नट समुदाय की राज्यपाल से गुहार: घुमंतु और अर्द्ध घुमंतू समुदाय के उत्थान के लिए ज्ञापन सौंपा।

नट जाति समुदाय के उत्थान की पहल : नट जाति के घुमंतु और अर्द्ध घुमंतू समुदाय के शिष्टमंडल ने 29 नवंबर को बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर से मुलाकात कर उत्थान के लिए ज्ञापन सौंपा। यह पहल पद्मश्री सम्मानित भीकू राम जी इदाते दादा के नेतृत्व में की गई। शिष्टमंडल ने जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, विशेष आवासीय विद्यालय, मुख्यमंत्री आवास योजना, और नट जाति घुमंतू बोर्ड की स्थापना जैसी मांगें रखीं। महामहिम राज्यपाल ने समस्याओं को दूर करने का आश्वासन देते हुए कहा कि राजभवन का द्वार इस समुदाय के लिए हमेशा खुला रहेगा। नट समुदाय के पारंपरिक जीवन, सांप्रदायिक सौहार्द, और न्यायिक परंपराओं को उजागर करते हुए लेख में सरकार से इस उपेक्षित समुदाय के उत्थान के लिए विशेष कार्य योजना बनाने की अपील की गई है। लंबे समय से वंचित इस समाज के लिए यह पहल सकारात्मक बदलाव का संकेत है।

नट समुदाय की राज्यपाल से गुहार: घुमंतु और अर्द्ध घुमंतू समुदाय के उत्थान के लिए ज्ञापन सौंपा।

विशाल / पिंटू / विकास

पटना (बिहार) । अशिक्षा , असामाजिकता , कुसंस्कृति , असामाजिकवृति के भंवर में फंसे बिहार राज्य के विभिन्न भागों में बसे महादलित श्रेणी के खानाबदोश नट जाति समुदाय के उत्थान की दिशा में बड़े पहल की शुरूआत केंद्र सरकार के घुमंतु कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सह पद्मश्री सम्मान से सम्मानित भीकू राम जी इदाते (दादा) ने गत 29 नवंबर को बिहार के महामहिम राज्यपाल श्री राजेंद्र आर्लेकर से पटना राजभवन में मुलाकात करके की।

इस क्रम में माननीय राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपकर उन्होंने मांग किया कि बिहार में बसे महादलित श्रेणी वाले नट जाति के समस्त घुमंतु , अर्द्ध घुमंतू समुदाय को जाति प्रमाण पत्र सुलभता से निर्गत कराने का निर्देश राज्य के शासन प्रशासन को दिया जाय। खानाबदोश निवास प्रमाणपत्र हांसिल कराया जाए। देश के विभिन्न राज्यों की तर्ज पर बिहार में भी बिहार सरकार के द्वारा मुख्यमंत्री घुमंतू अर्द्ध घुमंतू आवास योजना की शुरूआत करायी जाय ।बिहार सरकार द्वारा गठित विभिन्न आयोगों और महादलित आयोग की तर्ज पर घुमंतू अर्द्ध घुमंतू नट जाति आयोग का भी गठन किया जाए। नट जाति के समस्त घुमंतु अर्द्ध घुमंतू समुदाय के बच्चों को भी शिक्षित कराने की दिशा में विशेष आवासीय विद्यालय की स्थापना कराई जाय। भारत सरकार द्वारा गठित घुमंतू अर्द्ध घुमंतू बोर्ड की तर्ज पर बिहार राज्य में भी नट जाति समुदाय को लाभान्वित कराने के लिए नट जाति घुमंतू अर्द्ध घुमंतू बोर्ड की स्थापना कराई जाय।

महामहिम राज्यपाल ने ज्ञापन प्राप्त करते हुए ज्ञापन में उल्लिखित नट जाति के खानाबदोश घुमंतू अर्द्ध घुमंतू समुदाय के प्रति उदारता प्रदर्शित करते हुए बिहार के डी एन टी शिष्टमंडल को आश्वस्त किया कि उनकी समस्याओं को दूर कराने का भरसक प्रयास करेंगे और शिष्टमंडल से कहा कि उनके जाति समुदाय के हरेक शिष्टमंडल के लिए बिहार के राज भवन का द्वार हमेशा खुला रहेगा ताकि आप सभी अपने समाज की समस्याओं से संबंधित सभी तरह की जानकारियां सुलभता से हमें सुलभ कराते रहें।

जिस पर शिष्टमंडल ने भी भाव विह्वल मुद्रा में महामहिम के प्रति आभार जताते हुए कहा कि हमें इस दिशा में जिन एक मसीहा की वर्षों से तलाश थी वह मसीहा आपके रूप में हमें और हमारे समाज को हांसिल हो गए हैं।

