देश की सबसे बड़ी चुनौती कौन ?
हज़रत मौलाना सैयद अरशद मदनी, मदरसा दारुल उलूम देवबंद और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष, एक प्रमुख इस्लामिक शिक्षक और धार्मिक विचारक हैं। उन्होंने विभिन्न शिक्षा संस्थानों में शिक्षा प्राप्त की और समाज में धार्मिक सद्भावना और शांति को बढ़ावा दिया। उनका मानना है कि देश को प्यार और मुहब्बत से चलाना चाहिए, न कि हिंसा और नफरत से। सांप्रदायिकता को देश की सबसे बड़ी चुनौती मानते हुए, उन्होंने हमेशा धार्मिक और सामाजिक सद्भावना पर जोर दिया। मदनी साहब के अनुसार, देश की प्रगति और शांति के लिए सभी धर्मों और समुदायों के बीच आपसी समझ और सहयोग आवश्यक है। वे शिक्षा के महत्व को भी रेखांकित करते हैं, विशेषकर धार्मिक और आधुनिक शिक्षा के समन्वय को। उनका जीवन और शिक्षाएं समाज को एकता, प्रेम, और सहयोग का संदेश देती हैं और वे हमेशा धार्मिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। उनका विश्वास है कि केवल प्यार और आपसी सम्मान से ही एक सशक्त और समृद्ध देश का निर्माण किया जा सकता है।

फैसल सुल्तान
राष्ट्र के नेता हज़रत मौलाना सैयद अरशद मदनी साहब, मदरसा दारुल उलूम देवबंद के अध्यक्ष और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष, एक प्रमुख इस्लामिक शिक्षक और धार्मिक विचारक हैं। उन्होंने अपने जीवन में विभिन्न शिक्षा संस्थानों में शिक्षा प्राप्त की और अपने विचारों के माध्यम से समाज में धार्मिक सद्भावना और शांति को बढ़ावा दिया।
मौलाना सैयद अरशद मदनी का मानना है कि देश को प्यार और मुहब्बत से चलाना चाहिए, न कि हिंसा और नफरत से। उनका कहना है कि सांप्रदायिकता देश की सबसे बड़ी चुनौती है और सांप्रदायिक तत्व ही देश के असली दुश्मन हैं। उन्होंने अपने अनुयायियों और आम जनता को हमेशा से यह संदेश दिया है कि धार्मिक और सामाजिक सद्भावना के बिना देश का विकास संभव नहीं है।
हज़रत मौलाना सैयद अरशद मदनी, मदरसा दारुल उलूम देवबंद और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष, एक प्रमुख इस्लामिक शिक्षक और धार्मिक विचारक हैं। उन्होंने विभिन्न शिक्षा संस्थानों में शिक्षा प्राप्त की और समाज में धार्मिक सद्भावना और शांति को बढ़ावा दिया। #Maulana_Syed_Arshad_Madani, pic.twitter.com/n22UFtvNAH
— Faisal Sultan (@faisalsultan) July 11, 2024
मदनी साहब ने हमेशा से यह बात जोर देकर कही है कि देश की प्रगति और शांति के लिए सभी धर्मों और समुदायों के बीच आपसी समझ और सहयोग आवश्यक है। वे मानते हैं कि शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे समाज में जागरूकता और सद्भावना फैल सकती है। उनके अनुसार, धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा का समन्वय भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उनका जीवन और उनकी शिक्षाएं समाज को एकता, प्रेम, और सहयोग का संदेश देती हैं। वे हमेशा से धार्मिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं और उनके विचार समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणादायक हैं। उनके अनुसार, केवल प्यार और आपसी सम्मान से ही एक सशक्त और समृद्ध देश का निर्माण किया जा सकता है।