भारतीय राजनीति का विकृत चेहरा: राहुल गांधी को मिली धमकी और भाजपा की भूमिका
राहुल गांधी को हाल ही में मिली जान से मारने की धमकियों ने भारतीय राजनीति में नफरत और हिंसा के बढ़ते प्रभाव को उजागर किया है। भाजपा और इसके समर्थकों की अपराधिक चुप्पी इस बात का संकेत है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी इस विभाजनकारी राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं। RSS और भाजपा का इतिहास भी नफरत और हिंसा से जुड़ा रहा है, जैसे कि महात्मा गांधी की हत्या की घटना। कांग्रेस नेताओं ने भाजपा के इस रवैये की कड़ी आलोचना की है। मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन ने भाजपा को चेतावनी दी है कि राहुल गांधी को किसी भी प्रकार का नुकसान सहन नहीं किया जाएगा। सुप्रिया श्रीनेत ने भाजपा के बयानों की कड़ी निंदा की है और नफरत के खिलाफ मोहब्बत की राजनीति को बढ़ावा देने की बात की है।
फैसल सुल्तान
भारतीय राजनीति में पिछले कुछ वर्षों में नफरत और विभाजनकारी राजनीति का उभार बेहद चिंता का विषय बन गया है। इसका ताजा उदाहरण कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मिली जान से मारने की धमकी है, जो न केवल उनके व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र और राजनीति के गिरते स्तर को भी उजागर करता है। इस घटना के बाद भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी ने इस मुद्दे को और भी गंभीर बना दिया है, जिससे देश की राजनीति की दिशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
नरेंद्र मोदी और भाजपा की मूक सहमति
राहुल गांधी को मिली धमकियों के बाद, भाजपा के किसी भी वरिष्ठ नेता द्वारा कोई कठोर बयान या कार्रवाई सामने नहीं आई। यह चुप्पी स्पष्ट रूप से भाजपा और नरेंद्र मोदी की मूक सहमति को दर्शाती है। नफरत और हिंसा फैलाने वाले भाजपा समर्थकों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ कोई कड़ा कदम न उठाने से यह सवाल खड़ा होता है कि क्या देश के प्रधानमंत्री ऐसी विभाजनकारी राजनीति का समर्थन करते हैं? नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार अक्सर ऐसे मुद्दों पर मौन रहती है, जो उनके राजनीतिक एजेंडे के खिलाफ हो।
नरेंद्र मोदी, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे हैं, पर पहले भी देश की एकता की बजाय विभाजनकारी राजनीति को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं। महात्मा गांधी की हत्या के बाद RSS की ओर से उनकी विचारधारा को खारिज करना और अब राहुल गांधी जैसे नेताओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा और धमकियों को नज़रअंदाज करना यह बताता है कि भाजपा और उसके सहयोगी संगठनों में नफरत की राजनीति को बढ़ावा मिल रहा है।
RSS और भाजपा का इतिहास: महात्मा गांधी से राहुल गांधी तक
महात्मा गांधी की हत्या का मामला भारतीय राजनीति के सबसे घृणित घटनाओं में से एक है, और यह आज भी राजनीति के केन्द्र में है। नाथूराम गोडसे, जो RSS से जुड़ा था, ने महात्मा गांधी की हत्या की थी, और आज भी RSS के कुछ समर्थक गांधी जी के पुतले पर गोली चलाते हैं। यह नफरत और हिंसा की राजनीति को वैधता देने का एक प्रतीकात्मक उदाहरण है।
यह वही संगठन है जिसके सदस्य देश में नफरत फैलाने का काम करते हैं, और भाजपा, जो RSS की राजनीतिक शाखा है, उसी नफरत को बढ़ावा देने का काम करती है। भाजपा के कई नेता और समर्थक नफरत और हिंसा की भाषा का इस्तेमाल करके अपने राजनीतिक लाभ के लिए समाज को बांटने की कोशिश करते हैं।
भाजपा की विभाजनकारी राजनीति
राहुल गांधी के खिलाफ धमकियां कोई एक बार की घटना नहीं है। यह भाजपा की रणनीति का हिस्सा है, जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों के बीच दरार डालने की कोशिश की जाती है। भाजपा ने हमेशा हिंदू-मुस्लिम के बीच विभाजन की राजनीति की है, और राहुल गांधी जैसे नेता, जो समानता और एकता की बात करते हैं, उन्हें इस विभाजनकारी एजेंडे के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में देखा जाता है।
जब भी सांप्रदायिक हिंसा और तनाव की स्थिति उत्पन्न होती है, भाजपा के नेता उसे राजनीतिक लाभ के रूप में इस्तेमाल करते हैं। यही वजह है कि भाजपा के समर्थक राहुल गांधी जैसे नेताओं को धमकियों से डराने की कोशिश करते हैं, ताकि वे अपने असली राजनीतिक मंसूबों को पूरा कर सकें।
राहुल गांधी: नफरत के खिलाफ चट्टान
राहुल गांधी ने हमेशा भाजपा की नफरत और विभाजनकारी राजनीति का खुलकर विरोध किया है। उन्होंने भाजपा के नफरत भरे राजनीतिक एजेंडे को कई बार बेनकाब किया है, जिससे भाजपा के नेता और उनके समर्थक डरे हुए हैं। राहुल गांधी का यह स्टैंड कि समाज को नफरत के जरिए बांटा नहीं जाना चाहिए, उन्हें भाजपा के विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ सबसे बड़ा विरोधी बनाता है।
राहुल गांधी ने हर मंच से यह संदेश दिया है कि भाजपा और उसके सहयोगी संगठन सिर्फ सत्ता के लिए काम करते हैं, चाहे उसके लिए उन्हें नफरत और हिंसा का सहारा क्यों न लेना पड़े। उन्होंने यह भी कहा है कि भारत जैसे विविधता भरे देश में नफरत की राजनीति की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। यही कारण है कि भाजपा उनके खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाती है।
भाजपा समर्थकों की धमकियां: कायरता या डर?
राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा समर्थकों द्वारा दी गई धमकियों को केवल कायरता के रूप में नहीं देखा जा सकता, बल्कि यह भाजपा के भीतर के डर को भी उजागर करता है। भाजपा के नेता राहुल गांधी के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव से घबराए हुए हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि राहुल गांधी की नीतियां और विचारधारा भाजपा के विभाजनकारी एजेंडे के लिए खतरा हैं।
उन्होंने महाराष्ट्र में बीजेपी के सहयोगी शिंदे सेना के विधायक संजय गायकवाड़ के बयानों को भी उजागर किया, जिन्होंने 16 सितंबर को सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि जो कोई भी विपक्ष के नेता राहुल गांधी की जीभ काटेगा उसे 11 लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा। कांग्रेस की ओर से रेल राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू का बयान भी उठाया गया।
"15.09.2024 को रवनीत बिट्टू ने मीडिया से सार्वजनिक रूप से बात करते हुए विपक्ष के नेता राहुल गांधी को देश का 'नंबर एक आतंकवादी' कहा। बिट्टू ने जानबूझकर यह बयान दिया ताकि गांधी के खिलाफ जनता में नफरत और आक्रोश पैदा हो सके, जिसका उद्देश्य हिंसा भड़काना और शांति भंग करना था। उक्त बयान टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित किया गया।"
"उपरोक्त के अलावा, यह भी कहा गया है कि भारत के विपक्ष के नेता को 'आतंकवादी', 'नंबर एक आतंकवादी' आदि कहना न केवल उनके द्वारा धारण किए गए सार्वजनिक पद को कमजोर करता है बल्कि उपरोक्त नामित व्यक्ति जानबूझकर राहुल गांधी को उनके सार्वजनिक कर्तव्यों का निर्वहन करने में बाधा डालने की कोशिश करते हैं, जैसे कि देश के विपक्ष के नेता के रूप में हाशिए पर पड़े वर्गों के मुद्दे उठाना और वर्तमान सरकार की विफलताओं को उजागर करना।"
भाजपा समर्थकों द्वारा धमकियां देना इस बात का प्रमाण है कि वे राहुल गांधी के विचारों से डरते हैं। यह उनकी हताशा का प्रतीक है, क्योंकि राहुल गांधी की लोकप्रियता और जनता के बीच उनकी स्वीकार्यता भाजपा की विभाजनकारी राजनीति के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी है।
नरेंद्र मोदी की चुप्पी: सत्ताधारी पार्टी की मंशा पर सवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी ने इस मामले को और भी गंभीर बना दिया है। जब भाजपा के समर्थक और नेता राहुल गांधी को जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं, तो प्रधानमंत्री का मौन रहना चिंताजनक है। नरेंद्र मोदी अक्सर अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं, लेकिन जब विपक्षी नेताओं की सुरक्षा की बात आती है, तब वे चुप क्यों रहते हैं?
