केंद्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू के खिलाफ FIR दर्ज, राहुल गांधी के खिलाफ की थी विवादित टिप्पणी
भाजपा और प्रधानमंत्री की चुप्पी: केंद्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू के विवादास्पद बयान पर आलोचना हाल ही में केंद्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू के खिलाफ राहुल गांधी को ‘नंबर एक आतंकवादी’ कहने के लिए FIR दर्ज की गई है। यह मामला कांग्रेस के नेताओं द्वारा की गई शिकायत पर आधारित है, जिसमें भाजपा नेताओं की भड़काऊ बयानबाजी की आलोचना की गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस पर प्रधानमंत्री मोदी से कार्रवाई की मांग की, लेकिन भाजपा और प्रधानमंत्री की चुप्पी सवाल उठाती है। क्या भाजपा इस प्रकार की अपमानजनक टिप्पणियों को अपनी राजनीतिक रणनीति मानती है? जब राजनीति में संवाद और सहिष्णुता की आवश्यकता है, ऐसे में भाजपा के नेताओं की आक्रामकता लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बन गई है। इस स्थिति पर विचार करने की आवश्यकता है, क्योंकि मौन सहमति केवल विषाक्तता को बढ़ावा देती है।
अध्यक्ष जमुई जिला माइनॉरिटी कांग्रेस
हाल ही में बेंगलुरु के हाई ग्राउंड्स पुलिस स्टेशन में केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। यह FIR कांग्रेस के नेताओं द्वारा राहुल गांधी के खिलाफ की गई शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है। बिट्टू का यह बयान, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी को ‘नंबर एक आतंकवादी’ बताया था, अमेरिका में दिए गए उनके बयानों पर प्रतिक्रिया के रूप में आया था। इस प्रकार की भड़काऊ टिप्पणियों से यह स्पष्ट है कि भाजपा के नेता किसी भी स्तर तक जाने को तैयार हैं, जब बात उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की होती है।
रवनीत बिट्टू के इस बयान को लेकर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पार्टी ने कहा है कि मंत्री का बयान ‘एक सिरफिरे आदमी’ की तरह है, जो राजनीतिक असहिष्णुता और नफरत का प्रतीक है। यह न केवल राहुल गांधी पर व्यक्तिगत हमले के रूप में देखा जा सकता है, बल्कि देश के लोकतंत्र पर एक गंभीर खतरा भी है।
इस पूरे विवाद में जो सबसे अधिक चौंकाने वाली बात है, वह है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की चुप्पी। जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बिट्टू के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, तब भी भाजपा के नेताओं की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई। क्या यह दर्शाता है कि भाजपा इस तरह के बयान को अपनी रणनीति का हिस्सा मानती है?
इसके अलावा, यह भी चिंता का विषय है कि किस प्रकार भाजपा के नेता राहुल गांधी जैसे प्रमुख विपक्षी नेता के खिलाफ इस तरह के अपमानजनक शब्दों का उपयोग कर रहे हैं। शिवसेना के विधायक द्वारा राहुल की जीभ काटकर लाने वाले को इनाम देने की घोषणा भी इस स्थिति को और गंभीर बनाती है। ऐसे समय में जब राजनीति में संवाद और सहिष्णुता की आवश्यकता है, भाजपा और प्रधानमंत्री की यह चुप्पी केवल आक्रामकता को बढ़ावा देती है।
इस संदर्भ में, यह कहना उचित होगा कि भाजपा की मौन स्वीकृति इस बात का संकेत है कि वे अपने ही नेताओं की विषाक्त बयानबाजी को न केवल सुरक्षा दे रहे हैं, बल्कि उसे बढ़ावा भी दे रहे हैं। यह लोकतंत्र के लिए खतरा है, और इस पर गंभीर विचार की आवश्यकता है।



