कसबा में चुनावी पेंच: पुराने नेताओं के बीच फँसी नई राजनीति

पूर्णिया जिले के कसबा विधानसभा क्षेत्र की जनता इस बार भारी दुविधा में है कि वह वोट दे तो किसे दे। क्षेत्र के दोनों प्रमुख नेता—तीन बार के सिटिंग विधायक आफाक आलम (पूर्व में कांग्रेस) और पूर्व विधायक प्रदीप दास—इस बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। कांग्रेस ने आफाक आलम को टिकट न देकर इरफ़ान आलम को उम्मीदवार बनाया है, जबकि एनडीए ने पूर्व प्रत्याशी राजेंद्र यादव की जगह नितेश सिंह को उतारा है। टिकट बंटवारे में धनबल के इस्तेमाल और दलों के अंदरूनी विवाद की चर्चाओं ने जनता में अविश्वास और असमंजस पैदा कर दिया है। दोनों गठबंधन अपने-अपने उम्मीदवारों के समर्थन में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं, परंतु जनता अपने पुराने परिचित नेताओं और गठबंधन के नए चेहरों के बीच उलझी हुई है। कसबा की यह अनिश्चितता पूरे सीमांचल की राजनीति में रोमांचक मोड़ लेकर आई है।

कसबा में चुनावी पेंच: पुराने नेताओं के बीच फँसी नई राजनीति

सीमांचल  (अशोक/विशाल)

पूर्णिया जिले के कसबा विधानसभा क्षेत्र की जनता अपने वोट को लेकर भारी पेशोंपेश में है कि वह वोट दे तो किसको दे। इसका कारण यह है कि कसबा की जनता के बीच चुनाव में उम्मीदवार बने चेहरे उनके बीच दुविधापूर्ण स्थिति पैदा कर रहे हैं। वहां के जिन दो उम्मीदवारों को वहां की जनता विगत कई चुनावों से वोट देती आई थी , इस बार वे दोनों ही उम्मीदवार वहां से निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में चुनाव में खड़े हैं।

जिनमें से एक आफाक आलम वहां के सिटिंग निवर्तमान विधायक हैं जो पिछले तीन टर्म से लगातार कांग्रेस के सिंबॉल पर चुनाव जीतते आए हैं लेकिन इस बार उन्हें कांग्रेस पार्टी द्वारा बेटिकट कर दिए जाने के कारण वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में कूदे हैं। 

दूसरे वहां के पूर्व विधायक प्रदीप दास हैं जो बहुत कम वोटों के अंतर से चुनाव मैदान में पराजय का दंश झेलते चले आ रहे हैं।

कसबा विधानसभा क्षेत्र की जो जनता मोदी नीतीश की समर्थक है , वह  अपनी पसंद के पुराने नेता प्रदीप दास का चेहरा देखते हुए दुविधा में पड़ी है कि उनके सामने एनडीए के लोजपा आर प्रत्याशी के रूप में आ खड़े हुए नए चेहरे नितेश सिंह को वोट दें अथवा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उनके बीच इस बार के चुनाव के उम्मीदवार बने उनके पुराने जाने पहचाने नेता सह पूर्व विधायक प्रदीप दास को वोट दें।

दूसरी ओर , कसबा विधान सभा क्षेत्र की जो जनता महागठबंधन वाली कांग्रेस और राजद की समर्थक है , वह जनता इस बार के चुनाव के मद्देनजर इस पेशोपेश में पड़ गई है कि वह अपने सामने आ खड़े हुए इस बार के चुनाव के निर्दलीय प्रत्याशी सह पुराने चिरपरिचित सिटिंग निवर्तमान विधायक  आफाक आलम को वोट दें जिन्हें इस बार कांग्रेस पार्टी ने बेटिकट करके उनकी जगह नए चेहरे इरफ़ान आलम को अपने उम्मीदवार के रूप में उनके समक्ष पेश कर दिया है।

