अमौर में बाढ़ पीड़ितों की उपेक्षा पर पंचायत प्रतिनिधियों का विरोध, नए सरकारी फरमान की कड़ी आलोचना
पूर्णिया जिले के अमौर में बाढ़ और कटाव की समस्या से जूझ रही जनता के साथ खड़े पंचायत प्रतिनिधियों को बिहार सरकार के नए फरमान ने आंदोलित कर दिया है। अमौर के जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी करते हुए मीडिया टीम को क्षेत्र की समस्याओं से अवगत कराया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार टेंडर प्रक्रिया के जरिए पंचायत में भी गुणवत्ता रहित कार्य करवा रही है, जिससे पंचायतों का हाल भी सरकारी पुलों जैसा हो रहा है। परमान नदी के कटाव ने बनगामा और कदगामा गांवों के कई घरों को निगल लिया है। इस त्रासदी की जानकारी देने के बावजूद कोई सरकारी अधिकारी या विधायक वहां नहीं पहुंचा है। जिला पार्षद शहाबुज्जमा भारतीय ने मीडिया के साथ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और बताया कि सरकार बाढ़ पीड़ितों की उपेक्षा कर रही है और पंचायत राज व्यवस्था को कमजोर कर रही है। 21 जुलाई को अमौर में आयोजित बैठक में पंचायत प्रतिनिधियों ने सरकार के तुगलकी फरमान का विरोध किया, जिसमें ग्रामीण विकास योजनाओं को निविदा के जरिए ही लागू करने की बात कही गई है। प्रतिनिधियों ने नीतीश कुमार के खिलाफ नारेबाजी की और चेतावनी दी कि अगर फरमान वापस नहीं लिया गया तो वे इस्तीफा देने से भी नहीं हिचकिचाएंगे।

सीमांचल (विशाल/पिंटू/विकास)
- बाढ़ और कटाव की भीषण समस्या में जनता के साथ खड़े हुए पंचायत राज व्यवस्था के जनप्रतिनिधियों को बिहार सरकार के नए फरमान ने आंदोलित कर दिया
- पूर्णिया जिले के अमौर में मुख्यमंत्री के खिलाफ खूब लगे नारे
- मीडिया टीम को क्षेत्र के कटाव पीड़ितों की त्रासदी से रू ब रू कराते अमौर के जनप्रतिनिधियों ने बिहार सरकार को चेताया
- कहा टेंडर प्रक्रिया से पंचायत में भी गुणवत्ता रहित कार्य कराकर अपनी दर्जनों लुढ़की पुलों की भांति पंचायतों को भी लुढ़काने की साजिश में लग गई है सरकार
प्रत्येक वर्ष की बाढ़ और कटाव की विभीषिका से जूझने की मजबूरी पालते आ रहे सीमांचल के पूर्णिया जिले के अमौर विधान सभा क्षेत्र के मुख्यालय अंचल अमौर के अंतर्गत बरबट्टा ग्राम पंचायत के बनगामा और कदगामा गांवों के कई परिवार के घरों को अपनी कटाव लीला के जरिये विनाशकारी परमान नदी निगल चुकी है और शेष घरों को भी निगलने के लिए अपनी कटाव लीला को बेरोकटोक जारी रखी हुई है।
अमौर के जुझारू जिला परिषद सदस्य शहाबुज्जमा भारतीय ने प्रेस मीडिया की टीम के साथ प्रभावित इलाकों का गहन दौरा किया और कटाव पीड़ितों से बात चीत किया तो कटाव पीड़ित परिवारों की महिलाओं और पुरूषों ने साफ साफ बताया कि उनकी सुधि लेने अभी तक कोई भी सरकारी अधिकारी नहीं पहुंचे हैं और न उनके क्षेत्र के विधायक और सांसद में से कोई उनकी सुधि लेने आये हैं।
लगभग 3 हजार की आबादी वाले अमौर अंचल सह प्रखंड के बनगामा और कदगामा गांव में विनाशकारी परमान नदी की कटाव लीला को नियंत्रित करने के लिए सरकारी कटाव निरोधी कार्य में लापरवाही बरते जाने के कारण ग्रामीण रतजगा कर रहे हैं तो कई ने घरों को उजाड़ कर सुरक्षित जगह पर रख दिया है।
ग्राम पंचायत राज व्यवस्था से जुड़े जन प्रतिनिधियों ने इस त्रासदी की सूचना सभी सरकारी स्तरों पर पहुंचा दी है लेकिन उनकी सूचनाएं भी नक्कारखाने में तूती की आवाजें साबित हो रहीं हैं।
