पूर्णिया नगर निगम के मेयर प्रत्याशी राजकुमार चौधरी की जीत पक्की कराने की मुहिम तेज

पूर्णिया में वर्ष 1989 से 1997 के दहशतगर्द की वापसी के प्रयास में आतंक का मार्ग प्रशस्त करने की कोशिश को नाकाम करने के लिए राजकुमार चौधरी की जीत को सुनिश्चित करने के प्रयास शुरू

पूर्णिया नगर निगम के मेयर प्रत्याशी राजकुमार चौधरी की जीत पक्की कराने की मुहिम तेज

-जगह जगह वैश्य समाज और बीजेपी के चुनींदे नेताओं के विमर्श और डिबेट की बंधी श्रृंखला

-विमर्श में किए जा रहे हैं पूर्णिया को उड़ता पूर्णिया बनने से बचाने की जोरदार अपील

सीमांचल/पूर्णिया(अशोक कुमार)

आगामी 28 दिसंबर को होने वाले पूर्णिया नगर निगम के चुनाव में पूर्णिया नगर निगम के मेयर प्रत्याशी राजकुमार चौधरी की जीत को सुनिश्चित करने के लिए एक ओर वैश्य समाज की एक जुटता तैयार होनी शुरू हो गई है तो दूसरी ओर सूत्रों के अनुसार , बीजेपी के अतिप्रभावशाली कुछ नेताओं की विशेष टोली ने भी पूर्णिया नगर निगम के मेयर प्रत्याशी राजकुमार चौधरी की जीत को सुनिश्चित करने के लिए जोरदार अंदरूनी तैयारी शुरू कर दी है।

इस बाबत अब पूर्णिया नगर निगम क्षेत्र में लगातार बहस और डिबेट की श्रृंखला भी जोरदार रूप में जारी कर दी गई है।

सीमांचल पूर्णिया प्रमंडल के मुख्यालय पूर्णिया नगर निगम के लिए आगामी 28 दिसंबर को होने वाले चुनाव की दिशा तय करने के प्रयास में इस कारण कहीं जातीय समीकरण की जुगत भिड़ाने के प्रयास हो रहे हैं तो कहीं से शराब स्मैक की लत के विस्तार से पूर्णिया को उड़ता पूर्णिया बनने से बचाने की चिंता करते हुए प्रयास किए जा रहे हैं कि पूर्णिया नगर निगम क्षेत्र की बागडोर किसी भी हालत में किसी ऐसे माफिया के हाथ नहीं सौंपा जाय, जिसके कारण शहर में शराबखोरी से स्मैक तक की लत को किसी प्रकार का और ज्यादा बढ़ावा नहीं मिल सके।

पूर्णिया नगर निगम के चुनाव के संदर्भ में निगम की सत्ता को सही हाथों में सौंपनें की चिंता कर रहे निगम क्षेत्र के वासियों को बड़ी चिंता इस बात को लेकर सता रही है कि इसी चुनाव के अकल्पनीय गलत रिजल्ट के परिणामस्वरूप कहीं पूर्णिया में एक बार फिर से न 1989 से 1997 तक वाली भय और आतंक बरपाने वाली स्थिति के वापिस लौट आने का मार्ग प्रशस्त हो जाए।

तो दूसरी चिंता इस बात की भी नगर निगम क्षेत्र के वासियों में है कि पूर्णिया में कहीं निकटवर्ती विधान सभा क्षेत्र कसबा जैसी अल्पसंख्यक प्रभाव वाली स्थिति न स्थापित हो जाय।

निकाय चुनाव के इतिहास में पहली बार सीधे जनता के वोटों से पूर्णिया नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए आगामी 28 दिसंबर को होने जा रहे चुनाव के संदर्भ में अच्छे कर्मठ समाजसेवी व्यक्तित्व को निगम की बागडोर सौंपने की चिंता में लगे पूर्णिया नगर निगम क्षेत्र के व्यवसायियों और नेता कहे जाने वाले विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक क्षेत्र के शहरी हस्तियों ने आपसी डिबेट की शक्ल में जो विचार विमर्श किया उसके अनुसार , पूर्णिया नगर निगम में पूर्व की पुरानी चयन प्रक्रिया के तहत वार्ड पार्षदों की खरीद फरोख्त के बूते चेयरमैन से लेकर मेयर पद तक की कुर्सी हथियायी जाती रही थी और उसके परिणाम स्वरूप ही पूर्णिया नगर निगम क्षेत्र की हृदय स्थली कहे जाने वाले भट्ठा बाजार स्थित भट्ठा गुदड़ी हटिया की सड़ांध से भट्ठा बाजार वासियों को मुक्ति नहीं मिल पायी और उस पर तुर्रा यह कि हाल ही में कोई दो वर्ष पूर्व ही निगम की जिन सड़कों का टेंडर हुआ था उसमें विना सड़क बने ही ठिकेदार को योजना राशि का भुगतान कर दिया गया।

डिबेट के दौरान खुशी जाहिर किया गया कि जब पूर्णिया नगर निगम के नगर आयुक्त के पद पर आई ए एस अफसर आरिफ हसन ने कार्यभार ग्रहण किया तो सबसे पहले उन्होंने संबंधित ठिकेदार के द्वारा किए गए इस तरह के घोटाले के विरूद्ध सघन जांच बिठाया । डिबेट में चर्चा किया गया कि उक्त मामले में अपने दामन को बचाने की जुगत में ही पूर्व के सत्तासीन हस्तियों ने इस बार भी चुनाव के जरिए सत्तासीन होने की जुगत में मेयर पद पर अपनी उम्मीदवारी ठोक दी है।

जाहिर सी बात है कि डिबेट में इस तरह के चर्चों को शामिल कर पूर्णिया नगर निगम क्षेत्र की जनता को सावधान करने का ठोस प्रयास किया गया कि ऐसी स्थिति में वे निगम की सत्ता का स्वाद चख चुके पूर्व के मठाधीशों को किसी भी कीमत पर फिर से पूर्णिया नगर निगम की सत्ता में लौटने नहीं दें और नए चेहरे को अपने पूर्णिया नगर निगम क्षेत्र की जनता की सेवा करने का अवसर प्रदान करें तो बेहतर होगा।

सवाल खड़ा किया गया कि पूर्णिया में जो स्थिति पैदा होती जा रही है और अपराधकर्म जिस तरह से चरम की ओर बढ़ने लगे हैं और जिस तरह से एक बार फिर से पूर्णिया को शराब स्मैक के आगोश में धकेलने का प्रयास करते हुए पूर्णिया में एक बार फिर से 1989 से 1997 तक वाली भय आतंक और दहशत वाली स्थिति में वापिस लौटाने का मार्ग प्रशस्त करने की पुरजोर तैयारी शुरू कर दी गई है , उससे लगता है कि 1989 से 1997 के दौर में जिस तरह से पूर्णिया के व्यवसायियों को पूर्णिया से पलायन करके गुजरात , पंजाब , दिल्ली , कोलकाता जैसे बड़े शहरों में जाकर शरण लेना पड़ा था ,  उसी दौर की शुरूआत हो जा सकती है।

डिबेट में बीजेपी के जिला उपाध्यक्ष मनोज सिंह और पूर्णिया जिला सम्पूर्ण वैश्य समाज के जिलाध्यक्ष सह पूर्णिया के अति लोकप्रिय समाजसेवी अधिवक्ता दिलीप कुमार दीपक सहित अन्य कई हस्तियों ने स्पष्ट किया कि पूर्णिया नगर निगम क्षेत्र में वैश्य समाज की एकजुटता से ही पूर्णिया नगर के व्यवसायियों के अस्तित्व की भविष्य में रक्षा हो सकती है। अगर इस क्षेत्र में अल्पसंख्यक वोटरों की संख्या 55 हजार हैं तो उसके टक्कर में उसके काट के रूप में वैश्य और व्यवसायी समाज के वोट बैंक इतने सशक्त रूप में पूर्णिया नगर निगम क्षेत्र में स्थापित हैं कि वह पूर्णिया नगर को कसबा कतई बनने नहीं देंगे।

इन नेताओं ने नगर निगम क्षेत्र के व्यवसायियों के वर्गों को सावधान किया है कि वह अपनी एकजुटता से पूर्णिया में वैसे किसी नेता के लिए पूर्णिया की लोकसभा की सीट से चुनाव मैदान में उतरने का मार्ग प्रशस्त नहीं करें जिनके आगमन के साथ ही पूर्णिया में एक बार फिर से पिछला आतंक का वर्ष लौट आए और पूर्णिया के व्यवसायी समाज का जीना दूभर हो जाय।

डिबेट की शक्ल में आयोजित बहस में हिस्सा लेते हुए प्रबुद्ध लोगों और हस्तियों ने पूर्णिया नगर निगम के मेयर पद के प्रत्याशी राजकुमार चौधरी को अपार वोटों से जिताने की आवश्यकता पर जोरदार बल दिया।