स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन पैटर्न की राजनीति पर चलते विधान पार्षद दिलीप जायसवाल

स्वर्गीय राजनेता तस्लीमुद्दीन पैटर्न की राजनीति से चमक रहे दिलीप जायसवाल अपने सिर पर तस्लीमुद्दीन साहब के आशीर्वाद को महसूस करते हुए इस बार भी जीत के प्रति हैं आश्वस्त

स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन पैटर्न की राजनीति पर चलते विधान पार्षद दिलीप जायसवाल

पूर्णिया किशनगंज अररिया की निकाय विधान परिषद की सीट से तीसरी बार मैदान में

सीमांचल (अशोक / विशाल)

सीमांचल पूर्णिया प्रमंडल के सबसे बड़े निकाय क्षेत्र की विधान परिषद की सीट पूर्णिया किशनगंज अररिया में राजद समर्थित प्रत्याशी हाजी अब्दुस सुबहान ,  कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी तौसीफ आलम और एनडीए गठबंधन समर्थित प्रत्याशी डॉ दिलीप जायसवाल के बीच चुनावी मुकाबले के बिगुल बज चुके हैं और तीनों उम्मीदवार अपने अपने तरीके से निकाय और पंचायत के जनप्रतिनिधि रूपी वोटरों को अपने अपने पक्ष में करने के लिए सम्पर्क अभियान में जी जान से लग गए हैं।

लेकिन , इन तीनों उम्मीदवारों में से जीत का फैसला उसी उम्मीदवार के पक्ष में जाएगा जो चुनावी खर्च की बाजी में आगे निकल कर इस मामले में अपने सामने प्रतिद्वंदी के रूप में खड़े दो उम्मीदवार को पछाड़ देने में चुनाव के पहले ही कीर्तिमान स्थापित कर लेंगे।

चुनावी खर्च का जिक्र यहां वोटर रूपी जनप्रतिनिधियों से सम्पर्क स्थापित करने को लेकर किया जा रहा है , जिसके मतलब की जद में यह तीन जिलों में फैला विशाल क्षेत्रफल वाला विधान परिषद क्षेत्र है। जहां के वोटर रूपी निकाय पंचायत के जनप्रतिनिधियों से वोट की खातिर चुन चुन कर एक एक करके संपर्क बनाना है।

चर्चा है कि इस संपर्क अभियान में बेशुमार धन की ख़र्चगी को इन्कारा नहीं जा सकता है और इस ख़र्चगी से जूझने की ताकत इन तीनों उम्मीदवारों में से किसमें किसमें है , यह जानकारी सम्वन्धित वोटरों से छुपी हुई नहीं है।

जाहिर सी बात है कि तीनों उम्मीदवार में से जो एक या दो उम्मीदवार सक्षम होगा उन्हीं के बीच इस चुनाव की बाजी हाथ लगेगी।

स्थानीय निकाय क्षेत्र के सीमांचल पूर्णिया प्रमंडल के तीनों जिले पूर्णिया किशनगंज अररियाकी पहचान राज्य के सबसे बड़े मुस्लिम इलाके के रूप में शुमार है और कांग्रेस व राजद ने इस सीट पर चुनावी बाजी जीतने के लिए मुस्लिम उम्मीदवारों को ही उतार दिया है ।

कहने का सीधा तातपर्य यह है कि कांग्रेस और राजद ने इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवारों को उतरवा कर मुस्लिम समाज के जनप्रतिनिधि वोटरों को दो भागों में बांटने का काम कर दिया है।

तुर्रा यह कि दोनों ही उम्मीदवार पूर्णिया किशनगंज अररिया के बहुसंख्यक मुस्लिम बिरादरी सुरजापुरी मुस्लिम समाज के ही हैं।

किशनगंज संसदीय क्षेत्र में पूर्णिया के भी जो दो विधानसभा क्षेत्र समाहित हैं वे भी सुरजापुरी मुस्लिम बिरादरी बहुल क्षेत्र हैं और उधर शेष किशनगंज जिले में तो सम्पूर्ण वर्चस्व ही सुरजापुरी मुस्लिम बिरादरी के ही हैं।

ऐसी स्थिति में एक कटू सत्य यह भी है कि इन इलाकों में पंचायत के वार्ड सदस्यों से लेकर पंचायत राज व्यवस्था के ऊपरी पायदान तक के पदों तक पर सुरजापुरियों के ही वर्चस्व स्थापित हैं।

तो जाहिर सी बात है कि दोनों विधान परिषद उम्मीदवार ने पर्याप्त जोर लगाया तो सुरजापुरी समाज के वोटरों का वोट बंट जाएगा।और तब वैसी स्थिति में न कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी की जय की संभावना होगी और न ही राजद समर्थित प्रत्याशी के विजय की कोई सम्भावना रह जायेगी।

और तब वैसी स्पष्ट स्थिति का सीधा लाभ सीटिंग एनडीए प्रत्याशी ही उठाएगा , इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता है।

