कटिहार और किशनगंज में कांग्रेस की जीत की गारंटी

लेकिन जश्न मनाने में ईवीएम की जादू की आशंका बन रही बाधक, कटिहार जिला कांग्रेस महिला प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष आम्रपाली यादव उर्फ अंजुमन आरा ने तरह तरह की आशंकाएं जताई

कटिहार और किशनगंज में कांग्रेस की जीत की गारंटी

सीमांचल  (विशाल/पिंटू/विकास)

विगत 26 अप्रैल को लोक सभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान की प्रक्रिया से निवृत होकर सीमांचल के पूर्णिया किशनगंज और कटिहार से लेकर भागलपुर और बांका संसदीय क्षेत्रों की जनता अपनी थकान मिटाने के बाद ज्यों ही सामान्य हुई , त्यों ही वोटों की गणित जोड़ घटाव में लिप्त हो गई और किस सीट पर कौन महागठबंधन उम्मीदवार कितने वोटों से जीत हासिल कर रहा है उसका हिसाब किताब लगाने में जुट गई है।

जनता के द्वारा लगाए जा रहे वोटों की हिसाब किताब के अनुसार , उपरोक्त पांचों लोक सभा निर्वाचन क्षेत्रों में इस बार गारंटी पूर्वक महागठबंधन के कांग्रेस और राजद के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है और इस कारण उन सभी पांचों लोक सभा निर्वाचन क्षेत्रों के उम्मीदवार और उनके सहयोगी जीत का जश्न अभी से ही मनाने को बेताब हो रहे हैं।

लेकिन , मोदी और अमित शाह की करिश्माई ईवीएम की संभावित जादू की परिकल्पना करके जीत की जश्न मनाने को बेताब चल रहे महागठबंधन वाले उम्मीदवारों और उनके सहयोगियों की हिम्मत नहीं हो रही है कि वह 4 जून को घोषित होने वाली चुनावी परिणाम की घोषणा से पहले किसी तरह का जश्न मना लें।

कांग्रेस की कटिहार जिला महिला प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष आम्रपाली यादव उर्फ अंजुमन आरा ने इस संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि वह कटिहार में कांग्रेस के प्रत्याशी तारिक अनवर की सुनिश्चित जीत के आलोक में जश्न मनाने के लिए पूरी तरह से उतावली हैं लेकिन उनकी हिम्मत जश्न मनाने की इसलिए नहीं हो रही है क्योंकि उनके दिल में मोदी की ईवीएम के गड़बड़ घोटाले की आशंका घर की हुई है और उस आशंका के मद्देनजर उनके रोंगटे खड़े हो रहे हैं।

हालांकि , इस महिला नेता ने पूरी गारंटी से कटिहार में कांग्रेस प्रत्याशी तारिक अनवर की जीत का दावा किया है।

लगभग वैसी ही स्थिति किशनगंज संसदीय क्षेत्र में संपन्न हुए चुनाव के लिए मतदान को लेकर उत्पन्न है।

जहां पर पूर्ण गारंटी के साथ कांग्रेस प्रत्याशी डॉ जावेद आजाद की जीत सुनिश्चित है लेकिन उक्त जीत में अदृश्य शक्ति के रोल की आशंका मात्र से ही रोंगटे खड़े हो रहे हैं कि न जाने आने वाले अगले 4 जून को चुनावी रिजल्ट के रूप में उनके समक्ष कौन सा जादुई पिटारा खोल दिया जाएगा।

स्मरणीय है कि दूसरे चरण के मतदान वाले संसदीय क्षेत्रों में मतदान के बाद ईवीएम बॉक्स सील करने में प्रायः सभी स्थानों पर सरकारी तंत्रों से राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं की तू तू मैं मैं हुई थी और पूर्णिया में तो एक उम्मीदवार के कार्यकर्ताओं द्वारा हो हल्ला मचाये जाने के बाद ही बॉक्स को सील करने दिया गया था।

पूर्व के चुनावों के दौरान घटित हुई इस तरह की घटनाओं को स्मरण करते हुए राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के खास कार्यकर्ताओं के द्वारा बज्र गृह से लेकर सील्ड मत बॉक्स ईवीएम की निगरानी सख्ती पूर्वक की जा रही है।

इस बीच उम्मीदवार गण स्वयं की सुकून के लिए आराम में चले गए हैं और उनके कार्यकर्तागण सगे संबंधियों और रिश्तेदारों में आयोजित विभिन्न सामाजिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने में मशगूल हो गए हैं।

जबकि दूसरी ओर बज्र गृह में बंद वोट के बक्से के अंदर पड़े वोटों की जादुई गणना करने में पत्रकार से लेकर वोट के कथित ठिकेदार तक न सिर्फ जी जान से लगे हुए हैं वल्कि मोर मामू जीते तो मोर मामू जीते की जीच में सिर फुटौव्वल पर उतारू दीख रहे हैं।