आखिरकार कांग्रेस ने भी पूर्व कांग्रेस विधायक तौसीफ को विधान परिषद उम्मीदवार के रूप में पूर्णिया किशनगंज अररिया की सीट से उतार दिया

आखिरकार कांग्रेस ने भी पूर्णिया किशनगंज अररिया की निकाय क्षेत्र वाली बिहार विधान परिषद की सीट से कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार उतार दिया है। इस सीट के लिए कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस ने किशनगंज जिले के बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र के पूर्व कांग्रेस विधायक तौसीफ आलम को उम्मीदवार घोषित किया है।

आखिरकार कांग्रेस ने भी पूर्व कांग्रेस विधायक तौसीफ को विधान परिषद उम्मीदवार के रूप में पूर्णिया किशनगंज अररिया की सीट से उतार दिया

- राजद की ओर से बतौर विधान परिषद प्रत्याशी उतारे जा चुके हैं राजद के पूर्व विधायक हाजी सुबहान

- एनडीए समर्थित सीटिंग विधानपार्षद दिलीप जायसवाल की चुनावी सेहत फिर भी सेहतमंद


सीमांचल (विशाल/पिन्टू/विकास)

स्मरणीय है कि राजद ने भी इसी किशनगंज संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाले पूर्णिया जिले के बायसी विधानसभा क्षेत्र के पूर्व राजद विधायक हाजी अब्दुस सुबहान को इसी पूर्णिया किशनगंज अररिया की स्थानीय प्राधिकार क्षेत्र की विधान परिषद की सीट से उम्मीदवार बनाया है। अब इस चुनाव में दिलचस्प वातावरण कायम होने के आसार नजर आने लगे हैं।


मजेदार बात तो यह है कि इस चुनाव से अगले संसदीय चुनाव की गोटी फिट करने की जुगत में कांग्रेस की इस बार की उम्मीदवारी विधानपरिषद की स्थानीय प्राधिकार क्षेत्र की पूर्णिया किशनगंज अररिया सीट पर दी गई है और सबसे मजेदार बात यह भी है कि इसके अंतर्गत एमआइएम ने कांग्रेस के प्रत्याशी तौसीफ को ही अपना समर्थन देने की अंदरूनी मिजाज बनायी है।

उस एमआइएम ने ऐसा अजीबोगरीब मिजाज बनाया है जिसने इसी किशनगंज संसदीय क्षेत्र की चार सीटें पिछले विधानसभा चुनाव में राजद कांग्रेस जदयू से छीनी थीं। और बरबस घूम घूम कर अभी तक लगातार कांग्रेस की खिलाफत में ही लगी दिखाई देती रही है। 

बहरहाल , अब भाजपा एनडीए समर्थित विधान परिषद के सीटिंग उम्मीदवार डॉ दिलीप जायसवाल को राजद समर्थन के उम्मीदवार हाजी अब्दुस सुबहान और कांग्रेस के समर्थन के उम्मीदवार तौसीफ आलम के साथ चुनावी लोहा लेने की स्थिति से जूझना पड़ेगा। लेकिन , लोगबाग बताते हैं कि अपनी जनसेवा और सद्व्यवहारिक गतिविधियों को लगातार बरकरार रखते आ रहे एनडीए समर्थित सीटिंग विधान पार्षद डॉ दिलीप जायसवाल  की चुनावी सेहत पर न तो राजद का प्रभाव पड़ेगा और न ही कांग्रेस का प्रभाव पड़ेगा।

दोनों में से कोई उम्मीदवार न तो दिलीप जायसवाल के पुराने तालमेल का मुकाबला कर सकते हैं और न ही दोनों में से कोई भी उम्मीदवार डॉ दिलीप जायसवाल की चुनावी खर्च का ही मुकाबला कर सकते हैं। पूर्णिया किशनगंज अररिया की विधान परिषद की निकाय सीट बड़े क्षेत्रफल में फैली है , लिहाजा , अल्प अवधि में इन दोनों में से कोई भी उम्मीदवार डॉ दिलीप जायसवाल की भांति अपने अपने जनप्रतिनिधि वोटरों से पहचान बनाने में भी कामयाब नहीं हो सकते हैं।

इस सीट पर हालांकि मुस्लिम हिन्दू जनप्रतिनिधि वोटरों की संख्या का प्रतिशत क्रमशः 60 और चालीस का स्थापित है लेकिन वास्तविकता यह है कि अधिकांश मुस्लिम वोटर ही एनडीए समर्थित उम्मीदवार डॉ दिलीप जायसवाल के कर्ताधर्ता हैं और अभी तक जगह जगह घूम घूम कर चिग्घाड़ लगाते फिर रहे हैं कि जीत डॉ दिलीप जायसवाल की ही होगी।

इस चुनावी मैदान में कहीं भी किसी दल के कोई नेता दिखाई नहीं दे रहे हैं लेकिन सभी नेताओं के अंदरूनी खेल जारी हैं और हर दल अजीज नेता के रूप में हर दिल अजीज नेता बनें एनडीए समर्थित उम्मीदवार डॉ दिलीप जायसवाल की मदद में हर दल के नेतागण लग गए हैं।

हालांकि इस क्रम में यह बात अलग है कि राजद समर्थित विधान परिषद के उम्मीदवार के नामांकन कार्यक्रम में स्वयं राजद नेता तेजस्वी यादव के आगमन की सर्वत्र चर्चा है और कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार के समर्थन में नामांकन के दौरान तीनों जिले के कांग्रेस नेताओं के उतर आने की भी चर्चा गर्म है। लेकिन , जहां भी जाइये और जिस मुंह से सुनिये , डॉ दिलीप जायसवाल के जयकारे की ही गूंज सुनाई देती है।