यह चुप्पी दर्शाती है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व नफरत फैलाने वाले तत्वों को मौन समर्थन दे रहे हैं। यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस प्रकार की हिंसा और नफरत के खिलाफ सख्त कदम उठाने में विफल रहते हैं, तो यह भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।
कांग्रेस का जवाब और मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इस मामले पर भाजपा की कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे अपने नेताओं पर अनुशासन लागू करें और ऐसे हिंसक बयानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। उनका यह बयान इस बात का प्रतीक है कि कांग्रेस भाजपा की नफरत भरी राजनीति का खुलकर विरोध कर रही है।
भाजपा नेताओं और उनके सहयोगियों का नेता प्रतिपक्ष श्री @RahulGandhi के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक, हिंसक और अशिष्ट बयानों को रेखांखित करता, प्रधानमंत्री @narendramodi जी को मेरा सन्देश।
— Mallikarjun Kharge (@kharge) September 17, 2024
भारतीय संस्कृति अहिंसा, सद्भाव और प्रेम के लिए विश्व भर में जानी जाती है।
मोदी जी से अनुरोध और… pic.twitter.com/RPoOQt51EN
कांग्रेस का जवाब: अजय माकन का बयान
राहुल गांधी को मिली धमकियों पर कांग्रेस ने कड़ा रुख अपनाया है। कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा है कि भाजपा के पास अगर हिम्मत है, तो वे राहुल गांधी को मारने की कोशिश करें, लेकिन राहुल गांधी को किसी भी प्रकार का नुकसान सहन नहीं किया जाएगा। अजय माकन का यह बयान भाजपा की राजनीति के खिलाफ एक चेतावनी है। उन्होंने भारतीय राजनीति के इस स्तर की गिरावट की निंदा की, जिसमें विपक्ष के नेता को जान से मारने की धमकी दी जा रही है, और भाजपा के वरिष्ठ नेता इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
राहुल गांधी जी को जिन लोगों ने धमकी दी है, उनमें से 4 लोगों के खिलाफ शिकायत की गई है।
— Bihar Congress (@INCBihar) September 18, 2024
उनमें से एक दिल्ली BJP के पूर्व विधायक हैं, दूसरे शिवसेना-शिंदे से महाराष्ट्र के विधायक हैं, तीसरे केंद्र सरकार में मंत्री हैं और एक यूपी से मंत्री हैं।
: @ajaymaken जी pic.twitter.com/lhXIN1KUIg
सुप्रिया श्रीनेत का बयान:
सुप्रिया श्रीनेत, जो सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की अध्यक्ष हैं, ने भाजपा के समर्थन में राहुल गांधी को जान से मारने की धमकी देने की निंदा की। उन्होंने सवाल उठाया कि भाजपा के दरिंदों को यह हिम्मत कैसे हुई कि राहुल गांधी को जान से मारने की धमकी दें और उन्हें आतंकी बुलाएं। उन्होंने राहुल गांधी के परिवार की शहादत को याद करते हुए कहा कि राहुल गांधी की दादी ने देश की अखंडता की रक्षा के लिए अपने सीने पर 32 गोलियाँ खाईं। राहुल गांधी के पिता के शरीर के चीथड़े उड़ गए, और राहुल गांधी के परदादा ने स्वतंत्रता की लड़ाई में 9.5 साल जेलों में बिताए।
मोदी-शाह से राहुल गांधी की लोकप्रियता बर्दाश्त नहीं हो रही है
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) September 18, 2024
क्या इसीलिए अब उनके ख़िलाफ़ नफ़रत और हिंसा भड़काने वाले भाजपाईयों को शह दी जा रही है?
• क्या यह सच नहीं है कि राहुल गांधी के पिता और दादी इस देश के लिए शहीद हुए
• क्या यह सच नहीं है कि राहुल जी के परदादा ने इस… pic.twitter.com/VqipEy24a6
सुप्रिया श्रीनेत ने यह भी सवाल किया कि भाजपा की हिम्मत कैसे हुई कि वे राहुल गांधी के खिलाफ हिंसा और नफरत फैलाने की कोशिश करें। उन्होंने भाजपा के घिनौने बयानों के खिलाफ प्रदर्शन का उल्लेख करते हुए कहा कि एफआईआर तब दर्ज हुई जब प्रदर्शन किया गया। वे अमित शाह की दिल्ली पुलिस से यह देखने की उम्मीद करती हैं कि वे इस मामले में क्या कार्रवाई करती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी की दादी, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, की हत्या खलिस्तानियों ने की थी क्योंकि उन्होंने देश विरोधी ताकतों के सामने झुकने से इंकार कर दिया था।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि राहुल गांधी हमेशा नफरत के खिलाफ मोहब्बत की राजनीति करते हैं। उनका मानना है कि नफरत की आग को मोहब्बत के पानी से बुझाना चाहिए। राहुल गांधी का यह विश्वास उन्हें भाजपा की विभाजनकारी राजनीति से अलग करता है और यही कारण है कि भाजपा उनसे भयभीत है।
नफरत के खिलाफ मोहब्बत की राजनीति
राहुल गांधी ने हमेशा नफरत के खिलाफ मोहब्बत और शांति की राजनीति का समर्थन किया है। उनका यह मानना है कि नफरत की आग को मोहब्बत के जरिए ही बुझाया जा सकता है। उनकी यह विचारधारा भाजपा की नफरत भरी राजनीति से बिल्कुल अलग है।
निष्कर्ष
राहुल गांधी को मिली धमकियां केवल एक व्यक्ति के खिलाफ हमला नहीं हैं, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र और राजनीति के खिलाफ एक हमला है। यह घटना दर्शाती है कि भाजपा और उसके सहयोगी संगठन नफरत और विभाजन की राजनीति को किस हद तक बढ़ावा दे रहे हैं। यदि इस प्रकार की राजनीति को समय रहते नहीं रोका गया, तो यह देश की एकता और अखंडता के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
राहुल गांधी ने यह साबित कर दिया है कि वे नफरत के खिलाफ खड़े रहेंगे और किसी भी प्रकार के दबाव या धमकियों से पीछे नहीं हटेंगे। देश की जनता को भी इस नफरत भरी राजनीति के खिलाफ एकजुट होना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि लोकतंत्र और शांति की राजनीति का अस्तित्व बना रहे।