डॉ अबूसायम ने सेक्युलर कहे जाने वाले नेताओं से पूछा कि 75 वर्षों में सीमांचल वासियों के लिए क्यों नहीं स्थापित किये डॉ जायसवाल की तरह एक अदद हॉस्पिटल या यूनिवर्सिटी
सीमांचल के किशनगंज संसदीय क्षेत्र में समाहित पूर्णिया जिले के बहुचर्चित विधानसभा क्षेत्र अमौर के दिग्गज राजनीतिज्ञ और पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान एमआइएम की चुनावी रणनीतिकार रहे लोकप्रिय समाजसेवी एवं एमआइएम के नेता डॉ अबू सायम की बेबाकी से सीमांचल भर के राजनीतिक हस्तियां अवगत हैं
- दूसरा सवाल किया कि भाजपा का खौफ दिखाकर कबतक हमारे वोटों को लूटोगे और सत्ता की चकाचौंध में खो जाओगे
- उन्होंने बेबाक लहजों में कह दिया कि कांग्रेस राजद ने लंगड़े घोड़ों को रेस में लगाकर पब्लिक को भरमाने का प्रयास किया है
सीमांचल (विशाल/पिन्टू/विकास)
सीमांचल के किशनगंज संसदीय क्षेत्र में समाहित पूर्णिया जिले के बहुचर्चित विधानसभा क्षेत्र अमौर के दिग्गज राजनीतिज्ञ और पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान एमआइएम की चुनावी रणनीतिकार रहे लोकप्रिय समाजसेवी एवं एमआइएम के नेता डॉ अबू सायम की बेबाकी से सीमांचल भर के राजनीतिक हस्तियां अवगत हैं और अभी अभी होने जा रहे विधान परिषद के चुनाव को लेकर उनके द्वारा की गई एक बेबाक टिप्पणी ने सम्पूर्ण सीमांचल की राजनीति को झंकझोरने का काम कर दिया है।
अमौर क्षेत्र के समाजसेवी सह एमआइएम नेता डॉ अबू सायम ने अपनी टिप्पणी को सीमांचल के कथित सेक्युलर राजनीतिक दलों के नेताओं के लिए अति कड़वा बताते हुए कहा है कि
कड़वा है पर सच को आँच क्या ?
उन्होंने स्पष्ट और बेबाक शब्दों में कहा है कि सीमांचल की अवाम आखिर अब क्या करे?
दानिशमंदों की सुने ? या
कायेद की सुने ?
या ज़ाहिद, ममनून, ताहिर, सरफुल चाचा की सुने?
विधान परिषद के इस इलेक्शन में गरीब मज़दूर अनपढ़ यतीम बेवा मज़लूम की वोट लेकर मेम्बर सरपंच मुखिया बने वोटर रूपी जन प्रतिनिधियों को सोचना है कि जिनके पास इन तमाम का वोट अमानत के तौर पर दिया हुआ है ये एमएलसी चुनाव में आपकी अमानत का मुँहबोला सौदा करेंगे कि नहीं ।
विधानपरिषद चुनाव के वोटर रूपी ये छोटे जनप्रतिनिधि गम्भीर सोंच में डूबे हुए हैं कि करें तो क्या करें ?
इनके बड़े सेक्युलर नेता इनके लिए या इनके आवाम के लिए कभी कुछ किया भी तो नहीं है ?
डॉ अबूसायम का विल्कुल बेबाक सवाल है कि क्या योगदान है सीमांचल के समाज के लिए कांग्रेस या राजद का?
मेडिकल कॉलेज या हॉस्पिटल की बात तो दूर एक अदद डिग्री कॉलेज तक कोई नहीं बना पाया।
जबकि हमारा खुला दुश्मन रहा भाजपा देश की अल्प संख्यक सीमांचल की बहुसंख्यक की दुखती रग पकड़ कर मेडिकल कॉलेज और यूनिवर्सिटी बनाकर कल्याण का काम कर रही है।
उन्होंने सवाल खड़े किये कि यही काम सेक्युलर पार्टियों के नेताओं ने पिछले 75 सालों में इस सीमांचल के वासियों के लिए क्यूँ नहीं किया ?
क्यूँ ये मुस्लिम बहुल क्षेत्र के नेतागण यहाँ कोई ऐसा काम नहीं किया , जिसके बुनियाद पर डंके की चोट पर वोट लिया जाए?
उन्होंने बेबाक लहजों में कहा कि क्यूँ हमारे कायेद हमेशा भाजपा को दुश्मन साबित कर और उसका डर् दिखाकर हमारा और हमारे प्रतिनिधियों का वोट लेना चाहती है? लेकिन , क्यूँ किसी ने डॉ जायसवाल जैसी कल्याणकारी पहल कभी नहीं किया ।
उन्होंने अपनी बेबाक टिप्पणी के जरिये सवाल दागते हुए कहा कि चार चार बार एमएलए रहने के बाद अबकीबार हारे हैं तो विधान परिषद का चुनाव जीतकर समाज के लिये कुछ योगदान करने की ख्वाहिश जाहिर कर रहे हैं। डॉ अबूसायम ने पूरी बेबाकी से सीमांचल वासियों को बताया कि ऐसे लोग सिर्फ़ मुसलमानों का वोट लेकर भाजपा को हराने के इलावे कोई तीर मारने का कोई काम कभी कर ही नहीं सकते हैं ।
डॉ अबूसायम कहते हैं कि किसी लकीर को छोटा करने के लिए उसे मिटाना ज़रूरी नही बल्कि उसके बराबर उससे लम्बी लकीर खिंची जाय तो वो खुद ब खुद छोटी हो जाएगी । अर्थात , इस सीमांचल में डॉ जायसवाल को हराना आज मुश्किल क्यूँ हो रहा है ? इस पर तमाम लोगों को ग़ौर करने की जरूरत है तो पहले इस पर गम्भीरता से गौर कीजिए !
आज जो हारे हुए एमएलए सत्ता सुख से वंचित है , उनके मुँह से सरकारी सुख का लाड़ टपक रहा है । इसलिए मौक़ा ग़नीमत जानकर फिर क़िस्मत आज़माई का भूत अपने ऊपर सवार किये हैं और लंगड़ा घोड़ा और मंडबैल का रेस चालू कर दिये हैं । जिसने डॉ जायसवाल के लोक कल्याणकारी सेवाओं का लगातार लाभ नहीं लिया होगा वैसा एक भी चेहरा इस सीमांचल में दिखाई नहीं पड़ सकता है।
डॉ अबूसायम ने साफ साफ लहजों में कहा है कि राजद कांग्रेस के लंगड़े घोड़ों की रेस में सीमांचल के आवाम का कुछ भी फायदा नहीं होने वाला है ।