बनगामा गांव में स्थित मध्य विद्यालय भी कटाव की जद में आता दिखाई दे रहा है तो दूसरी ओर सिहालो धार से चौतरफा घिरी प्राथमिक विद्यालय सिहालो एक टापू के रूप में ऐसा परिणत हो गया है कि उक्त प्राथमिक विद्यालय में कोई बच्चे पहुंच मार्ग के अभाव में पहुंच नहीं पा रहे हैं और दूसरी ओर शिक्षकगण वहां पर रोजाना पहुंच कर धार के किनारे बैठकर ड्यूटी निर्वहन करने की मजबूरी पाले हुए हैं।
इसी गांव से थोड़ी दूर पर एक मृत नदी है जिसके जीवित अवस्था के दौरान आज से तीन चार वर्ष पहले जो संपर्क सड़क ध्वस्त हुई थी वह आज भी मरम्मती की वाट जोह रहा है।
जिला पार्षद शहाबुज्जमा के अनुसार , गरीब गुरबों के विस्थापन के दंश को सहलाने तक की भी कोई रूचि सरकारी अधिकारियों में नहीं है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान बिहार सरकार न सिर्फ बाढ़ पीड़ितों की घोर उपेक्षा करने में लगी है वल्कि पंचायत राज व्यवस्था को भी बर्बाद करने की ताक में त्रिस्तरीय पंचायती राज के जनप्रतिनिधियों के परंपरागत अधिकार को भी छीनने की तुगलकी फरमान जारी कर चुकी है।
अमौर के जिला पार्षद शहाबुज्जमा भारतीय के अनुसार , 21 जुलाई रविवार को अमौर अंचल क्षेत्र के जिला पार्षदों , पंचायत समिति के सदस्यों , ग्राम पंचायत मुखियों से लेकर प्रमुख प्रतिनिधि तक की एक महत्वपूर्ण बैठक अमौर के ही अंचल कार्यालय परिसर में बरगद के वृक्ष के नीचे आयोजित की गई और उक्त बैठक में बिहार सरकार द्वारा ताजा तरीन जारी किए गए उस तुगलकी फरमान की जबरदस्त निंदा करते हुए बिहार सरकार को उस तुगलकी फरमान को वापिस लेने की हिदायत दी गई जिसके तहत बिहार सरकार ने नियम बनाया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 15 लाख तक की विकास योजनाओं की भी निविदा के जरिए ही कार्यान्वित कराए जाने हैं।
पंचायत प्रतिनिधियों ने उस क्रम में नीतीश कुमार मुर्दाबाद का नारा लगाते हुए नारा बुलंद किया कि तुगलकी फरमान वापस लो वापस लो।
हालांकि , उसी क्षण पटना से मंत्री डॉ दिलीप जायसवाल का फोन आ गया कि उक्त फरमान को लागू नहीं किया जाएगा।
लेकिन , पंचायत प्रतिनिधियों ने कह दिया कि वे अपना विरोध तब तक खत्म नहीं करेंगे जब तक बिहार सरकार द्वारा जारी किया गया तुगलकी फरमान बिहार सरकार द्वारा ही वापिस नहीं ले लिया जाएगा।
ग्राम पंचायत राज व्यवस्था के जनप्रतिनिधियों के अनुसार , बिहार सरकार में मंत्री पद पर सुशोभित डॉ दिलीप जायसवाल उनके इसी सीमांचल के पूर्णिया किशनगंज अररिया जिलों से स्थानीय प्राधिकार क्षेत्र के निर्वाचित विधान पार्षद हैं और वह हम पंचायत राज के जन प्रतिनिधियों की सारी स्थितियों से वाकिफ हैं तो हम जन प्रतिनिधियों को भी उन पर काफी भरोसा है कि वह बिहार सरकार से जारी तुगलकी फरमान को सरकार द्वारा ही वापिस करा दे सकते हैं। लेकिन , चूंकि सरकार के नेतृत्वकर्ता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हम जनप्रतिनिधियों और जनता के बीच से अपनी विश्वसनीयता गंवा रखी है इसलिए हम जनप्रतिनिधिगण बिहार सरकार का विरोध तब तक जारी रखेंगे जब तक उक्त फरमान को सरकार वापिस नहीं ले लेती है।
जनप्रतिनिधियों ने यहां तक कह दिया कि उक्त मामले पर सरकार अगर आनाकानी करेगी तो राज्य भर के पंचायत राज व्यवस्था से जुड़े जनप्रतिनिधिगण एकमुश्त इस्तीफा देने से भी नहीं हिचकिचाएंगे।लेकिन , इसे आखरी वक्त में इस्तेमाल किया जाएगा।
उक्त मौके पर उपस्थित पंचायत राज व्यवस्था के जन प्रतिनिधियों ने प्रेस मीडिया के जरिए बिहार सरकार को किस तरह से हड़काया है इसे साक्षात सुना और देखा जा सकता है।