कसबा विधानसभा क्षेत्र की जनता में इस तरह की दुविधापूर्ण स्थिति पैदा होने का एकमात्र कारण महागठबंधन और एनडीए गठबंधन द्वारा चुनावी टिकटों की तिजारत की ख़बरों का व्याप्त होना बताया जा रहा है।

गत विधान सभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के प्रत्याशी रहे हम पार्टी के नेता राजेंद्र यादव ने अपने खुले आरोपों में पिछले दिनों खुलासा किया था कि एनडीए नेताओं ने सुनियोजित तरीके से मोटी रकम के खेल में उन्हें इस बार के चुनाव में बेटिकट करके यहां पर लोजपा आर के प्रत्याशी के रूप में नए चेहरे को लाकर खड़ा कर दिया है।

जबकि दूसरी ओर , महागठबंधन की कांग्रेस और राजद समर्थक कसबा विधानसभा क्षेत्र की जनता के बीच निवर्तमान विधायक सह इस चुनाव के निर्दलीय प्रत्याशी आफाक आलम ने खुल्लमखुल्ला खुलासा किया था कि उन्हें भी कांग्रेस के चार नामजद नेताओं ने कांग्रेस की टिकट की खरीद फरोख्त के चक्कर में बेटिकट कर कसबा से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में नया चेहरा परोस दिया है।

चूंकि , वहां की जनता के बीच ही वहां की उम्मीदवारी को लेकर इस तरह के हाइवोल्टेज आरोप दोनों गठबंधनों पर लगाए गए और जमकर हल्लाहसरातें मचाए गए थे , इसलिए , कसबा क्षेत्र की  नीतीश मोदी समर्थक जनता के दिल में अपने पुराने नेता सह निर्दलीय प्रत्याशी प्रदीप दास के प्रेम की लहरें ऊफान मार रही है तो दूसरी ओर महागठबंधन की कांग्रेस और राजद समर्थक जनता के दिलों में भी अपने पुराने नेता आफ़ाक आलम के प्रति उत्पन्न प्रेम की लहरें ऊफान मार रही है। और , इस वजह से ही कसबा विधानसभा क्षेत्र की जनता में भारी दुविधापूर्ण स्थिति पैदा हो गई है कि वह इस चुनाव में किसको अपना वोट दें और किसे ना दें।

बहरहाल , इस परिस्थिति को वहां के वर्तमान एन डी ए और महागठबंधन प्रत्याशी भी भांप रहे हैं और जनता की मिजाज़ को बदलने की भरसक पूरी कोशिशें भी कर रहे हैं। लेकिन , वहां पर यह सवाल निरंतर खड़ा है और वहां की जनता किसे वोट दे , इसका मंथन करने में जुटी है।

एन डी ए गठबंधन ने इस क्रम में जनता की मिजाज़ को पटरी पर लाने की जुगत में वहां पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की चुनावी सभा कराने का कार्यक्रम 30 अक्टूबर को ही निर्धारित किया लेकिन उनके लिए दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि खराब मौसम के कारण दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का उक्त कार्यक्रम भी रद्द हो गया।

पूर्णिया जिले के लोकल ख्याति प्राप्त एन डी ए गठबंधन के नेताओं की टोली को क्षेत्र में झोंका गया है।मतदान की तारीख भी निकट आती जा रही है तो ऐसे में देखने वाली बात यह है कि मतदान की घड़ी आते आते एन डी ए गठबंधन के नेतागण जनता को अपनी पार्टी के प्रत्याशी के समर्थन में किस हद तक मोड़ पाते हैं।

और लगभग , ऐसी ही स्थिति महागठबंधन के प्रत्याशी को लेकर भी उत्पन्न है। कसबा विधानसभा क्षेत्र में इस प्रकार उम्मीदवारों और वोटरों के बीच उत्पन्न हुई भयावह खाई को पाटने की जुगत में कौन सा दल या कौन उम्मीदवार कामयाबी हासिल करेगा और जनता पेशोपेश की स्थिति से कैसे उबरेगी , इस सवाल के जवाब के लिए संपूर्ण जिले की नज़र कसबा विधानसभा क्षेत्र की ओर टिकी हुई है।