24 घंटे पहले जिस बीजेपी और अमित शाह को नीतीश कुमार ने फोन पर कहा था ऑल इज वेल , उस बीजेपी की महज 24 घंटे बाद ही नीतीश कुमार ने बजा दी वेल : बिहार की सरकार से किया निकाल बाहर

पटना राजभवन में बुधवार 10 अगस्त के अपराहन में महागठबंधन के बैनर तले मुख्यमंत्री पद की आठवीं शपथ लिए नीतीश कुमार के सानिध्य में राजद के तेजस्वी यादव ने भी जब बिहार सरकार के उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो बीजेपी के लिए बिहार में अब राजनीति टेढ़ी खीर के समान हो गई और यूं कहें कि बीजेपी और केन्द्र की सरकार पूरी तरह से बौखला उठी।

24 घंटे पहले जिस बीजेपी और अमित शाह को नीतीश कुमार ने फोन पर कहा था ऑल इज वेल , उस बीजेपी की महज 24 घंटे बाद ही नीतीश कुमार ने बजा दी वेल : बिहार की सरकार से किया निकाल बाहर

बौखलायी बीजेपी ने लगाया नीतीश पर धोखा देने का आरोप

कहा नीतीश चाहते थे उपराष्ट्रपति पद तो हम खुद बहुमत रखते हुए किसी दूसरी पार्टी को क्यों देते वह पद

जबकि दूसरी ओर नड्डा की कथनी और नित्यानंद आर सी पी की गठजोड़ के तहत उत्पन्न होने वाली राजनीतिक कुचक्र से सुरक्षा के लिए नीतीश किए यह बदलाव

दूसरे राज्यों में जारी बीजेपी के सत्ता हड़प अभियान से सशंकित हो नीतीश ने महागठबंधन के साथ अभेद्द किला बिहार में बनाया

 बिहार को मिले महागठबंधन की सरकार के तोहफे का मज़ा बिहार की जनता बीजेपी से मुक्त हो कर लेगी

 उधर भाजपा की ओर से नीतीश के खिलाफ जारी हो गए हैं वाक् युद्ध

पटना /सीमांचल (अशोक/विशाल)

पटना राजभवन में बुधवार 10 अगस्त  के अपराहन में महागठबंधन के बैनर तले मुख्यमंत्री पद की आठवीं शपथ लिए नीतीश कुमार के सानिध्य में राजद के तेजस्वी यादव ने भी जब बिहार सरकार के उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो बीजेपी के लिए बिहार में अब राजनीति टेढ़ी खीर के समान हो गई और यूं कहें कि बीजेपी और केन्द्र की सरकार पूरी तरह से बौखला उठी।

महागठबंधन के लिए निर्वाचित सर्वमान्य नेता के रूप में नीतीश कुमार ने  बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और तेजस्वी यादव  ने बिहार के उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

लेकिन , दूसरी ओर नीतीश कुमार के द्वारा सरकार से अकस्मात बाहर की गई बिहार भाजपा में भूचाल पैदा हो गया  और वह नीतीश के खिलाफ धरना प्रदर्शन करती हुई आरोप लगाई कि नीतीश कुमार ने बीजेपी पर अपनी पार्टी के कई नेताओं से दबाव दिलाया था कि उन्हें उपराष्ट्रपति पद पर आसीन किया जाय ।

इस बाबत बीजेपी ने इन्कार करते हुए कहा था कि जब मेरी पार्टी बीजेपी ही बहुमत के आधार पर किसी भी पद के लिए सक्षम है तो  दूसरी पार्टी के नेता को किसी महत्त्वपूर्ण पद पर क्यों बिठाए।

कहा जाता है कि तभी से नीतीश कुमार ने भाजपा को उखाड़ फेंकने वाला राजनैतिक अभियान छेड़ दिया था और राजद तेजस्वी सहित कांग्रेस की सोनिया गांधी से संपर्क कर करबट बदलने वाला राजनैतिक अभियान छेड़ दिया था।

कहा जाता है कि इस बीच बीजेपी ने भी अंदर ही अंदर अन्य राज्यों की भांति बिहार की सत्ता पर भी ललचायी नजरें डालनी शुरू कर दी थी , जिसकी भनक नीतीश को लग गई थी।

इस बात को लेकर हालाकि  बीजेपी भी  पता लगा  रही है कि आखिर  भाजपा की सुनियोजित राजनीतिक रणनीति से समय पूर्व ही नीतीश कुमार को अवगत करा कर नीतीश कुमार को भाजपा से सावधान करने का काम किसने कर दिया कि एक झटके में ही नीतीश कुमार ने भाजपा से अलग हो कर एक अलग राजनीतिक किला बनाकर स्वयं को सुरक्षित कर लिया।

जबकि इससे इतर नीतीश कुमार के खेमे का कहना है कि नीतीश कुमार के प्रबल सहयोगी और नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके आर सी पी सिंह को भाजपा ने नीतीश कुमार से सहमति प्राप्त किए बिना ही जब केंद्रीय मंत्री बनाया था तो उसी समय से भाजपा के भावी रणनीतियों के प्रति नीतीश कुमार के कान खड़े हो गए थे और उसके बाद जब अभी अभी हाल ही के पिछले दिनों में पटना में आयोजित हुई भाजपा के सभी सातों मोर्चे के राष्ट्रीय कार्यकारिणी समितियों के सदस्यों की बैठक में जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने जब कह दिया कि आने वाले समय में एक मात्र भाजपा के सिवा बिहार में अन्य कोई भी पार्टी नहीं बचेगी तो यह बात सुनकर नीतीश कुमार ने सीधे निर्णय लिया कि अब और बर्दाश्त करना श्रेयस्कर नहीं होगा ।

लिहाजा , अपनी पार्टी के अस्तित्व की रक्षा के साथ साथ महागठबंधन के अस्तित्व को भी लोकतांत्रिक बिहार में बचाने के लिए इस तरह का कदम उठाया।

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय के साथ आर सी पी सिंह की लगातार बढ़ती यारी और गुप चुप चलने वाली राजनीति की खबरों से लगातार बाकिफ रहते हुए जो नीतीश कुमार वेट एंड वॉच की स्थिति में चल रहे थे उस नीतीश कुमार को जे पी नड्डा के मुख से निकली वाणी ने त्वरित गति से फैसले के लिए मजबूर किया , इस राजनैतिक सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता है।

बहरहाल , एक ओर नीतीश और तेजस्वी की जोड़ी ने बिहार में महागठबंधन की सरकार स्थापित कर ली है तो दूसरी ओर बीजेपी ने नीतीश के खिलाफ जोरदार विरोध अभियान छेड़ दिया है।

सत्ता से बाहर धकेल दी गई भाजपा अपने बिहार प्रदेश कार्यालय में पार्टी की कोर कमेटी की बैठक के बाद धरना प्रदर्शन करती हुई भविष्य की अपनी राजनीति के कार्यक्रमों को तय करने में लग गई है ।

जिसका नतीजा क्या निकलेगा यह आने वाले समय में जनता को पता चलेगा।

स्मरणीय है कि नीतीश कुमार को सीधे अपने बयानों के ज़रिए नित्यानंद राय ने चेतावनी दिया है कि  अगर केंद्रीय सरकार की किसी विकास योजनाओं के कार्यान्वयन में बिहार में कोई भी वाधा अड़चन नीतीश पैदा करेंगे तो हम उनकी भी ईंट से ईंट बजाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।