महिला सुरक्षा का संकल्प करें और यह संकल्प राज्य सरकार, केंद्र सरकार और विभिन्न संस्थाएं करें।

मैं जब भारत के महिलाओं को देखती हूं तो मन बड़ा विचलित होता है एक असंतुलित चित्र सामने आने लगता है। एक तरफ हम कहते हैं कि हमारे यहां महिला राष्ट्रपति पद पर आसिन रही है ,महिला वर्षों वर्ष प्रधानमंत्री रही। आपको बता दें कि अध्यक्ष पीठ पर भी महिला रही, हमारी कल्पना चावला सुनीता विलियम्स ने वर्जनाओ को भेद कर अंतरिक्ष में उड़ाने भरी है। संतोष यादव ने अपने महिला पाव से बार-बार हिमालय को नापा है। ये वो चित्र है जो भारत की प्रतिष्ठा दुनिया में बढ़ाता है। लेकिन एक दूसरा चित्र भी है, वो चित्र जहां महिला ना जन्म से पहले सुरक्षित है और ना जन्म के बाद सुरक्षित है।

महिला सुरक्षा का संकल्प करें और यह संकल्प राज्य सरकार, केंद्र सरकार और विभिन्न संस्थाएं करें।

यह माता के गर्भ में मार दी जाती है, ये भ्रूण हत्या करने के लिए कोई बाहर से नहीं आता बल्कि माता-पिता करते हैं। इसे करवाने के लिए दादा-दादी की सहमति होती है। अगर कोई लड़की इस दुनिया में जन्म लेती है तो ना 2 वर्ष की बच्ची सुरक्षित है और ना ही 60 वर्ष की वृद्धा सुरक्षित है। दिल और दिमाग़ कौंधने लगता है जब अख़बार में पढ़ने को मिलता है, की 2 साल की बच्ची  बलात्कार की शिकार हुई, 7 साल की बच्चियां स्कूल में ही टीचर के दुष्कर्म का शिकार। ये वो भारत है जहां 60 साल की बूढ़ी के साथ गैंगरेप होता है।

यह सब सुनकर सर शर्म से झुक जाता है और दिल दर्द से भर जाता है। घर में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है, कभी दहेज के नाम पर इन्हें जलाया जाता है तो कभी चरित्रहीन का लेबल लगाकर घर से निकाल दिया जाता है।
कभी पति द्वारा हिंसा का शिकार हो रही है तो कभी सास-ससुर के द्वारा दहेज़ के लिए प्रताड़ित हो रही है।

महिलाएं अपने ही घर में शोषित हो रही है।

गुजरात दंगों के दौरान हुई बिलकिस बानो गैंगरेप की घटना कुछ ऐसी थी कि आज भी इसे याद करके या सुनकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं, लेकिन अफसोस गुजरात सरकार ने हाल ही में बिलकिस बानो गैंगरेप के आरोपियों को रिहा कर दिया। ये सभी ग्यारह आरोपी उम्र कैद की सज़ा काट रहे थे, ये सभी आरोपी गैंगरेप में दोषी पाए गए थे फिर भी इनहे रिहा कर दिया गया।

ये वो भारत है जहां बलात्कारियों का भव्य स्वागत किया जाता है । इसकी मिसाल आप बिलकिस बानो गैंगरेप आरोपियों को ही देख लीजिए।

आज बलात्कारी बेख़ौफ घूम रहे हैं। क्या बिलकिस बानो किसी मंत्री या मुख्यमंत्री की बेटी होती तब भी उसके बलात्कारी इसी तरह बेखौफ घूमते?

इसलिए मैं कहना चाहती हूं कि आज का वर्ष यदि महिला सुरक्षा के लिए हम समर्पित कर दे तो एक संकल्प ले सकते हैं। हम लोगों को लगता है कि आठ मार्च को महिला दिवस मनाने से या आठ मार्च को महिला के ऊपर कश़ीदा पढ़ने या लंबे-लंबे भाषण देने से स्थिति सुधर सकती है तो यह हम लोगों की भूल है। अगर स्थिति बदल सकती है तो सिर्फ दो चीजों से, समाज की सोच से और व्यवस्था के ख़ौफ से। मगर मुझे दुख: के साथ कहना पड़ता है कि समाज की सोच तो विकृत हो गई है, समाज में अच्छे बुरे लोग रहते हैं कम या ज़्यादा लेकिन अगर सिस्टम व्यवस्था अपना ख़ौफ बनाए रखे तो वो बुराई ढ़ँकी रहती है। बूरे लोग डरते सरकार की बनाई व्यवस्था से। आज दिक़्कत यह है कि व्यवस्था का ख़ौफ नहीं बचा कहीं, अपराधी कानून को ताक़ पर रख कर पुलिस व्यवस्था को चुनौती देकर महिला का रेप करते हैं और सरेआम घूम रहे हैं।

मैं सरकार से अपील करना चाहती हूं कि महिला की सुरक्षा की जाए अगर उनके साथ कोई रेप करता है तो उसे फांसी की सजा दी जाए, आज से हम महिला सुरक्षा का संकल्प करें और यह संकल्प राज्य सरकार, केंद्र सरकार और विभिन्न संस्थाएं करें तभी महिला दिवस पूर्ण रूप से महिला दिवस कहलाएगा।