रूपौली विधान सभा उप चुनाव के निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 20 जून को नामांकन दाखिल करेंगे पूर्व विधायक शंकर सिंह
पप्पू यादव की जीत के बाद पूर्णिया संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में प्रेरित होने वाले नेताओं ने रूपौली विधान सभा सीट के विधान सभा उप चुनाव में लक्ष्य रखा है। पूर्व लोजपा विधायक शंकर सिंह ने लोजपा से त्यागपत्र दिया है और वे अगले 20 जून को नामांकन दाखिल करने के लिए तैयार हैं।

-पूर्व विधायक शंकर सिंह ने कहा कि क्षेत्र की जनता की मांग पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कूद रहे हैं चुनाव मैदान में
-जनता की ताकत के भरोसे इस बार जीत के प्रति आश्वस्त हैं शंकर सिंह
सीमांचल (विशाल/पिंटू/विकास)
पूर्णिया जिले के रूपौली विधान सभा क्षेत्र में होने वाले विधानसभा उप चुनाव में अपना अपना भाग्य आजमाने के लिए इस बार दलीय उम्मीदवारों के साथ साथ निर्दलीय प्रत्याशियों की भी होड़ मचने वाली है।
पूर्णिया संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में इस बार हुई पप्पू यादव की जीत के बाद से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतने की जो प्रेरणा नेताओं को मिली है उसी के परिणामस्वरूप रूपौली की विधान सभा सीट पर होने जा रहे विधान सभा उप चुनाव में इस बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ही चुनाव जीतने के लक्ष्य को साधने के लिए रूपौली के पूर्व लोजपा विधायक शंकर सिंह ने लोजपा से त्यागपत्र दे दिया है और अगले 20 जून को अपना नामांकन दाखिल करने की तैयारी में जुट गए हैं।
लोजपा से त्यागपत्र देने के बाद पूर्णिया में पत्रकारों से बातचीत करते हुए रूपौली के पूर्व विधायक शंकर सिंह ने कहा कि उन्हें इस उप चुनाव में उतरने के लिए रूपौली विधान सभा क्षेत्र की जनता ने खुले हृदय से आमंत्रित किया है और उन्हें पूर्ण विश्वास है कि इस बार के विधान सभा उप चुनाव में जनता मालिक उन्हें भारी मतों से विजयी बना कर उन्हें जनता की भरपूर सेवा करने का मौका प्रदान करेगी।
रूपौली विधान सभा क्षेत्र से इस बार के विधान सभा उप चुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी कूदने की तैयारी में जुटे पूर्व विधायक शंकर सिंह ने पत्रकारों को बताया कि बीते लोक सभा चुनाव के दौरान निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत के प्रति सीमांचल से शुरू हुई जनता की दिलचस्पी के मद्देनजर और रूपौली की जनता द्वारा इस विधान सभा उप चुनाव में उन्हें उम्मीदवारी देने के लिए दिए जा रहे दबाब के कारण उन्होंने अपनी जीत की पूरी उम्मीद के साथ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में कूदने का फैसला लिया है और जमात की राजनीति के तहत जात पात से ऊपर उठकर जनता की आस पर खरा उतरने के लिए ही अपनी पूर्व की पार्टी लोजपा से त्यागपत्र दे दिया है।
उन्होंने पत्रकारों से अपनी हालिया राजनीतिक पीड़ा को साझा करते हुए दुख जताया कि उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा उम्मीदवारी प्रदान करने का वायदा करते हुए शत प्रतिशत उम्मीदवार घोषित करने का भरोसा दिलाया गया था। लेकिन, ऐन मौके पर ही उक्त भरोसे को राजनीतिक कुचक्र के तहत तोड़कर उन्हें निर्दलीय चुनाव में कूदने के लिए मजबूर किया गया।
पत्रकारों से अपनी इस राजनीतिक पीड़ा को साझा करते हुए रूपौली के पूर्व विधायक शंकर सिंह ने आश्चर्य व्यक्त किया कि बिहार की सत्तारूढ़ जदयू ने रूपौली विधान सभा क्षेत्र से जिस उम्मीदवार को घोषित किया है , वह मुखिया पद के चुनाव में लगातार तीन टर्म से पराजित होता आ रहा है और 2020 के विधान सभा आम चुनाव में महज छह हजार वोट लाकर क्षेत्र में उपहास का विषय बना था।
उन्होंने कहा कि रूपौली विधान सभा क्षेत्र में इस बार जाति की नहीं बल्कि जमात की राजनीति के तहत जनता द्वारा मतदान किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि वह इस विधान सभा उप चुनाव को जीतकर सबसे पहले रूपौली में कानून व्यवस्था का माहौल पैदा करेंगे और रूपौली की वर्षों से लंबित पड़ी रेल परियोजना को साकार कराएंगे। जिसके लिए वह केंद्रीय सरकार में भी गुहार लगाने में कोई संकोच नहीं करेंगे और बिहार सरकार पर सदन से ही दबाव बना कर रूपौली विधान सभा क्षेत्र को सुंदर और सुव्यवस्थित बनवाने का काम करेंगे।
उन्होंने कहा कि इस बार के रूपौली विधान सभा क्षेत्र के विधान सभा उप चुनाव में रूपौली की जनता और जमात के समक्ष जात पात की कोई राजनीतिक दाव पेंच चलने वाली नहीं है।
उन्होंने बताया कि वह और उनकी पूर्व जिला परिषद चेयरमैन पत्नी ने दिन रात जनता की सेवा की है तो उसका परिणाम सार्थक ही होगा।