उस पर तुर्रे की एक बात यह भी हो गई है कि किशनगंज क्षेत्र के जिस पच्छमाहा मुस्लिम समुदाय से सुरजापुरियों को परहेज रहता आया है , उसी पच्छमाहा मुस्लिम समाज के नेताओं को राजद के सुरजापुरी उम्मीदवार ने किशनगंज जिले की चुनावी कमान सौंप दी है।

बताया जाता है कि इस बात से जनप्रतिनिधि सुरजापुरियों में अंदरूनी तकलीफ हुई है।

दूसरी ओर राजद का स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन खेमा भी राजद समर्थित प्रत्याशी से स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन की राजनीति की ही तर्ज पर राजद समर्थित प्रत्याशी की जगह इंसानियत के नाम पर दिलीप जायसवाल की मदद को तत्पर है।

उधर , कांग्रेस समर्थित विधान परिषद प्रत्याशी जो हैं , उनकी पहचान किशनगंज जिले में तो बहुत पुरानी रही है लेकिन अररिया और पूर्णिया जिले में उन्हें अपनी पहचान बनाने के लिए इन जिलों के कांग्रेस महकमे की मदद लेनी पड़ रही है।

जबकि , यहां पर भी एक कटू सत्य यह है कि पूर्णिया और अररिया का कांग्रेस महकमा लम्बे अरसे से सीटिंग विधान पार्षद डॉ दिलीप जायसवाल से उतना ही प्रभावित है , जितना प्रभावित हरेक दल इस सीमांचल में स्वर्गीय सीमांचल गांधी जनाब तस्लीमुद्दीन से प्रभावित रहता आया था।

चर्चा का महत्व दिया जाय तो स्वर्गीय सीमांचल गांधी तस्लीमुद्दीन की तर्ज पर ही जिस तरह से हिन्दू मुस्लिम समुदाय के हरेक राजनीतिक दलों के नेताओं के राजनैतिक पाठशाला के रूप में स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन का दरवाजा रहा था उसी तर्ज पर दिलीप जायसवाल का सानिध्य सबों को रास आ रहा है , दिलीप जायसवाल से भी तस्लीमुद्दीन जैसी ही सबकुछ की मदद सभी राजनैतिक दलों के नेताओं को मिलती रही हैं और तब यह अनुमान सीधे लगाया जा रहा है कि राजद कांग्रेस के उम्मीदवारों की कोशिशें सार्थक नहीं हो पायेगी।

और बाजी फिर से जायसवाल के ही हाथ लगेगी।

वैसे , सबकुछ तात्कालिक राजनीति के ऊपर निर्भर है , राजनीति में कब किसके भाग्य चमक उठेंगे इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है।

लेकिन , वर्तमान स्थिति के अंतर्गत तो जायसवाल की ही बल्ले बल्ले नजर आ रही है।

जो मूलतः स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन के राजनैतिक पैटर्न अपनाये रखने के कारण सम्भव नजर आ रहा है।

डॉ दिलीप जायसवाल ने वर्षों पहले अपने राजनैतिक जीवन की शुरूआत सीमांचल के कद्दावर राजनेता तस्लीमुद्दीन की उंगलियां पकड़ कर की थी और वह तभी से तस्लीमुद्दीन साहब के राजनैतिक पैटर्न सर्व धर्म समन्वय और सर्व दल समन्वय की राजनीति को अपनाते हुए जब भाजपा की राजनीति से जुड़े थे तो भी सेक्युलर राजनीति से कभी विमुख नहीं हुए।

कहा तो यह भी जाता है कि स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन ने अपने प्रभाव से जिस तरह राजद में रहते हुए अपने बड़े बेटे सरफराज को जदयू की टिकट दिलवाकर जोकीहाट सीट से विधायक बनवाया था , अपने समधी के पुत्र सबा जफर को भाजपा की टिकट दिलवाकर भाजपा का विधायक अमौर सीट से बनवाया था , बायसी की सीट से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े सन्तोष कुशवाहा के सिर पर जीत का सेहरा बंधवाया था , उसी तरह तस्लीमुद्दीन साहब ने ही अपने प्रिय शिष्य के रूप में डॉ दिलीप जायसवाल को भाजपा की राजनीति करने की छूट देते हुए कालांतर में अपनी ताकत से 2017 के विधान परिषद चुनाव में डॉ दिलीप जायसवाल को दूसरी जीत हांसिल कराया था।

इस बार स्वर्गीय सीमांचल गांधी कहे जाने वाले अपने राजनैतिक गुरू की कमीं डॉ दिलीप जायसवाल बुरी तरह महसूस कर रहे हैं लेकिन तस्लीमुद्दीन साहब की तर्ज पर सेक्युलर राजनीति करते रहने के कारण अपनी सेक्युलर छवि जो बनाये हुए हैं और मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का प्रशंसनीय कार्य करके त्रिस्तरीय पंचायत जनप्रतिनिधियों में जो लोकप्रियता हासिल किये हैं उससे वह आश्वस्त हैं कि स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन का आशीर्वाद उनके साथ बना रहेगा।