पत्रकार कमाल खान के निधन से बिहार मंथन हिंदी परिवार में शोक की लहर।

नवादा जिले में बिहार मंथन हिंदी दैनिक परिवार की तरफ से एक शोक सभा रखा गया। जिसमें एन डी टीवी के महान पत्रकार मरहूम कमाल खान के लिए शोक सभा रखी गई और उनकी मगफिरत की दुआ भी की गई।

पत्रकार कमाल खान के निधन से बिहार मंथन हिंदी परिवार में शोक की लहर।

बिहार मंथन हिंदी दैनिक परिवार ने कुरआन ख्वानी कर उनके लिए दुआ मगफिरत की ओर शोक सभा का आयोजन किया।

मोहम्मद सुल्तान अख्तर।

नवादा । जिला के अंतर्गत पकरीबरावां में बिहार मंथन हिंदी दैनिक परिवार की तरफ से एक शोक सभा रखा गया। जिसमें एन डी टीवी के महान पत्रकार मरहूम कमाल खान के लिए शोक सभा रखी गई और उनकी मगफिरत की दुआ भी की गई। शोक सभा मे मरहूम पत्रकार कमाल खान साहेब के शुक्रवार की सुबह हुई अचानक मौत पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए एक मिनट का शोक व्यक्त किया गया। बिहार मंथन हिंदी दैनिक के संपादक मोहम्मद सुल्तान अख्तर ने कहा कमाल खान का अचानक जाना पत्रकारिता जगत के लिए अपूर्णनीय क्षति हुई है। कमाल खान का खबर  करने का अंदाज दुसरे रिपोर्टों से अलग था। लगभग तीन दशकों से टीवी पत्रकारिता से जुड़े कमाल खान के देश ही नही विदेशो में भी लोग प्रशंसक थे। कमाल खान अपने पीछे परिवार में पत्नी रुचि और बेटा अमन को छोड़ गए ।

कमाल साहेब की हार्ट अटैक से हुई मौत की खबर से बिहार मंथन परिवार के लोग अवाक हैं। ये भी कोई जाने की अवस्था थी! इन्हें तो अभी तो बहुत काम करना था, जिम्मेदारियाँ निभानी थी। घर और बाहर दोनों की। पत्रकारिता के क्षेत्र में बदलाव की जो नीव रखी थी, उसमें बयार लाना था। आपके जाने से पत्रकारिता को जो नुकसान पहुंचा है, उसकी भरपाई होना मुश्किल है। नवभारत टाइम्स से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (एनडीटीवी) में आये तो उन्होंने टीवी का व्याकरण ही बदल दिया। कमाल साहेब  ने हिंदी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जो भाषा दी, वह उनके अकेले स्वामी थे। यही वजह है कि अगर टीवी पर कमाल दिख जायें तो उन्हें देखने - सुनने के लिए लोगों की आँखें टीवी पर गड़ी रहतीं। सचमुच कमाल के थे कमाल। उनका अचानक चला जाना मन को उद्वेलित कर रहा है।

कमाल भाई की कमाल बात यह थी कि वह किसी भी परिस्थिति में हायपर नहीं होते. भाषा में बहुत सधा लहजा और ख़बरें हमेशा संतुलित. ऐसे व्यक्ति का जाना केवल एनडीटीवी की नहीं उन तमाम लोगों के लिए क्षति है जिन्हें खबरों में किसी अलहदा पक्ष की उम्मीद होती थी.

उनके निधन पर कई राजनेताओ ने दुःख जताया है। ख़ास तौर से बिहार मंथन हिंदी दैनिक के चीफ़ एडिटर फैसल सुलतान और  सेवा निवृत आई ए एस एम ए  इब्राहिमी ने गहरे दुःख का इजहार किया है।

इस मौके पर बिहार मंथन हिंदी दैनिक के ब्यूरो चीफ़ हाजी मोखतार, मोतीउर रहमान, सनोवर खान, साजीद हुसैन, संजय वर्मा, सनोज कुमार संगम, उपेंद्र राज़, मौलाना नौशाद जुबैर मलिक, मुकेश कुमार, साकेत रौशन आदी ने गहरे दुःख का इजहार किया है।