शिष्टमंडल में पद्मश्री सम्मान प्राप्त दादा भीकू राम जी इदाते सहित नट नवीन कुमार देव , पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रवि राज नट , नट राम प्यारे प्रसाद , नट अरविंद , बिहार सरकार के महादलित आयोग के पूर्व सदस्य राजेन्द्र प्रसाद नट , पोखन कुमार सपेरा , सुनील कुमार नट , कृपा शंकर नट मुख्य रूप से शामिल रहे थे।

इस बाबत पूरी जानकारी के क्रम में बताया गया कि देश भर में यत्र यत्र भटकते हुए खानाबदोशी की जिंदगी गुजर बसर करने वाले नट जाति के घुमंतु अर्द्ध घुमंतू समुदाय का बड़ा हिस्सा बिहार राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में भी जहां तहां निर्जन स्थानों पर रोज सिरकी तंबू का बसेरा बनाकर बसता है और रोज विस्थापन का  शिकार बनाया जाता है। जंगल झाड़ , सड़कों के किनारों की परती भूमि , स्टेशन प्लेटफार्मों पर शरण लेने वाले इस समाज को निरंतर दबंगों और पुलिस के द्वारा खदेड़ा जाता रहा है और सांप , बंदर , भालू के खेल , जड़ी बूटियों की दवाइयों की बिक्री , हैरत अंगेज सर्कसनुमा करतब , मधु शहद की बिक्री , आल्हा ऊदल के गीत , गाना बजाना नृत्य और कुश्ती पहलवानी , गोदना गोदने से लेकर सिल्ला लोढ़ी कूटने तक से प्राप्त होने वाली आय से गुजर बसर करने के बाबजूद उन्हें चोर उचक्के अपराधी कहकर हरेक स्थानों से खदेड़ा जाता रहा है।जिससे उनके इस समाज को न कहीं स्थाईत्व नसीब होता है और न जाति आवास प्रमाणपत्र और न राशन कार्ड।

बताया गया कि यह समुदाय पूर्व से ही अनुसूचित जाति और अति पिछड़े वर्ग में शामिल रहा है और बिहार सरकार ने तो इस समाज के अनुसूचित जाति वर्ग को विशेष सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कागजी तौर पर महादलित जाति की श्रेणी में भी शुमार कर लिया है लेकिन वह वास्तविक रूप से भी कागजी ही साबित हो रही है क्योंकि इनकी सुधि लेने की सरकारी दिलचस्पी तब भी नगण्य रही थी जब यह समाज अनुसूचित जाति की श्रेणी में रखा गया था और आज भी स्थिति जस की तस बनी हुई है जब महादलित की श्रेणी में बिहार सरकार द्वारा शुमार कर लिया गया है।

बताया गया कि यह जाति पूरे देश की एकमात्र सांप्रदायिक सौहार्द वाली अति प्राचीन सनातनी जाति है जो हिंदू और मुसलमान दोनों ही समुदाय के धर्म का समान रूप से आदर करते और मानते हैं और आग पानी हवा को ही अपना ईष्ट देव मानते हैं।

जिसकी वजह से इस समाज की पंचायती न्यायिक व्यवस्था के अंतर्गत भी दूध का दूध और पानी का पानी न्याय करने के लिए खंता खुरपी और पनडुब्बी जांच की परंपरागत व्यवस्था है और उसके कारण इस सनातनी जाति वर्ग का कोई भी आपसी विवाद जाति पंचायत से इतर दूसरी न्यायिक व्यवस्था के पास नहीं पहुंचता है।

यहां पर एक बात यह भी उल्लेखनीय है कि इस जाति के ही एक तबके में जिस्म फरोशी का व्यवसाय भी खानदानी पेशा के रूप में व्याप्त है जो नट की बेटी और गृहस्थ की खेती की कहाबत के अंतर्गत पुश्तैनी तौर पर प्रारंभ से ही संचालित हैं और इस क्रम में यह समुदाय स्वयं को इंद्रलोक की रंभा मेनका उर्वशी परिवार से विलग हो सीधा जमीन पर उतरा हुआ गंदर्भ समाज से भी जोड़ता है।

ऐसे में यहां पर समझ यही बनती है कि इस घोर उपेक्षित कुसंस्कृत जाति के उत्थान की दिशा में सरकार को हर हाल में विशेष कार्य योजना बनाने की जरूरत है अन्यथा यह समाज पूर्व की भांति ही केंद्र और राज्य की सरकारों के लिए हास्यास्पद साबित होता रहेगा।