शैतान यती की धार्मिक उकसावे पर सरकार की सहमती और बढ़ता जनाक्रोश

आज के समय में राजनीति और धर्म के बीच टकराव की स्थिति गहराती जा रही है। इसके साथ ही कुछ असामाजिक तत्व अपने जहरीले विचारों के माध्यम से समाज में फूट डालने का प्रयास कर रहे हैं। इन्हीं में से एक व्यक्ति, जिसे लोग 'शैतान यती' के नाम से जानते हैं, ने हाल ही में फिर से पैग़म्बर-ए-इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान में अपमानजनक बातें कहीं। यह पहली बार नहीं है कि उसने इस तरह का बयान दिया है, लेकिन दुखद रूप से सरकारी और प्रशासनिक स्तर पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं दिखती।

शैतान यती की धार्मिक उकसावे पर सरकार की सहमती और बढ़ता जनाक्रोश

फैसल सुल्तान 

नफरत की राजनीति और धार्मिक भावनाओं का आघात

यति नरसिंहानंद द्वारा दिया गया यह बयान न केवल मुस्लिम समाज की धार्मिक भावनाओं पर सीधा प्रहार है, बल्कि समाज में नफरत और हिंसा फैलाने का एक प्रयास भी है। उनके बयान के बाद पूरे देश, खासकर मुस्लिम समाज में आक्रोश फैल गया। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गईं, लेकिन प्रशासनिक ढिलाई और कार्रवाई में देरी ने स्थिति को और जटिल बना दिया।

विरोध प्रदर्शन और प्रशासनिक प्रतिक्रिया

शैतान यति द्वारा पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भारी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। मुरादाबाद में हजारों लोग रात में सड़कों पर उतर आए और लगभग 5 किलोमीटर लंबा जुलूस निकाला गया। बुलंदशहर में भी नमाज के बाद प्रदर्शनकारियों ने उग्र नारेबाजी की और पत्थरबाजी की घटनाएं सामने आईं। गाजियाबाद में, जहां यति का डासना मंदिर स्थित है, सैकड़ों लोग इकट्ठा हो गए, जिससे यति ने डरकर प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगाई। हालांकि, पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित किया, लेकिन स्थिति तनावपूर्ण रही।

प्रशासनिक उदासीनता

प्रदर्शनकारियों के बढ़ते दबाव के बाद प्रशासन ने शैतान यति को हिरासत में लिया, लेकिन यह गिरफ्तारी तब हुई जब स्थिति पहले से ही गंभीर हो चुकी थी। यति नरसिंहानंद द्वारा इस तरह की बयानबाजी पहले भी की जा चुकी है, लेकिन हर बार प्रशासन की ओर से ढिलाई बरतने से ऐसे व्यक्तियों के हौसले बढ़ते हैं। मेरठ, मथुरा, अमरावती और अन्य शहरों में भी लोगों ने सड़कों पर उतरकर इस बयान के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया और यति की गिरफ्तारी की मांग की।

समाज पर धार्मिक उकसावे का असर

धार्मिक उकसावे से न केवल मुस्लिम समाज में बल्कि पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई। यति द्वारा दिए गए बयानों ने यह साबित किया कि समाज में घृणा फैलाने का कितना गंभीर असर हो सकता है। यह एक सोची-समझी साजिश प्रतीत होती है, जिसका उद्देश्य केवल समाज में धार्मिक तनाव और विभाजन बढ़ाना है। महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों में इस बयान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए।

कानूनी कार्रवाई और समाज की जिम्मेदारी

यति जैसे व्यक्तियों द्वारा की गई बयानबाजी न केवल समाज के लिए घातक है, बल्कि भारतीय संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ एक चुनौती भी है। प्रशासन की ओर से इस व्यक्ति पर सख्त कानूनी कार्रवाई न करना एक गंभीर चिंता का विषय है। ऐसे व्यक्ति को अगर समय रहते गिरफ्तार किया जाता और सख्त सजा दी जाती, तो शायद देश में सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं को रोका जा सकता था। लेकिन सरकार और प्रशासन की उदासीनता ने इस स्थिति को और विकट बना दिया है।

सांप्रदायिक सौहार्द की आवश्यकता

भारत जैसे विविधता वाले देश में सांप्रदायिक सौहार्द और आपसी सम्मान बेहद जरूरी हैं। धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले बयानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना आवश्यक है ताकि समाज में शांति और भाईचारा कायम रहे। समाज के सभी वर्गों को एकजुट होकर ऐसे जहरीले तत्वों का विरोध करना चाहिए और सरकार से यह मांग करनी चाहिए कि इन पर सख्त कानून लागू किए जाएं।

शांति और एकता का संदेश

यह समय है कि हम सभी मिलकर इस नफरत की राजनीति का विरोध करें और समाज में शांति और एकता को बढ़ावा दें। यति नरसिंहानंद द्वारा दिया गया बयान सिर्फ एक धार्मिक विवाद नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ एक साजिश का हिस्सा है। सरकार और प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस प्रकार के व्यक्तियों को न केवल गिरफ्तार किया जाए, बल्कि उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

निष्कर्ष

यति जैसे लोग समाज के लिए खतरनाक हैं। उनकी हरकतें यह साबित करती हैं कि वह केवल चर्चा में बने रहने और सांप्रदायिक उन्माद फैलाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ समय रहते कार्रवाई न होने से समाज में विभाजन और ध्रुवीकरण बढ़ता है, जिससे देश की एकता और अखंडता को खतरा पैदा होता है। भारतीय संविधान, लोकतंत्र और समाज की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि ऐसे तत्वों पर सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई हो, ताकि समाज में शांति और सद्भावना बनी रहे।

यति की हरकतें दिखाती हैं कि वह एक खतरनाक विचारधारा को बढ़ावा दे रहा है, जो समाज के लिए घातक साबित हो सकती है। ऐसे व्यक्ति पर सख्त कानूनी कार्रवाई न होना, समाज और व्यवस्था के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।अंत में, सभी से आग्रह है कि शैतान यती जैसे तत्वों के फैलाए गए जहर को फैलने से रोकने के लिए उनके वीडियो और बयानों को साझा न करें। यही वह चाहते हैं, कि उनकी बातों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जाए। प्रशासन को भी चाहिए कि ऐसे लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाकर इन्हें जेल के भीतर डाला जाए, ताकि भविष्य में कोई और इस तरह की हरकत करने की हिम्मत न कर सके।