहनवाज आलम के साथ बंध गई है।

लोगों में उम्मीदें बंधी हैं कि अपने स्वर्गवासी कद्दावर राजनीतिज्ञ पिता तस्लीमुद्दीन साहब की भांति मंत्री शाहनवाज आलम भी दलगत और जातिवादी भावनाओं से उपर उठकर सर्वमान्य नेता का राजनीतिक किरदार निभायेंगे।

स्मरणीय है कि जिस जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र से अपनी राजनीति का आगाज करते हुए स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन ने 1959 में सिसौना का सरपंच पद और 1964 में सिसोना का मुखिया पद हासिल करने के बाद 1969 से 1985 तक विधायक पद  और 1989 में पूर्णिया से सांसद पद  , फिर 1995 में विधायक और 1996 में किशनगंज का सांसद पद हासिल  होने के बाद 1996 में ही केंद्रीय गृह राज्यमंत्री पद पर स्वयं को सुशोभित किया और 1998 में फिर से किशनगंज सांसद रहने के बाद वर्ष 2000 में बिहार सरकार का मंत्री पद , फिर 2004 में किशनगंज सांसद पद और उपभोक्ता मामले खाद्य संरक्षण विभाग के केंद्रीय राज्यमंत्री पद से लेकर  जीवन की आखिरी बेला में वर्ष 2014 मेंअररिया का संसदीय   चुनाव जीतकर अपनी राजनीतिक यात्रा को पड़ाव दे दिया था। उसी जोकीहाट की पुरानी प्रतिष्ठा की वापसी करते हुए स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन साहब के छोटे पुत्र शाहनवाज आलम ने जो नई इबारत लिखने की शुरूआत की है उसके मुताबिक सम्पूर्ण सीमांचल की जनता की आशाएं शाहनवाज आलम से बंध गई हैं।