महंगाई की चपेट में: आम आदमी की रसोई पर बड़ी बोझ
बिहार सरकार और केंद्र सरकार, यानी एनडीए के खिलाफ जनता का आरोप है कि आलू, प्याज, टमाटर, भिंडी, हरी मिर्च, गोभी, अदरक, शिमला मिर्च, तुरई, बैंगन, लौकी, धनिया, लहसुन इत्यादि जैसी सामान्य सब्जियों और खाद्य पदार्थों के भावों में अनियमित वृद्धि ने आम आदमी की रसोई को पूरी तरह से बिगाड़ दिया है। इस वृद्धि के कारण, गरीब वर्ग को अपने रोजगार में भी बड़ी मुश्किलें हो रही हैं और जनता की थाली से हरी सब्जियों की कमी दिख रही है। इस संदर्भ में, जनता की राय यह है कि सरकार द्वारा बढ़ाई गई महंगाई से न केवल किसानों को नुकसान हो रहा है, बल्कि आम आदमी को भी बड़ी मुसीबत हो रही है।
फैसल सुल्तान
बिहार सरकार और केंद्र सरकार, यानी एनडीए के खिलाफ जनता का आरोप है कि आलू, प्याज, टमाटर, भिंडी, हरी मिर्च, गोभी, अदरक, शिमला मिर्च, तुरई, बैंगन, लौकी, धनिया, लहसुन इत्यादि जैसी सामान्य सब्जियों और खाद्य पदार्थों के भावों में अनियमित वृद्धि ने आम आदमी की रसोई को पूरी तरह से बिगाड़ दिया है। इस वृद्धि के कारण, गरीब वर्ग को अपने रोजगार में भी बड़ी मुश्किलें हो रही हैं और जनता की थाली से हरी सब्जियों की कमी दिख रही है।
जैसे कि, पटना में आलू की कीमत अब 45-50 ₹ प्रति किलो तक पहुंच गई है, अन्य शहरों में इससे भी अधिक, जो कि आम आदमी के लिए बहुत ही कठिनाईपूर्ण है। इस मामले में, सरकार और उसके सहयोगी महंगाई पर सख्त रूप से टिप्पणी करने में असमर्थ हैं, जिससे जनता को यह सवाल उठता है कि क्या सरकार वाकई महंगाई के खिलाफ संघर्ष करने के लिए संकल्पित है?
इस संदर्भ में, जनता की राय यह है कि सरकार द्वारा बढ़ाई गई महंगाई से न केवल किसानों को नुकसान हो रहा है, बल्कि आम आदमी को भी बड़ी मुसीबत हो रही है। इस स्थिति में, सरकार की इस निष्क्रियता से खाद्य पदार्थों के भावों में वृद्धि का लाभ केवल बिचौलियों और मध्यम वर्गीय व्यक्तियों को हो रहा है, जबकि गरीब वर्ग इससे पीड़ित हो रहा है।
बिहार सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक, सरकारी नेताओं की दोहरी मापदंड साफ़ हैं। कांग्रेस के कार्यकाल में, प्याज के दामों में थोड़ी सी बढ़ोतरी पर तुरंत हंगामा कर दिया गया था, लेकिन आजकल इस महंगाई को जस्टिफ़ाइ करने के लिए सरकार खासा स्वर तक नहीं उठाती है।