सावित्री बाई फुले की जयंती पर नौ महिलाओं का मिला नारी रत्न

सावित्री बाई फुले की जयंती पर नौ महिलाओं का मिला नारी रत्न

सावित्री बाई फुले की जयंती पर नौ महिलाओं का मिला नारी रत्न

फुलवारीशरीफ (प्रवेज आलम)

सामाजिक संगठन दीदीजी फाउंडेशन के सौजन्य से देश की पहली भारतीय महिला शिक्षक और प्रधानाध्यापिका सावित्रीबाई फुले की जयंती के अवसर पर नौ महिलाओं को नारी रत्न सम्मान से अंलकृत किया गया। दीदीजी फाउंडेशन के सौजन्य से राजधानी पटना में सावित्रीबाई फुले की जयंती 03 जनवरी के अवसर पर नारी रत्न सम्मान समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें समाज में अलग-अलग क्षेत्र में उत्कृष्ट काम कर रही 09 महिला शक्तियों को सम्मानित किया गया। सम्मानित की गयी महिला शक्तियों में रत्ना गांगुली, मीनाक्षी सिन्हा, उर्वशी सिन्हा, सृष्टि सिन्हा, मेघाश्री अंजुम, नायशा टाकिया , दिव्या ,आदया शक्ति, निहारिका शामिल हैं। कार्यक्रम की शुरूआत सावित्री बाई फूले के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। दीदीजी फाउंडेशन की संस्थापक ,शिक्षिका और अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय-राजकीय सम्मान से अंलकृत डा. आनंद ने सावित्री बाई फुले को याद करते हुये कहा, सावित्री बाई फुले 19 वीं शताब्दी की वह वह सुनहरी किरण थी, जिसमें ब्रिटिश उपनिवेशवाद के भीतर अपनी न केवल आभा बिखेरी बल्कि अंधविश्वास, पाखंड, ढोंग धार्मिक कर्मकांडों को चीर कर ज्ञान के स्रोत को अछूतों एवं स्त्रियों के लिये रेखांकित किया। भारत की प्रथम प्रशिक्षित शिक्षिका होने का गौरव उन्हें ही प्राप्त है। सावित्रीबाई फुले ऐसी शख्स थी जिन्होंने समाज द्वारा लड़कियों की शिक्षा के विरोध के बावजूद उन्हें शिक्षित करने का प्रण लिया। ऐसे समय में उन्होंने शिक्षा पर कार्य करना शुरू किया, जब शिक्षा के सारे द्वार स्त्रियों के लिए प्रायः बंद थे, सदियों से शिक्षा से महरुम शोषित वंचित, दलित-आदिवासी और स्त्री समाज को अपने निस्वार्थ प्रेम, सामाजिक प्रतिबद्धता, सरलता तथा अपने अनथक सार्थक प्रयासों से शिक्षा पाने का अधिकार दिलवाया। समाज सुधारक क्रांति ज्योति सावित्री बाई फुले युग नायिका बनकर उभरीं। डा. नम्रता आनंद ने कहा अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाली महिलायें आज अपने दम पर समाज में फैली कुरीतियों को मिटाकर और पुरुषों के साथ हर कदम पर साथ चलकर इतिहास रच रही हैं।