किशनगंज संसदीय क्षेत्र की सबसे बड़ी मुस्लिम बिरादरी सुरजापुरी ही छहों विधान सभा सीटों पर है काबिज तो मंत्रिमंडल में एक स्थान का हक तो बनता ही है

नवगठित नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली बिहार सरकार अपने मंत्रिमंडल के गठन में सीमांचल के सबसे बड़े मुस्लिम बहुल क्षेत्र किशनगंज संसदीय क्षेत्र के बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय सुरजापुरी बिरादरी को तरजीह दी जाएगी कि नहीं , यह सवाल सीमांचल के किशनगंज संसदीय क्षेत्र के बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय सुरजापुरी बिरादरी में जोरों से उबाल खा रहा है।

किशनगंज संसदीय क्षेत्र की सबसे बड़ी मुस्लिम बिरादरी सुरजापुरी ही छहों विधान सभा सीटों पर है काबिज तो मंत्रिमंडल में एक स्थान का हक तो बनता ही है

चर्चा में गिनायी जा रही है विशेषता कि सभी छह विधायक महागठबंधन के और विशुद्ध सुरजापुरी :: लेकिन बीजेपी को कभी प्रश्रय नहीं दिये

कहते हैं कि उनकी बिरादरी की एकजूट ताकत से नीतीश तेजस्वी दोनो हैं अवगत : बस इस बार दोनो के इंसाफ देखने हैं

पटना/सीमांचल(अशोक/विशाल)

किशनगंज संसदीय क्षेत्र में चर्चा हो रही है कि नीतीश जी रेगुलर महागठबंधन की डोर में बंधे हुए नहीं रहे लेकिन हम सुरजापुरी बिरादरी के बहुसंख्यक समाज इस किशनगंज संसदीय क्षेत्र के किसी भी विधान सभा क्षेत्र में महागठबंधन वाले दल से जुदा नहीं रहे और कभी भटके भी तो बीजेपी को इस संसदीय क्षेत्र की किसी भी विधान सभा सीट से कामयाबी हासिल करने नहीं दिये ।

किशनगंज संसदीय क्षेत्र के छह विधान सभा क्षेत्रों में हम भले ही महागठबंधन दल के ही कांग्रेस को कहीं पर हराये तो कहीं पर राजद और जदयू को भी हराये , लेकिन बीजेपी को कहीं पर भी जीत हासिल करने का कभी मौका नहीं दिये । यह बात अलग है कि अपने संसदीय क्षेत्र के लोकल मुद्दों के आधार पर हमने एक जूट होकर एम आई एम को गले लगाया था तो अपनी भूल का एहसास करने के बाद एम आई एम से निर्वाचित हमारे चारो विधायकों ने अंततः महागठबंधन में ही वापसी किया ।

पब्लिक के बीच जारी इस प्रकार के बेबाक चर्चे का सीधा मतलब है कि किशनगंज जिला मात्र नहीं वल्कि सम्पूर्ण किशनगंज संसदीय क्षेत्र के छहो विधान सभा क्षेत्रों की बहुसंख्यक मुस्लिम बिरादरी सुरजापुरी की एकमात्र इच्छा सुरजापुरी मुस्लिम बिरादरी से भी एक मंत्री की प्राप्ति की है।

क्षेत्र में इस बाबत चर्चों का तूफान मचा हुआ है और सुरजापुरी बिरादरी कह रही है कि बिरादरी की लगातार चार टर्म जीतकर उपेक्षा करते रहने वाले तौसीफ आलम को अंजार नईमी जैसे ऊर्जावान सुरजापुरी शख्सियत ने सुरजापुरी बिरादरी की ही एकजूट ताकत के बूते धूल चटाया और जीत हासिल किया। लेकिन इस लड़ाई के बीच से बीजेपी और बीजेपी की सहयोगी दल को जीत का सेहरा बांधने का मौका नहीं दिया।

बहादुरगंज विधान सभा क्षेत्र की सुरजापुरी बिरादरी का सीधा कहना है कि ऐसी स्थिति में अंजार नईमी सरीखे एक अदद सुरजापुरी बिरादरी का भी मंत्रिमंडल में हक तो बनता ही है।

सुरजापुरी समाज का ही विधायक ठाकुरगंज में सऊद आलम है। सुरजापुरी बिरादरी का ही विधायक बहादुरगंज में है। सुरजा पुरी बिरादरी का ही विधायक कोचाधामन की सीट पर बैठा है तो सुरजापुरी बिरादरी का ही विधायक किशनगंज की सीट पर भी बैठा है और उसी सुरजापुरी बिरादरी का विधायक भी बायसी की विधान सभा सीट पर बैठा है।

चर्चा के अनुसार , उपरोक्त सभी पांचों विधायक आज की महागठबंधन की डोर से बंधे हुए हैं और सिर्फ एक अमौर की सीट पर बेवजह बैठे एम आई एम के विधायक भले ही अभी तक महागठबंधन की डोर से बाहर पड़े हुए हैं लेकिन हैं तो वह भी विशुद्ध सुरजापुरी बिरादरी वाले ही।

चर्चा हो रही है कि किशनगंज संसदीय क्षेत्र के सुरजापुरी बिरादरी की इस तरह की एकजुटता और बीजेपी विरोधी तेबर को तोड़ने का प्रयास पटना से दिल्ली तक की पिछली सत्ताओं ने कई बार किया लेकिन इस बिरादरी की भेड़िया धंसान एकजुटता को तोड़ने में किसी राजनीतिक दल को कभी कोई कामयाबी हासिल नहीं हुई।

हालांकि यह बात अलग है कि इस बिरादरी के साथ राजनेताओं के द्वारा सदैव राजनीतिक ठगी की जाती रही , जिससे खिसियाहट में यह बिरादरी चुनावों के दौरान तू नहीं और सही की नीति अपनाकर जिस तिस को विजय माला पहनाकर अपने गुस्से का इजहार कर दिया करती है लेकिन यह भी तय रहता आया है कि विजय माला पहनने वाला शख्सियत भाजपाई नहीं होता है।

बहरहाल , इन चर्चाओं का मुख्य विषय एक मंत्री पद की चाहत मात्र ही है और सुरजापुरी बिरादरी को पूरा विश्वास है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की जानकारी में रहती आ रही सुरजापुरी बिरादरी की इस मांग को खारिज करने का कोई कारण भी नहीं बनता है।