भाजपा गठबंधन घटक सत्ताधारी दल के जदयू नेता खलील की हत्या पर नीतीश सरकार खामोशी क्यों ?

बिहार के समस्तीपुर ज़िला के मुसरी घरारी की है खलील अहमद 16 फरवरी को लापता हो गया था और उसका जला हुआ शरीर 18 फरवरी को मिला था। वायरल इंस्टाग्राम वीडियो में उन्हें गौरक्षकों द्वारा पीटा जाता दिख रहा है। खलील अहमद रिज़वी को पकड़ कर गुंडों ने पहले ये वीडियो बनाई, उस के बाद जलाकर जान से मार दिया, अभी तक पोलिस ने केवल एक दोशी को गिरफ्तार किया है, रिज़वी JDU के लोकल नेता और समाज सेवी थे।

भाजपा गठबंधन घटक सत्ताधारी दल के जदयू नेता खलील की हत्या पर नीतीश सरकार खामोशी क्यों ?
भाजपा गठबंधन घटक सत्ताधारी दल के जदयू नेता खलील की हत्या पर नीतीश सरकार खामोशी क्यों ?
  1. बिहार में समस्तीपुर ज़िले में हाल ही में सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड से जुड़े एक युवक की हत्या और युवक के एक वायरल वीडियो का मामला तूल पकड़ रहा है.
  2. वायरल वीडियो में कुछ लोग युवक से सवाल करते, गाली देते हुए और पीटते हुए दिख रहे हैं जिसके आधार पर राजनीतिक दल इसे मॉब लिंचिंग क़रार दे रहे हैं.
  3. लेकिन पुलिस इसे पैसे के लेनदेन का मामला बता रही है. उसने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया है

बिहार मंथन डेस्क

पिछले दिनों बिहार के समस्तीपुर जिला के मुसरीघरारी के रहने वाले जद यूo नेता मोo खलील की गाय के नाम पर कुछ  अपराधियों ने हत्या कर दी। बेहद शर्म की बात है कि जिस बेगुनाह खलील को जिंदा जलाकर बेरहमी से मार दिया गया उसपर अबतक ना तो सुशासन बाबू की जबान खुली है और ना ही बिहार के शिक्षा मंत्री की, जबकी खलील इन्की पार्टी के ही नेता थे।

मिडिया से बात करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवाँ के राष्ट्रीय अध्यक्ष नजरे आलम ने कहा कि सबसे शर्म की बात तो यह है कि जद यूo के तथाकथित मुस्लिम नेता खालिद अनवर ने शहीद खलील के भाई को जद यूo पार्टी की ओर से 50 हजार का चेक देकर ना सिर्फ खलील की हत्या का मजाक उड़ाया है बल्कि पूरे बिहार के मुस्लिम समुदाय की कीमत लगा दी है।

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उन्होंने कहा नीतीश कुमार की पार्टी और नेता ने हत्यारे को सजा दिलाने, परिवार के साथ इंसाफ करने, सुरक्षा उपलब्ध कराने, मुआवजा और रोजगार देने की जगह हत्या की कीमत लगाकर पूरे मुस्लिम समुदाय के जज्बात को ठेस पहुंचाया है।

नीतीश सरकार को अविलंब इस गंभीर मामले पर चुप्पी तोड़नी चाहिए और अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाना चाहिए, ऐसी घटना दुबारा ना हो और माॅबलिंचिग पर कानून बनाना चाहिए।

मदरसा बोर्ड, वक्फ बोर्ड और अल्पसंख्यक आयोग को लूट कर खाने से। नजरे आलम ने हैरत जताते हुए कहा कि वर्तमान शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी के करीबी बताए जाने वाले शहीद खलील की हत्या पर मंत्री जी ने भी अबतक जबान नहीं खोली है और मंत्री जी की चुप्पी भी यह  दर्शाता है कि किसी बड़ी राजनीति साजिश के तहत खलील की हत्या करवाई गई है। अब अगर नीतीश कुमार इस मामले पर चुप्पी नहीं तोड़ते हैं तो सड़क से सदन तक आन्दोलन किया जाएगा।

घरवाले क्या कह रहे हैं

मोहम्मद ख़लील आलम की उम्र लगभग 32 साल थी और वह समस्तीपुर ज़िले के मुसरीघरारी थाने के रुपौली गाँव के निवासी थे.

घटना के संबंध में मृतक के बड़े भाई मोहम्मद सितारे कहते हैं "बुधवार 16 फ़रवरी को मेरा भाई किसी काम से सुबह घर से निकला था. शाम को उसकी पत्नी ने उसे सब्ज़ी और दूध लेते हुए घर आने को कहा तब उधर से किसी और ने जवाब दिया कि अब यह घर कभी नहीं लौटेगा. मेरा पाँच लाख रुपया वापस करो वरना जान से मार देंगे."

मोहम्मद सितारे के अनुसार, "दोबारा फ़ोन आया तो पौने तीन लाख रुपये देने को कहा. फिर मोबाइल ऑफ़ हो गया. इस दौरान उनलोगों से जो भी बातचीत हुई वह ख़लील के नंबर से ही हुई. दूसरे दिन गुरुवार को इस संबंध में मैंने मुसरीघरारी थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी."