जे डी वीमेंस कॉलेज हिन्दी विभाग ने तुलसीदास के जीवन पर आधारित नाट्य का कराया मंचन
पटना के जे डी वीमेंस कॉलेज के हिंदी विभाग ने तुलसीदास की जयंती के अवसर पर उनके जीवन पर आधारित नाटक का मंचन किया। इस समारोह की मुख्य अतिथि प्रो. छाया सिन्हा ने तुलसीदास को भारतीय संस्कृति का अनन्य पुजारी बताया और उनके कार्यों को अमूल्य मानते हुए उनके संदेश की महत्वता पर जोर दिया। प्रो. श्रीकांत सिंह ने तुलसीदास के दयनीय प्रारंभिक जीवन और उनके नामकरण की कहानी पर प्रकाश डाला। समीक्षक कुमार विमलेंदु ने तुलसीदास की रचनाओं पर उठ रहे विवादों को राजनीतिक बताया। प्राचार्या प्रो. मीरा कुमारी और विभागाध्यक्ष डॉ. रेखा मिश्रा ने तुलसीदास के समाज सुधारक योगदान की सराहना की। समारोह की शुरुआत प्रिया कुमारी के शिव तांडव नृत्य से हुई और नाटक में तुलसीदास के जीवन के महत्वपूर्ण दृश्यों का मंचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रगति ने किया और इसमें कॉलेज की विभिन्न शिक्षिकाओं ने भाग लिया।
पटना (सुधीर मधुकर/अशोक/विशाल)
- प्रो. छाया सिन्हा ने तुलसीदास के संदेश की महत्वपूर्णता पर की चर्चा
- प्रो. श्रीकांत सिंह ने तुलसीदास के दयनीय प्रारंभिक जीवन पर प्रकाश डाला
- समीक्षक कुमार विमलेंदु ने चौपाइयों पर विवाद को राजनीतिक बताया
- नाट्य मंचन की शुरुआत प्रिया कुमारी के शिव तांडव नृत्य से
- तुलसीदास के जीवन के महत्वपूर्ण दृश्यों का भावुक मंचन
- कार्यक्रम का संचालन प्रगति ने किया
किसी भी रचनाकार की महत्ता उनकी सामग्री से नहीं, अपितु उनके संदेश से होता है। रचनाकार का संदेश ही उन्हें महान बनाता है। ये बातें पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय की डीन प्रो. छाया सिन्हा ने कही।
तुलसी दास की जयंती के उपलक्ष्य में जे डी वीमेंस कॉलेज पटना के हिन्दी विभाग की ओर से आयोजित तुलसीदास जयंती समारोह के अवसर पर तुलसी दास के जीवन पर आधारित नाट्य मंचन समारोह को संबोधित करती हुई उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास भारतीय संस्कृति के अनन्य पुजारी थे। उनके कार्यों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। वह कभी भी परंपराओं का अंधानुकरण नहीं किए। वह हमेशा लोकभाषा का अनुकरण किए।
मुख्य अतिथि प्रो. श्रीकांत सिंह ने उक्त अवसर पर कहा कि तुलसीदास का प्रारंभिक जीवन काफी दयनीय रहा है। वह संसार में आने के साथ ही घर से निकाला हो गए थे। इसके बाद नरहरिदास ने उन्हें रामबोला से तुलसीदास बनाया।
समीक्षक कुमार विमलेंदु ने कहा कि तुलसीदास रचित चौपाईयों पर जो भी विवाद हो रहा है, वह महज राजनीतिक है। पढ़ने-पढ़ाने वाले के पास कोई विवाद नहीं होने चाहिए।
कॉलेज की प्राचार्या प्रो. मीरा कुमारी ने कहा कि तुलसीदास समाज में फैली कुरुतियों को दूर करने की कोशिश करते रहे थे। विभागाध्यक्ष डॉ. रेखा मिश्रा ने कहा कि तुलसीदास का यश हमेशा गतिशील रहा है। उनके द्वारा रचित रामचरितमानस हर घर में होनी चाहिए।
कार्यक्रम के अंतर्गत नाट्य मंचन का शुभारंभ प्रिया कुमारी की शिव तांडव नृत्य से हुआ। नाट्य मंचन में तुलसीदास का रत्नावली से विक्षोह के दृश्य को देखकर छात्राएं व शिक्षकों की आंखों में आंसू आ गए। उसके बाद रामबोला से तुलसीदास के नामाकरण दृश्य का भी मंचन किया गया।
कार्यक्रम का संचालन प्रगति ने किया।
जबकि पूरे कार्यक्रम में विभाग की कॉलेज प्राक्टर डा. वीणा अमृत, शिक्षिका डा. स्मृति आनंद, डाॅ. स्वाति, मिनाक्षी गुप्ता, डा. सीमा कुमारी, डा. ब्रजवाला शाह आदि भी शामिल रहीं।