अगर हौसला बड़ा हो तो बड़ी से बड़ी चुनौती को जीता जा सकता है

ये कहानी है मुजफ्फरपुर के फैशन डिजाइनर आभा चौधरी की

अगर हौसला बड़ा हो तो बड़ी से बड़ी चुनौती को जीता जा सकता है

मुजफ्फरपुर

जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का।
फिर देखना फिज़ूल है कद आसमान का।।
डरना नहीं यहाँ तू किसी भी चुनौती से।
बस तू ही सिकन्दर है सारे ज़हान का।।

"अगर हौसला बड़ा हो तो बड़ी से बड़ी चुनौती को जीता जा सकता है"

ये कहानी है मुजफ्फरपुर के फैशन डिजाइनर आभा चौधरी की। आभा चौधरी ने जीवन के झंझावातों से अपने लिए और अपने पूरे परिवार के लिए एक ऐसा रास्ता तैयार किया जिसके बारे में जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे। कहानी में मोड़ तब आया जब आभा चौधरी के पिता की मौत हो गई। अकेले पड़ी आभा अभाव में जीवन गुजारने लगी। परिवार की बड़ी बेटी होने के नाते कंधों पर सारा बोझ आ गया। परिवार की बड़ी बेटी होने के नाते परिवार और कारोबार दोनो संभालना था। बहनों की उम्र ढाई साल ,5 साल,18 और 16 साल थी। सबको पालना आभा की जिम्मेदारी थी।

फिर आभा ने अभाव में अवसर खोजा और खुद आत्मनिर्भर बनकर ऐसी कहानी लिखी कि पूरा परिवार पटरी पर आ गया। आज आभा को कौन नहीं जानता। अपनी जिद और अभाव में चल रही जिंदगी को संघर्ष के बलबूते ऐसे मुकाम पर ला दिया जहां सफलता ही सफलता कदम चूम रही है। आभा ने सबसे पहले अपने जीवन को बलिदान के हवाले किया। अपने सपने को, अपने इंगेजमेंट को तोड़ दिया। डिजाइनर कपड़ा तैयार करने लगी। प्रदर्शनी में जानें लगी। खुद का एक्जिविशन लगाना शुरू कर दिया। प्रदर्शनी से ही ऑर्डर मिलने लगा और उत्साह और बढ़ा तो दिल्ली और पटना के कई शोरूम से डिमांड आने लगी। 

आभा आमदनी बढ़ने के बाद सबसे पहले बहनों को सेटल किया और एक बहन को मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब मिला। आज आभा परिवार और कारोबार दोनों संभाल रही हैं। आभा ने बताया कि अब उनकी जिंदगी और दुनिया दोनों सही पटरी पर हैं। डिजाइनर कपड़े के क्षेत्र में पहचान बना चुकी आभा खुद का एक मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट शुरू किया। आभा आज की तारीख में खुद को संभालने के साथ कई परिवारों को रोजगार मुहैया करा रही हैं। जिंदगी को जीवटता के साथ जीने वाली आभा आज दूसरे के घरों में रोटी और रोशनी दोनों बिखेर रही हैं।