कानपुर पुलिस ने मिल्लत टाइम्स के चीफ एडिटर  के खिलाफ धारा 505, 507 और आईटी अधिनियम 66 के तहत FIR दर्ज

पुलिस मुझे डराने की कोशिश कर रही है लेकिन मैं ईमानदारी से अपना काम करता रहूंगा

कानपुर पुलिस ने मिल्लत टाइम्स के चीफ एडिटर  के खिलाफ धारा 505, 507 और आईटी अधिनियम 66 के तहत FIR दर्ज

कानपुर पुलिस ने मिल्लत टाइम्स के चीफ एडिटर  के खिलाफ धारा 505, 507 और आईटी अधिनियम 66 के तहत FIR दर्ज

पुलिस मुझे डराने की कोशिश कर रही है लेकिन मैं ईमानदारी से अपना काम करता रहूंगा

नुजहत जहां
मुजफ्फरपुर

कानपुर हिंसा मामला में ट्विटर पर भड़काऊ और फर्जी वीडियो पोस्ट करने का आरोप लगते हुए केस दर्ज किय गया है। दरअसल हाल ही में बीजेपी के नेता नुपुर शर्मा ने नबी की शान में गलत शब्दों को इस्तेमाल किया था। जिसके खिलाफ सभी मुसलमानों उसकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। इसे लेकर कानपुर में जुमे की नमाज के बाद एक शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने का भी ऐलान हुआ।

मुसलमानों ने दुकानों को बंद करके प्रदर्शन करने की कोशिश की थी, लेकिन कुछ हिंदू पक्षो के लोगों ने वहां आकर प्रदर्शन रोकने लगे। जिसके बाद दोनों पक्षो के बीच हिंसा का माहौल पैदा हो गया। इस घटना को लेकर कई वीडियो वायरल हो रही थी, जिसमें मिल्लत टाइम्स के चीफ एडिटर ने भी शेयर किया।

उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा था कि भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के विवादित बयान पर प्रदर्शन के दौरान कानुपर मे हिंसा भड़की। पथराव की घटना से हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। वीडियो में आपको पुलिस के साथ एक पक्ष दिख रहा है, जो पुलिस की मौजूदगी में पत्थर चला रहा है। कार्रावाई होगी?,

कानपुर पुलिस ने इन ट्वीट के आधार पर शम्स तबरेज कासमी पर केस दर्ज किया है। हैरानी वाली बात है जो उस घटना में शामिल थे पुलिस ने उनपर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की, केवल मुस्लिम पत्रकार और लोगों पर कार्रवाई की जा रही। जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने पर एक तरफा कार्रवाई क्यों होती है।

वहीं केस दर्ज होने के बाद मिल्लत टाइम्स के चीफ एडिर ने ट्वीट करके लिखा है कि यूपी पुलिस ने कानपुर हिंसा की वीडियो शेयर करने पर मेरे खिलाफ FIR दर्ज किया है। गोदी मीडिया की वन साइडेड रिपोर्ट के खिलाफ़ एक वीडियो पोस्ट करके मैं ने बताया था कि यह लोग भी पत्थर फेंक रहे हैं जिस को क्यों नहीं दिखाया जा रहा है। पुलिस मुझे डराने की कोशिश कर रही है लेकिन मैं ईमानदारी से अपना काम करता रहूंगा, पुलिस का आरोप बेबुनियाद और झूठा है।