बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष पद से अखिलेश सिंह के इस्तीफे की फर्जी खबर ने सीमांचल में कांग्रेस महकमा को चौंकाया

बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश सिंह के इस्तीफे की झूठी खबर ने सीमांचल में हलचल मचा दी। सोशल मीडिया पर दावा किया गया कि अखिलेश सिंह इस्तीफा देकर पप्पू यादव या अन्य नेताओं के लिए रास्ता बना रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने इन खबरों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया। यह अफवाहें इसलिए फैलीं क्योंकि अखिलेश सिंह और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच मतभेद थे। अखिलेश ने बिहार के कुछ कांग्रेस जिलाध्यक्षों को बर्खास्त करने का प्रस्ताव दिया था, जिसे खड़गे ने अस्वीकार कर दिया। इस निर्णय से नाराजगी के कारण, सोशल मीडिया पर इस्तीफे की अफवाहें फैलाई गईं।

बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष पद से अखिलेश सिंह के इस्तीफे की फर्जी खबर ने सीमांचल में कांग्रेस महकमा को चौंकाया

सीमांचल  (अशोक/विशाल)

बिहार कांग्रेस के तमाम दिग्गजों द्वारा सिरे से नकारे जाने के बाबजूद सीमांचल में बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अखिलेश सिंह द्वारा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की खबर को सोशल मीडिया पर जोर शोर से चलाया गया और उसमें दावे किए गए कि बिहार कांग्रेस की बागडोर अब सीमांचल के पूर्णिया सांसद पप्पू यादव के हाथ में मिलने की प्रबल संभावना है।उक्त खबर में पूर्णिया सांसद पप्पू यादव के अलावा दो एमएलसी में से भी किसी एक की बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर ताजपोशी होने की संभावना जताई गई और उसके अलावे सीमांचल के कटिहार जिले के बरारी के कांग्रेस विधायक सह कांग्रेस के बिहार विधान मंडल के नेता डॉ शकील अहमद खान के भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर तैनात किए जाने की संभावना जताई गई।

इन बातों को कांग्रेस के प्रदेश से राष्ट्रीय स्तर तक के नेताओं के द्वारा सिरे से नकार दिए जाने के बाबजूद भी जमकर प्रचारित किया गया।

दिग्गज कांग्रेस नेताओं ने बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अखिलेश सिंह को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बरकरार बताया और तमाम वैसी खबरों को झूठ का पुलिंदा और अफवाह बताया।

लेकिन , अब यहां पर यह सवाल खड़ा होता है कि सीमांचल में इस तरह की झूठी खबर को सोशल मीडिया पर जोर शोर से क्यों उड़ाया गया।

इस बात की पड़ताल से पता चला है कि बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अखिलेश सिंह और कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे के बीच चल रहे हल्के फुल्के मनमुटाव के मद्देनजर ही ऐसी आशंकाओं को सुनियोजित तरीके से बॉयरल कराया गया।

जिसके तहत बताया गया है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे द्वारा अखिलेश के उन प्रस्तावों को लंबित और अमान्य किए जाने के कारण बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह में नाराजगी पैदा हुई जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष से उन्होंने बिहार के कुछ जिलों के कांग्रेस जिलाध्यक्षों को बर्खास्त करने का आग्रह किया था।

बताया जाता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के प्रस्ताव को अमान्य किए जाने की वजह से अखिलेश में पनपी भीतरिया नाराजगी को भांपकर ही सोशल मीडिया द्वारा अखिलेश के प्रति विभिन्न आशंकायें पैदा की जाने लगी।

बिहार प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अखिलेश सिंह ने बिहार कांग्रेस के 4 मुस्लिम जिलाध्यक्षों और 1 राजपूत जिलाध्यक्ष को बर्खास्त करने का प्रस्ताव कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे के पास भेजा था लेकिन उनके उक्त प्रस्ताव को खड़गे ने अमान्य कर दिया।

बिहार में आने वाले अगले विधानसभा आम चुनाव को देखते हुए और पिछले लोक सभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के मद्देनजर आगामी बिहार विधान सभा चुनाव में नये तेवर के साथ मैदान में उतरने की योजना के अंतर्गत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अखिलेश सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे के पास अपनी ओर से उक्त प्रस्ताव को भेजा था।

लेकिन , खड़गे ने अमान्य कर दिया। बताया जाता है कि सीमांचल के कटिहार के कांग्रेस सांसद तारिक अनवर के ही एक कॉमेंट से खड़गे द्वारा अखिलेश के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया गया , जिसमें तारिक अनवर ने कह दिया कि वो भले ही बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी अध्यक्ष डॉ अखिलेश सिंह केंद्रीय सरकार में मंत्री रहे हों या लोकसभा और बिहार विधान सभा के सदस्य भी रहे हों और अभी राज्यसभा में हों , लेकिन उनके पास संगठन का अनुभव बहुत कम है।उन्होंने पार्टी के संगठन के क्षेत्र में कोई ज्यादा काम नहीं किया। जबकि फिलवक्त बिहार कांग्रेस के कमजोर ढांचें को मजबूत करने की आवश्यकता है और सबसे बड़ी बात यह कि बिहार में कांग्रेस को अपने पैरों पर खड़ा कराने के लिए कांग्रेस के संगठन को मजबूत करना बहुत ही जरूरी है।

कहते हैं कि ऐन वक्त पर कटिहार के कांग्रेस सांसद तारिक अनवर द्वारा खड़गे के समक्ष की गई उपरोक्त टिप्पणी के कारण ही खड़गे ने बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए इस मद में बिल्कुल चुप्पी ही साध ली।

बताया जाता है कि प्रस्ताव की नामंजूरी के बहाने डॉ अखिलेश सिंह अंदर ही अंदर पूरी तरह से भड़क उठे और शायद कहीं नाराजगी व्यक्त कर दिए थे।

कहते हैं कि खड़गे के द्वारा अखिलेश सिंह के प्रस्ताव को अस्वीकार करने का एक कारण अखिलेश सिंह के प्रस्ताव में सीमांचल के किशनगंज और अररिया के मुस्लिम कांग्रेस जिलाध्यक्षों की बर्खास्तगी का आग्रह भी रहा था।

क्योंकि , किशनगंज जिला कांग्रेस अध्यक्ष ईमाम अली चिंटू के कार्यकाल में किशनगंज संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस सांसद के रूप में जावेद आजाद का चुनाव जीतना किसी एंगल से जिलाध्यक्ष की बर्खास्तगी को उचित नहीं ठहराता , शायद उक्त वजह से ही प्रस्ताव को अस्वीकार किया गया था तो बताया जाता है कि बिहार कांग्रेस अध्यक्ष की राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष से मनमुटाव हो गए और जिसे भांपकर ही सोशल मीडिया वालों ने अखिलेश सिंह के इस्तीफे की खबरें उड़ानी शुरू कर दी।